प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के कई वर्षों तक चलने की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार से भविष्य की तैयारियों का रोडमैप मांगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोविड-19 के कारण भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए शासन की क्या योजना है, इसकी पूरी जानकारी दी जाए.
वकीलों से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना मामले की स्वतः योजित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार अपने कर्तव्य का निवर्हन कर रही है और हम नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते. हम फिलहाल में कोई विपरीत नजरिया नहीं अपना रहे हैं. सरकार को अपनी कार्य योजना बताने के लिए और समय दिया जा रहा है.
सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों के यह कहने पर कि एक निर्धारित समय में राज्य सरकार से जवाब मांगा जाए. इसपर खंडपीठ की मौखिक टिप्पणी थी कि क्या वायरस की कोई समय सीमा है. कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने की आम लोगों की भी जिम्मेदारी है लेकिन लोग मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिग के नियमों का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं. जब पुलिस कोई कार्रवाई करती है तो लोग सोशल मीडिया पर हंगामा मचाते हैं.
याचिका की सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि टीकाकरण तेजी से किया जा रहा है. शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 44 वर्ष और 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का टीकाकरण हो रहा है. टीकाकरण के लिए विशेष केंद्र भी बनाए गए हैं. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी भी दी. इस मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी.
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