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क्यों न जल निगम का खाता जब्त कर रिटायरकर्मियों का भुगतान किया जाए : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम के रिटायर कर्मचारियों का भुगतान न करने को गंभीरता से लेते हुए अपर मुख्य सचिव वित्त, प्रमुख सचिव नगर विकास व चेयरमैन उप्र जल निगम से पूछा है कि क्यों न निगम का खाता जब्त कर कर्मचारियों का बकाया भुगतान किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने जयमूर्ति देवी की याचिका पर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jun 18, 2021, 5:42 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम के रिटायर कर्मचारियों का भुगतान न करने को गंभीरता से लेते हुए अपर मुख्य सचिव वित्त, प्रमुख सचिव नगर विकास व चेयरमैन उप्र जल निगम से पूछा है कि क्यों न निगम का खाता जब्त कर कर्मचारियों का बकाया भुगतान किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने जयमूर्ति देवी की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कारण स्पष्ट करने के लिए इन अधिकारियों को 48 घंटे का समय दिया है.

कोर्ट ने गत 15 मार्च को इन अधिकारियों और जल निगम के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया था कि आपस में बैठकर निगमकर्मियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान करने का उपाय तलाशकर उन्हें भुगतान कराएं. कोर्ट ने कहा था कि न्यायालय में सैकड़ों याचिकाएं दाखिल हो रही हैं, जिनमें बताया जाता है फंड नहीं है. ऐसा कहकर वर्षों तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भुगतान नहीं किया जाता. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 48 घंटे में कारण बताने का निर्देश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम के रिटायर कर्मचारियों का भुगतान न करने को गंभीरता से लेते हुए अपर मुख्य सचिव वित्त, प्रमुख सचिव नगर विकास व चेयरमैन उप्र जल निगम से पूछा है कि क्यों न निगम का खाता जब्त कर कर्मचारियों का बकाया भुगतान किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने जयमूर्ति देवी की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कारण स्पष्ट करने के लिए इन अधिकारियों को 48 घंटे का समय दिया है.

कोर्ट ने गत 15 मार्च को इन अधिकारियों और जल निगम के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया था कि आपस में बैठकर निगमकर्मियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान करने का उपाय तलाशकर उन्हें भुगतान कराएं. कोर्ट ने कहा था कि न्यायालय में सैकड़ों याचिकाएं दाखिल हो रही हैं, जिनमें बताया जाता है फंड नहीं है. ऐसा कहकर वर्षों तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भुगतान नहीं किया जाता. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 48 घंटे में कारण बताने का निर्देश दिया है.

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