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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर की बर्खास्तगी पर रोक - इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के साइंस एंड सोसाइटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रोहित कुमार मिश्र की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी है. साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब तलब किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Sep 27, 2021, 10:24 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साइंस एंड सोसाइटी विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रोहित कुमार मिश्र की बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है. उन्हें काम करने देने और वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया है.

याची का कहना है कि 17 अगस्त 2021 को उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. इस दौरान न तो किसी प्रक्रिया का पालन किया गया. न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. याची पर आरोप है कि वह पद की अर्हता के अनुरूप अनुभव और योग्यता नहीं रखता है.

इसे भी पढ़ें- इलाहाबाद HC का कड़ा रुख, DGP मैनपुरी एसपी के खिलाफ कार्रवाई कर सौंपें रिपोर्ट तब छोड़ें प्रयागराज

कोर्ट ने 17 अगस्त का आदेश रद्द करते हुए विश्वविद्यालय से कहा है कि यदि भविष्य में याची के विरुद्ध कोई आदेश पारित होता है तो वह विधि अनुसार होना चाहिए और याची को सुनवाई का अवसर देते हुए उसकी सफाई पर विचार करने के बाद ही कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने कहा कि जिन दस्तावेजों के आधार पर याची के विरुद्ध कार्रवाई की गई है. उसे याची को उपलब्ध कराया जाए.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साइंस एंड सोसाइटी विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रोहित कुमार मिश्र की बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है. उन्हें काम करने देने और वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया है.

याची का कहना है कि 17 अगस्त 2021 को उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. इस दौरान न तो किसी प्रक्रिया का पालन किया गया. न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. याची पर आरोप है कि वह पद की अर्हता के अनुरूप अनुभव और योग्यता नहीं रखता है.

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कोर्ट ने 17 अगस्त का आदेश रद्द करते हुए विश्वविद्यालय से कहा है कि यदि भविष्य में याची के विरुद्ध कोई आदेश पारित होता है तो वह विधि अनुसार होना चाहिए और याची को सुनवाई का अवसर देते हुए उसकी सफाई पर विचार करने के बाद ही कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने कहा कि जिन दस्तावेजों के आधार पर याची के विरुद्ध कार्रवाई की गई है. उसे याची को उपलब्ध कराया जाए.

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