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कोविड संदिग्ध मौत को माना जाए कोरोना से मौतः हाईकोर्ट - कोविड संदिग्ध मौत पर हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोविड संदिग्ध मौत को कोरोना से मौत माना जाए. कोई भी अस्पताल संदिग्ध मरीजों को गैर कोविड मरीज न समझें. कोर्ट ने न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज में लापरवाही की जांच के भी निर्देश दिए हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : May 12, 2021, 7:31 AM IST

Updated : May 12, 2021, 10:16 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज में लापरवाही की जांच का कोर्ट ने निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 3 दिन के भीतर एक जांच कमेटी गठित की जाए, जो 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट पेश करे. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार, सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि कोविड संदिग्ध मौत को कोरोना से मौत माना जाए.

दाह संस्कार में कोविड प्रोटोकॉल का हो पालन
कोर्ट ने कहा कोई भी अस्पताल संदिग्ध मरीजों को गैर कोविड मरीज न समझे, यदि कोई सर्दी जुकाम से भर्ती हुआ है और रिपोर्ट नहीं आयी है और मौत हो जाती है तो ऐसी मौत को कोरोना मौत माना जाए. बशर्ते कि उसे हार्ट या किडनी की अन्य गंभीर समस्या न हो. ऐसी मौत पर कोविड प्रोटोकॉल का दाह संस्कार में पालन कराया जाए.

डीएम मेरठ की रिपोर्ट से कोर्ट असंतुष्ट
हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य को 20 लोगों की मौत के भर्ती से लेकर मौत तक के पूरे ब्योरे के साथ नए सिरे से रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने जिलाधिकारी मेरठ की रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि सरकार का कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में जांच मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं, जबकि प्राचार्य का कहना है कि जांच की मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. कोर्ट ने रेमडेसीविर और टोर्सिलिन, ऑक्सीजन की सप्लाई न होने की वायरल खबरों के मामले में कहा है कि हर जिले में एक शिकायत सेल गठित की जाए. ग्रामीण अंचलों में एसडीएम को शिकायत की जाए, जो शिकायत कमेटी को सौंपेंगे.

पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित करने के निर्देश
कोर्ट ने हर जिले में 3 सदस्यीय पेंडेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें जिला जज से नामित सीजेएम या न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा नामित कोई प्रोफेसर, जहां कालेज न हो वहां लेबल फोर के जिला अस्पताल के किसी अधिकारी या एडीएम रैक अधिकारी की कमेटी बने. इसे 48 घंटे में गठित करने का निर्देश दिया है. साथ ही मुख्य सचिव को कहा है कि सभी जिलाधिकारियों को कमेटी गठन करने के संबंध में निर्देश जारी करें. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण अंचलों की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की स्थिति, उनके इलाज का विवरण पेश करने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा गांव में मर रहे लोग
राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि 2,92,41,314 घरों का सर्वे किया गया है, जिसमें से 4,24,631 लोगों में संक्रमण के तत्व पाए गए हैं जो संदिग्ध कोरोनावायरस की श्रेणी में रखे गए हैं. ऐसे सभी मरीजों को कोरोना की दवा दी गई है. 12,381 मरीजों को सांस लेने में दिक्कत है. ऐसे लोगों को ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, बीपैप मशीन, हाईफ्लो नोजल कैनुला मास्क दिया गया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपर मुख्य सचिव ने निर्देश जारी कर दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि गांव में इलाज की सुविधा नहीं है. लोग मर रहे हैं. देखभाल हो नहीं पा रही है. छोटे कस्बों में भी यही हालत है. लोगों का इलाज सही ढंग से नहीं हो रहा है.

इन जिलों की कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती जिलों की जनसंख्या, उनमें L-1 और L-2 अस्पतालों के बेड की संख्या, मेडिकल एवं फार्मा स्टाफ बीपैप मशीन, हाई फ्लो नोजल कैनुला मास्क की पूरी संख्या, तहसीलवार ग्रामीण आबादी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेड की संख्या, लाइफ सेविंग गैजेट, ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, सेंटर में मरीजों की इलाज की क्षमता, मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ, शहरी ग्रामीण टेस्टिंग की संख्या, किस लैब में टेस्ट हुआ. 30 मार्च 21 से अब तक का पूरा डाटा हलफनामे के जरिए पेश करने का निर्देश दिया है.

निजी अस्पताल को प्रताड़ित करने का आरोप
कोर्ट ने मेरठ और वाराणसी में मरीज के लापता होने के मामले को भी गंभीरता से लिया है और रिपोर्ट मांगी है. लखनऊ के सन हॉस्पिटल द्वारा दी गई अर्जी में बताया गया कि 1 और 2 मई को ऑक्सीजन की सिलेंडर की आपूर्ति नहीं की गई और जिलाधिकारी ने झूठी जानकारी दी है. अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. उसे परेशान किया जा रहा है, जिससे मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है. कोर्ट ने अस्पताल के उत्पीड़न पर रोक लगा दी है और सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.

