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Allahabad High Court: अभियुक्त की मांग और राजनीतिक हस्तक्षेप पर विवेचना नहीं की जा सकती स्थानांतरित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है कि अभियुक्त की मांग और राजनीतिक दखलंदाजी के कारण किसी मामले की विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है.

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Published : Mar 3, 2023, 10:40 PM IST

प्रयागराज: एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्यतः अभियुक्त की मांग और राजनीतिक दखलंदाजी के कारण किसी मामले की विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए खंड शिक्षा अधिकारी की जांच विजिलेंस की गोरखपुर शाखा से लखनऊ विजिलेंस को स्थानांतरित करने संबंधी आदेश को रद्द कर दिया है.

गौरव त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति वीके बिरला और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दिया. याचिका में गृह विभाग द्वारा पारित 17 मई और 2 जून 2022 के आदेशों को चुनौती दी गई थी. इस आदेश के द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह की अर्ज़ी पर उसके खिलाफ चल रही विवेचना को गोरखपुर विजिलेंस से लखनऊ विजिलेंस को स्थानांतरित कर दिया गया था.

मामले के अनुसार याची गौरव त्रिपाठी बस्ती के सल्तुआ विकासखंड में सहायक अध्यापक है . 26 अगस्त 2021 को तबीयत खराब होने के कारण व अवकाश पर थे. अवकाश की सूचना उन्होंने विद्यालय के प्रधानाध्यापक को दी थी और हाजिरी रजिस्टर में दर्ज भी थी. उस समय अवकाश के लिए ऑनलाइन पोर्टल बंद था, इसलिए याची ऑनलाइन अवकाश का आवेदन नहीं कर सकता था. आरोप है कि उसी दिन खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने विद्यालय का निरीक्षण किया और याची को अनुपस्थित पाते हुए रजिस्टर पर ओवर राइटिंग कर दी और उसे अनुपस्थित दिखा दिया. याची इस सिलसिले में जब मनोज कुमार सिंह से मिला तो उन्होंने उससे 10000 रिश्वत देने की मांग की, जिस पर मामला 7000 पर तय हो गया.

याची ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की. शिकायत पर प्रारंभिक जांच के बाद विजिलेंस ने ट्रैप लगाकर मनोज कुमार सिंह को 7000 रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया और जेल भेज दिया गया. बाद में अभियोजन स्वीकृति मिलने में देरी और समय से चार्ज शीट दाखिल न होने के कारण अदालत ने मनोज को जमानत दे दी. इस दौरान 17 मई 2022 को इस मामले की विवेचना विजिलेंस की गोरखपुर शाखा से लेकर लखनऊ शाखा को दे दी गई.

याची के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा पारित तमाम न्यायिक आदेशों की नजीर पेश करते हुए कहा कि अभियुक्त की मांग पर विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. मगर अभियुक्त के आवेदन और कई मंत्रियों की संस्तुति पर विवेचना बदली गई है.

कोर्ट में 17 मई 2022 के आदेश का अवलोकन करने के बाद कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा स्थापित विधि कि सामान्यता अभियुक्त की मांग पर विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. मौजूदा मामले में स्पष्ट है कि इसमें राजनीतिक दखलअंदाजी और अभियुक्त के आवेदन पर विवेचना स्थानांतरित की गई है. इसके अलावा विवेचना स्थानांतरित करने का और कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है. कोर्ट ने 17 मई 2022 और 2 जून 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति दिए जाने को लेकर कोई आदेश पारित करने से इंकार कर दिया मगर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस पर 3 माह में निर्णय ले.

प्रयागराज: एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्यतः अभियुक्त की मांग और राजनीतिक दखलंदाजी के कारण किसी मामले की विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए खंड शिक्षा अधिकारी की जांच विजिलेंस की गोरखपुर शाखा से लखनऊ विजिलेंस को स्थानांतरित करने संबंधी आदेश को रद्द कर दिया है.

गौरव त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति वीके बिरला और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दिया. याचिका में गृह विभाग द्वारा पारित 17 मई और 2 जून 2022 के आदेशों को चुनौती दी गई थी. इस आदेश के द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह की अर्ज़ी पर उसके खिलाफ चल रही विवेचना को गोरखपुर विजिलेंस से लखनऊ विजिलेंस को स्थानांतरित कर दिया गया था.

मामले के अनुसार याची गौरव त्रिपाठी बस्ती के सल्तुआ विकासखंड में सहायक अध्यापक है . 26 अगस्त 2021 को तबीयत खराब होने के कारण व अवकाश पर थे. अवकाश की सूचना उन्होंने विद्यालय के प्रधानाध्यापक को दी थी और हाजिरी रजिस्टर में दर्ज भी थी. उस समय अवकाश के लिए ऑनलाइन पोर्टल बंद था, इसलिए याची ऑनलाइन अवकाश का आवेदन नहीं कर सकता था. आरोप है कि उसी दिन खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने विद्यालय का निरीक्षण किया और याची को अनुपस्थित पाते हुए रजिस्टर पर ओवर राइटिंग कर दी और उसे अनुपस्थित दिखा दिया. याची इस सिलसिले में जब मनोज कुमार सिंह से मिला तो उन्होंने उससे 10000 रिश्वत देने की मांग की, जिस पर मामला 7000 पर तय हो गया.

याची ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की. शिकायत पर प्रारंभिक जांच के बाद विजिलेंस ने ट्रैप लगाकर मनोज कुमार सिंह को 7000 रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया और जेल भेज दिया गया. बाद में अभियोजन स्वीकृति मिलने में देरी और समय से चार्ज शीट दाखिल न होने के कारण अदालत ने मनोज को जमानत दे दी. इस दौरान 17 मई 2022 को इस मामले की विवेचना विजिलेंस की गोरखपुर शाखा से लेकर लखनऊ शाखा को दे दी गई.

याची के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा पारित तमाम न्यायिक आदेशों की नजीर पेश करते हुए कहा कि अभियुक्त की मांग पर विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. मगर अभियुक्त के आवेदन और कई मंत्रियों की संस्तुति पर विवेचना बदली गई है.

कोर्ट में 17 मई 2022 के आदेश का अवलोकन करने के बाद कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा स्थापित विधि कि सामान्यता अभियुक्त की मांग पर विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. मौजूदा मामले में स्पष्ट है कि इसमें राजनीतिक दखलअंदाजी और अभियुक्त के आवेदन पर विवेचना स्थानांतरित की गई है. इसके अलावा विवेचना स्थानांतरित करने का और कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है. कोर्ट ने 17 मई 2022 और 2 जून 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति दिए जाने को लेकर कोई आदेश पारित करने से इंकार कर दिया मगर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस पर 3 माह में निर्णय ले.

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