प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मृतक आश्रित कोटे(deceased dependent quota) के तहत सिर्फ नियमित नियुक्ति ही दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में 30 जनवरी 1996 का शासनादेश लागू नहीं होगा. झांसी के आसिफ खान की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने याची के अधिवक्ता विभु राय और धनंजय राय को सुनकर के दिया है.
अधिवक्ताओं का कहना था कि याची के पिता बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय में सहायक अध्यापक थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई. याची ने अनुकंपा के तहत नियुक्ति मांगी. उसे चतुर्थ श्रेणी पद पर निश्चित वेतनमान के तहत नियुक्ति दी गई. ज्वॉइन करने के बाद याची ने नियमित नियुक्ति की मांग करते हुए प्रत्यावेदन दिया. बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी ने विचारों प्रांत याचिका प्रत्यावेदन खारिज कर दिया.
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने आदेश में 30 जनवरी 1996 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कोई पद रिक्त नहीं होने के कारण याची को निश्चित मानदेय पर नियुक्ति दी गई है. नियमित वेतन स्थाई कर्मचारी के तौर पर समायोजित होने की तिथि से देय होगा ना कि आरंभिक नियुक्ति की तिथि से.
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इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि 31 जनवरी 1996 का शासनादेश इस न्यायालय द्वारा रवि करण सिंह केस में दी गई विधि व्यवस्था के विपरीत है. याची के मामले में 30 जनवरी का शासनादेश लागू नहीं होगा, क्योंकि मृतक आश्रित कोटे के तहत वह नियमित नियुक्ति पाने का अधिकारी है. मृतक आश्रित कोटे में अस्थाई नियुक्ति की कोई व्यवस्था नहीं है. यह नियुक्ति स्थाई प्रकृति है. कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में 30 जनवरी 1996 का शासनादेश लागू नहीं होगा. बेसिक शिक्षा अधिकारी को याची के मामले में 2 माह में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.