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रेलवे स्टेशन और सड़क से धार्मिक स्थल हटाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, 15 दिसंबर तक मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कानपुर व लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों, रेल पटरियों के किनारे और बीच में मजारें बनी हैं. सार्वजनिक स्थलों पर इस प्रकार के निर्माण से दुर्घटना की प्रबल संभावना रहती है.

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Allahabad High Court
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Published : Nov 4, 2022, 8:36 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में रेलवे स्टेशनों, सड़कों, पार्कों व अन्य सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक स्थलों को हटाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर रेल मंत्रालय व राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने जन उद्घोष सेवा संस्थान और पांच अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया है कि कानपुर व लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों, रेल पटरियों के किनारे और बीच में मजारें बनी हैं. सार्वजनिक स्थलों पर इस प्रकार के निर्माण से दुर्घटना की प्रबल संभावना रहती है. इसलिए सार्वजनिक स्थानों से ऐसे निर्माण हटाया जाएं.

केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि लखनऊ व कानपुर रेलवे स्टेशन पर बनीं मजारें काफी पुराने समय की हैं. उन्होंने इसे हटाने के लिए एक नीति बनाकर निर्णय लेने के लिए कोर्ट से कुछ समय की मांग की. कोर्ट ने समय देते हुए कहा कि रेल मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में 15 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करें.

ये भी पढ़ेंः सीएम योगी आज फिर हिमाचल में कई चुनावी जनसभाओं को करेंगे संबोधित

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में रेलवे स्टेशनों, सड़कों, पार्कों व अन्य सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक स्थलों को हटाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर रेल मंत्रालय व राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने जन उद्घोष सेवा संस्थान और पांच अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया है कि कानपुर व लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों, रेल पटरियों के किनारे और बीच में मजारें बनी हैं. सार्वजनिक स्थलों पर इस प्रकार के निर्माण से दुर्घटना की प्रबल संभावना रहती है. इसलिए सार्वजनिक स्थानों से ऐसे निर्माण हटाया जाएं.

केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि लखनऊ व कानपुर रेलवे स्टेशन पर बनीं मजारें काफी पुराने समय की हैं. उन्होंने इसे हटाने के लिए एक नीति बनाकर निर्णय लेने के लिए कोर्ट से कुछ समय की मांग की. कोर्ट ने समय देते हुए कहा कि रेल मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में 15 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करें.

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