टेंडर पर हस्तक्षेप करने से इंकार
सरकार ने बताया कि कोविड दवा के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है. इस मामले में कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन युद्धस्तर पर होना चाहिए. जब तक हर कोई वैक्सीनेटेड नहीं हो जाता कोई भी सुरक्षित नहीं है. उम्मीद जाहिर की कि दो-तीन माह में 2 तिहाई से अधिक ग्रामीण आबादी का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए.

1 करोड़ मुआवजा देने पर विचार
चुनाव आयोग की तरफ से ड्यूटी में मौत के मामले में पूरी जानकारी देने के लिए और समय मांगा गया. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अध्यापकों और शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी टास्क पर लगाया गया. लोगों की मौत हुई. मुआवजा पर्याप्त नहीं है. कोर्ट ने राज्य सरकार को एक करोड़ तक मुआवजा देने पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है.

अक्षम लोगों का कैसे होगा वैक्सीनेशन
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से शारीरिक रूप से अक्षम और श्रमिक जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा सकते या सेंटर पर वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ सकते. ऐसे लोगों के लिए योजना की पूरी जानकारी मांगी है. पूछा कि जो अक्षम व्यक्ति सेंटर पर नहीं आ सकते उनका वैक्सीनेशन कैसे किया जाएगा. इस संबंध में राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है और राज्य सरकार से पूछा है कि गांव में जो अनपढ़, लेबर आबादी है, जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर सकते, उनके वैक्सीनेशन की क्या योजना है. उसकी जानकारी दें और केन्द्रीय सरकार से भी पूछा है कि 18 से लेकर 45 साल के ग्रामीण लोग जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा सकते हैं उनका वैक्सीनेशन कैसे किया जाएगा.

न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव केस में 17 को सुनवाई
न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की मौत, उनके इलाज में लापरवाही की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने का कोर्ट ने आदेश दिया है, जिसमें सचिव स्तर के एक अधिकारी होंगे और एसजीपीजीआई के सीनियर पाल्मनोलॉजिस्ट और एक अवध बार एसोसिएशन द्वारा नामित सीनियर एडवोकेट, तीन सदस्यों की जांच कमेटी होगी. सीनियर रजिस्ट्रार लखनऊ पीठ कमेटी का संयोजन करेंगे और कमेटी 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी. याचिका की सुनवाई 17 मई को होगी. यह सारे आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने दिया.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज में लापरवाही की जांच का कोर्ट ने निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 3 दिन के भीतर एक जांच कमेटी गठित की जाए, जो 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट पेश करे. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार, सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि कोविड संदिग्ध मौत को कोरोना से मौत माना जाए.

दाह संस्कार में कोविड प्रोटोकॉल का हो पालन
कोर्ट ने कहा कोई भी अस्पताल संदिग्ध मरीजों को गैर कोविड मरीज न समझे, यदि कोई सर्दी जुकाम से भर्ती हुआ है और रिपोर्ट नहीं आयी है और मौत हो जाती है तो ऐसी मौत को कोरोना मौत माना जाए. बशर्ते कि उसे हार्ट या किडनी की अन्य गंभीर समस्या न हो. ऐसी मौत पर कोविड प्रोटोकॉल का दाह संस्कार में पालन कराया जाए.

डीएम मेरठ की रिपोर्ट से कोर्ट असंतुष्ट
हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य को 20 लोगों की मौत के भर्ती से लेकर मौत तक के पूरे ब्योरे के साथ नए सिरे से रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने जिलाधिकारी मेरठ की रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि सरकार का कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में जांच मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं, जबकि प्राचार्य का कहना है कि जांच की मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. कोर्ट ने रेमडेसीविर और टोर्सिलिन, ऑक्सीजन की सप्लाई न होने की वायरल खबरों के मामले में कहा है कि हर जिले में एक शिकायत सेल गठित की जाए. ग्रामीण अंचलों में एसडीएम को शिकायत की जाए, जो शिकायत कमेटी को सौंपेंगे.

पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित करने के निर्देश
कोर्ट ने हर जिले में 3 सदस्यीय पेंडेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें जिला जज से नामित सीजेएम या न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा नामित कोई प्रोफेसर, जहां कालेज न हो वहां लेबल फोर के जिला अस्पताल के किसी अधिकारी या एडीएम रैक अधिकारी की कमेटी बने. इसे 48 घंटे में गठित करने का निर्देश दिया है. साथ ही मुख्य सचिव को कहा है कि सभी जिलाधिकारियों को कमेटी गठन करने के संबंध में निर्देश जारी करें. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण अंचलों की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की स्थिति, उनके इलाज का विवरण पेश करने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा गांव में मर रहे लोग
राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि 2,92,41,314 घरों का सर्वे किया गया है, जिसमें से 4,24,631 लोगों में संक्रमण के तत्व पाए गए हैं जो संदिग्ध कोरोनावायरस की श्रेणी में रखे गए हैं. ऐसे सभी मरीजों को कोरोना की दवा दी गई है. 12,381 मरीजों को सांस लेने में दिक्कत है. ऐसे लोगों को ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, बीपैप मशीन, हाईफ्लो नोजल कैनुला मास्क दिया गया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपर मुख्य सचिव ने निर्देश जारी कर दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि गांव में इलाज की सुविधा नहीं है. लोग मर रहे हैं. देखभाल हो नहीं पा रही है. छोटे कस्बों में भी यही हालत है. लोगों का इलाज सही ढंग से नहीं हो रहा है.

इन जिलों की कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती जिलों की जनसंख्या, उनमें L-1 और L-2 अस्पतालों के बेड की संख्या, मेडिकल एवं फार्मा स्टाफ बीपैप मशीन, हाई फ्लो नोजल कैनुला मास्क की पूरी संख्या, तहसीलवार ग्रामीण आबादी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेड की संख्या, लाइफ सेविंग गैजेट, ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, सेंटर में मरीजों की इलाज की क्षमता, मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ, शहरी ग्रामीण टेस्टिंग की संख्या, किस लैब में टेस्ट हुआ. 30 मार्च 21 से अब तक का पूरा डाटा हलफनामे के जरिए पेश करने का निर्देश दिया है.

निजी अस्पताल को प्रताड़ित करने का आरोप
कोर्ट ने मेरठ और वाराणसी में मरीज के लापता होने के मामले को भी गंभीरता से लिया है और रिपोर्ट मांगी है. लखनऊ के सन हॉस्पिटल द्वारा दी गई अर्जी में बताया गया कि 1 और 2 मई को ऑक्सीजन की सिलेंडर की आपूर्ति नहीं की गई और जिलाधिकारी ने झूठी जानकारी दी है. अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. उसे परेशान किया जा रहा है, जिससे मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है. कोर्ट ने अस्पताल के उत्पीड़न पर रोक लगा दी है और सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.

टेंडर पर हस्तक्षेप करने से इंकार
सरकार ने बताया कि कोविड दवा के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है. इस मामले में कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन युद्धस्तर पर होना चाहिए. जब तक हर कोई वैक्सीनेटेड नहीं हो जाता कोई भी सुरक्षित नहीं है. उम्मीद जाहिर की कि दो-तीन माह में 2 तिहाई से अधिक ग्रामीण आबादी का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए.

1 करोड़ मुआवजा देने पर विचार
चुनाव आयोग की तरफ से ड्यूटी में मौत के मामले में पूरी जानकारी देने के लिए और समय मांगा गया. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अध्यापकों और शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी टास्क पर लगाया गया. लोगों की मौत हुई. मुआवजा पर्याप्त नहीं है. कोर्ट ने राज्य सरकार को एक करोड़ तक मुआवजा देने पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है.

अक्षम लोगों का कैसे होगा वैक्सीनेशन
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से शारीरिक रूप से अक्षम और श्रमिक जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा सकते या सेंटर पर वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ सकते. ऐसे लोगों के लिए योजना की पूरी जानकारी मांगी है. पूछा कि जो अक्षम व्यक्ति सेंटर पर नहीं आ सकते उनका वैक्सीनेशन कैसे किया जाएगा. इस संबंध में राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है और राज्य सरकार से पूछा है कि गांव में जो अनपढ़, लेबर आबादी है, जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर सकते, उनके वैक्सीनेशन की क्या योजना है. उसकी जानकारी दें और केन्द्रीय सरकार से भी पूछा है कि 18 से लेकर 45 साल के ग्रामीण लोग जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा सकते हैं उनका वैक्सीनेशन कैसे किया जाएगा.

न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव केस में 17 को सुनवाई
न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की मौत, उनके इलाज में लापरवाही की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने का कोर्ट ने आदेश दिया है, जिसमें सचिव स्तर के एक अधिकारी होंगे और एसजीपीजीआई के सीनियर पाल्मनोलॉजिस्ट और एक अवध बार एसोसिएशन द्वारा नामित सीनियर एडवोकेट, तीन सदस्यों की जांच कमेटी होगी. सीनियर रजिस्ट्रार लखनऊ पीठ कमेटी का संयोजन करेंगे और कमेटी 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी. याचिका की सुनवाई 17 मई को होगी. यह सारे आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने दिया.

Last Updated : May 12, 2021, 10:16 AM IST
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