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सेवानिवृत्ति परिलाभ मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लघु सिंचाई विभाग के इंजीनियर से मांगा स्पष्टीकरण

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई विभाग को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने या स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है.

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Published : Feb 6, 2020, 3:49 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लघु सिंचाई विभाग सोनभद्र के अधिशासी अभियंता को निर्देश दिया है कि 15 मार्च 2020 तक याची को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करें या व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर ऐसा न करने का कारण स्पष्ट करें. कोर्ट ने कहा है कि यदि भुगतान नहीं किया जाता तो अभियंता 16 मार्च 2020 को कोर्ट में हाजिर हो. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने सोनभद्र के लाल बिहारी द्विवेदी की याचिका पर दिया है.


याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर ने बहस किया. याची का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद उसे सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया. 20 जुलाई 2018 के आदेश से यह कहते हुए भुगतान देने से मना कर दिया गया कि याची ने अनापत्ति प्रमाणपत्र जमा नहीं किया है, जबकि याची ने सारे प्रमाण पत्र जमा कर दिए हैं. फिर भी उसे 3 साल बीत जाने के बाद भी सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया जा रहा है.


कोर्ट ने कहा कि पत्रावली पर मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध हैं. इसके बावजूद अभियंता द्वारा भुगतान न करना उचित नहीं है. कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लघु सिंचाई विभाग सोनभद्र के अधिशासी अभियंता को निर्देश दिया है कि 15 मार्च 2020 तक याची को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करें या व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर ऐसा न करने का कारण स्पष्ट करें. कोर्ट ने कहा है कि यदि भुगतान नहीं किया जाता तो अभियंता 16 मार्च 2020 को कोर्ट में हाजिर हो. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने सोनभद्र के लाल बिहारी द्विवेदी की याचिका पर दिया है.


याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर ने बहस किया. याची का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद उसे सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया. 20 जुलाई 2018 के आदेश से यह कहते हुए भुगतान देने से मना कर दिया गया कि याची ने अनापत्ति प्रमाणपत्र जमा नहीं किया है, जबकि याची ने सारे प्रमाण पत्र जमा कर दिए हैं. फिर भी उसे 3 साल बीत जाने के बाद भी सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया जा रहा है.


कोर्ट ने कहा कि पत्रावली पर मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध हैं. इसके बावजूद अभियंता द्वारा भुगतान न करना उचित नहीं है. कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है.

[05/02, 17:45] Krishna Ji Shukla: अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई विभाग को सेवानिवृत्ति परिलाभो का भुगतान करने अथवा स्पष्टीकरण देने का निर्देश 

आदेश पालन न करने पर अभियंता तलब


प्रयागराज 5 फरवरी 
इलाहाबाद हाईकोर्ट में लघु सिंचाई विभाग सोनभद्र के अधिशासी अभियंता को निर्देश दिया है की 15 मार्च 2020 तक याची को  सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करें या व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर ऐसा न करने का कारण स्पष्ट करें।
 कोर्ट ने कहा हैकि यदि भुगतान नहीं किया जाता तो  अभियंता 16 मार्च 2020 को कोर्ट में हाजिर हो ।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने सोनभद्र के लाल बिहारी द्विवेदी की याचिका पर दिया है।
 याचिका पर अधिवक्ता बी एन सिंह राठौर ने बहस  किया। याची का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद उसे सेवानिवृत्ति परिलाभों  का भुगतान नहीं किया गया।  20 जुलाई 2018 के आदेश से यह कहते हुए भुगतान देने से मना कर दिया गया कि याची ने अनापत्ति प्रमाणपत्र  जमा नहीं किया है ।जबकि याची ने सारे प्रमाण पत्र जमा कर दिए है। फिर भी उसे 3 साल बीत जाने के बाद भी सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया जा रहा है ।
कोर्ट ने कहा कि पत्रावली पर, मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध है। इसके बावजूद अभियंता द्वारा भुगतान न करना उचित नही है। कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।
[05/02, 18:06] Krishna Ji Shukla: पी ए सी कांसटेबल का चयन रद्द करने का आदेश निरस्त 

बिना सुने पारित आदेश नैसर्गिक न्याय के विपरीत 

प्रयागराज 5 फरवरी 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना समुचित जांच किए पीएसी कांस्टेबल  का चयन निरस्त  करने के आदेश को रद्द  कर दिया है।  कोर्ट ने कहा हैकि कांस्टेबल को कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया और न ही उसे अपनी सफाई का मौका दिया गया ।ऐसे में चयन निरस्त करना अनुच्छेद 14 एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है ।ऐसा आदेश पूर्णतया अवैध एवं मनमाना पूर्ण है। कोर्ट ने कांस्टेबल  का चयन निरस्त  करने के पीएसी कमांडेंट प्रयागराज के 30 नवंबर 2019 को पारित आदेश को रद्द कर दिया है और  नियमानुसार  वैधानिक कार्यवाही की छूट दी है।  
 यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने पी ए सी कांसटेबल  संजय यादव की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता निर्विकल्प पान्डेय ने बहस  की ।
इनका कहना था कि याची 30 नवंबर 2019 को चित्रकूट जिला जेल में तैनात था। उसके खिलाफ बाल गोविंद सिंह ने एक शिकायत की ,कि उसने गलत जन्मतिथि के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की है। शिकायत में कहा गया कि याची ने वर्ष  2005 में बौरहवा  बाबा इंटर कॉलेज  गाजीपुर से हाईस्कूल पास किया है। उसकी जन्म तिथि 1 जुलाई 1990 है। इसके बाद शांति निकेतन इंटर कॉलेज गाजीपुर से इंटरमीडिएट भी पास किया और जन्मतिथि यही रही है। याची पर आरोप है कि उसने 2013 में दोबारा माता रश्मि देवी बालक बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय बथुआ गोदाम मऊ जिले से हाई स्कूल की परीक्षा दी। वहां उसकी जन्मतिथि 10 जुलाई 1996 दर्ज है। 2015 में इंटरमीडिएट परीक्षा भी पास किया  और उसमें भी उसकी जन्म तिथि 10 जुलाई 1996 दर्ज है।   प्रारंभिक जांच में  याची का बयान लिया  गया, लेकिन उसे सफाई का कोई मौका नहीं दियागया।याची का कहना है कि उसने मऊ जिले से पढ़ायी की है।गाजीपुर के प्रमाणपत्र मे पिता का नाम भिन्न  है। मऊ के प्रमाणपत्र में उसके पिता का नाम दर्ज है। गलत शिकायत की गयी है। उसे सफाई का मौका नही दिया गया है।
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