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वकील के खिलाफ घूस की पेशकश करने व धमकाने की जांच सीबीआई से कराने से हाईकोर्ट का इंकार

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Published : Apr 26, 2022, 10:41 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की पत्नी की तरफ से वकील के खिलाफ घूस की पेशकश करने और धमकाने की एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने से इंकार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र (Justice Ashwani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार (Justice Rajnish Kumar) की खंडपीठ ने अमित कुमार जैन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की पत्नी की तरफ से वकील के खिलाफ घूस की पेशकश करने और धमकाने की एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने से इंकार कर दिया है. एसएसपी मुजफ्फरनगर को पुलिस विवेचना की मानिटरिंग कर निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को भी दोषी करार देते हुए उनकी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करने या सीबीआई की जांच की मांग में हाईकोर्ट आने वाले आरोपी अधिवक्ता याची के खिलाफ उप्र बार काउंसिल को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र (Justice Ashwani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार (Justice Rajnish Kumar) की खंडपीठ ने अमित कुमार जैन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य सामने हैं, वह परेशान करने वाला है. न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष केस लंबित है. मजिस्ट्रेट की पत्नी ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए अपने पक्ष में आदेश के लिए अधिवक्ता पर घूस की पेशकश करने और परिवार को धमकाने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट में कई बार धमकी देने का आरोप है.

इसे भी पढ़ेंः समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट का इंकार

आरोपी ने फोन रिकॉर्डिंग का सहारा लेकर पेशकश स्वीकार कर ली है किंतु मजिस्ट्रेट को भी उतना ही दोषी करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग में याचिका दाखिल की है. एफआईआर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं.

कोर्ट की टिप्पणी : हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय व्यवस्था कानून के शासन और विश्वसनीयता पर टिकी है. लोगों का न्यायिक सिस्टम पर भरोसा है. यदि आरोप सही है तो आम लोगों का न्याय प्रक्रिया से विश्वास उठ जाएगा. आरोपों की निष्पक्ष जांच हो. इसे हल्के में न लें. कोर्ट ने अपराध को संज्ञेय माना है. सही या गलत विवेचना में स्पष्ट होगा.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की पत्नी की तरफ से वकील के खिलाफ घूस की पेशकश करने और धमकाने की एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने से इंकार कर दिया है. एसएसपी मुजफ्फरनगर को पुलिस विवेचना की मानिटरिंग कर निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को भी दोषी करार देते हुए उनकी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करने या सीबीआई की जांच की मांग में हाईकोर्ट आने वाले आरोपी अधिवक्ता याची के खिलाफ उप्र बार काउंसिल को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र (Justice Ashwani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार (Justice Rajnish Kumar) की खंडपीठ ने अमित कुमार जैन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य सामने हैं, वह परेशान करने वाला है. न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष केस लंबित है. मजिस्ट्रेट की पत्नी ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए अपने पक्ष में आदेश के लिए अधिवक्ता पर घूस की पेशकश करने और परिवार को धमकाने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट में कई बार धमकी देने का आरोप है.

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आरोपी ने फोन रिकॉर्डिंग का सहारा लेकर पेशकश स्वीकार कर ली है किंतु मजिस्ट्रेट को भी उतना ही दोषी करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग में याचिका दाखिल की है. एफआईआर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं.

कोर्ट की टिप्पणी : हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय व्यवस्था कानून के शासन और विश्वसनीयता पर टिकी है. लोगों का न्यायिक सिस्टम पर भरोसा है. यदि आरोप सही है तो आम लोगों का न्याय प्रक्रिया से विश्वास उठ जाएगा. आरोपों की निष्पक्ष जांच हो. इसे हल्के में न लें. कोर्ट ने अपराध को संज्ञेय माना है. सही या गलत विवेचना में स्पष्ट होगा.

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