प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले मे कहा है कि कमिश्नर या जिला प्रशासन को बेसिक शिक्षा बोर्ड के कार्य में हस्तक्षेप करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. शिक्षा की गुणवत्ता और संचालन के लिए अलग प्राधिकारी नियुक्त किया गया है. सरकार को सीमित अधिकार दिया गया है. इसलिए नियुक्ति में अनियमितता के मामले की कमिश्नर को जांच का आदेश देने का अधिकार नहीं है.
कोर्ट ने कमिश्नर आजमगढ़ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई नियुक्तियों की चार सदस्यीय कमेटी से जांच कराने के आदेश को अवैध और क्षेत्राधिकार से बाहर करार दिया है. हाईकोर्ट ने प्रबंध समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर अध्यापकों का वेतन रोकने के बेसिक शिक्षा सचिव के आदेश को भी रद्द कर दिया है. कोर्ट ने अध्यापकों को कारण बताओ नोटिस एवं बर्खास्तगी कार्रवाई को भी अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि सचिव ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने श्री दुर्गा पूर्व माध्यमिक बालिका जामिन और कई अन्य विद्यालयों की प्रबंध समितियों, अध्यापक और प्रधानाध्यापकों की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
इस मामले पर हुई सुनवाई
आजमगढ़ जिले में अध्यापकों की नियुक्ति में अनियमितता की जांच के लिए कमिश्नर ने सेवानिवृत होने से छः महीने पहले चार सदस्यीय समिति बना दी. समिति ने बीएसए कार्यालय के रिकार्ड को बिना देखे याचियों को नोटिस देकर जांच रिपोर्ट पेश करने के साथ ही कार्रवाई की संस्तुति कर दी. कमिश्नर ने इसे अनुमोदन के लिए सचिव को भेज दिया, जिसपर हुई कार्रवाई को चुनौती दी गयी थी. बहस की गयी की शिक्षा के लिए अलग कानून है. अनियमितता पर कार्रवाई के लिए प्राधिकारी नियुक्त है. प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, जिसे कोर्ट ने सही माना और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की गई कमिश्नर और सचिव की कार्रवाई को रद्द कर दिया है.