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'आयुष्मान भारत' घोटाला: अस्पताल के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'आयुष्मान भारत' योजना और 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य' योजना में फ्राड करने के आरोप में दयाल नर्सिंग होम मुंडेरा प्रयागराज की संबद्धता निरस्त करने के 24 दिसंबर 2020 के आदेश को नैसर्गिक न्याय के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायाधीश एसपी केशरवानी और न्यायाधीश आर.एन तिलहरी की खंडपीठ ने अस्पताल मालिक मुकेश टंडन की याचिका पर दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Mar 16, 2021, 7:22 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'आयुष्मान भारत' योजना और 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य' योजना में फ्राड करने के आरोप में दयाल नर्सिंग होम मुंडेरा प्रयागराज की संबद्धता निरस्त करने के 24 दिसंबर 2020 के आदेश को नैसर्गिक न्याय के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने योजना के दिशा-निर्देश के तहत अस्पताल मालिक याची को सुनवाई का मौका देते हुए नये सिरे से 30 दिन में आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अस्पताल की योजना से संबद्धता निलंबित करने का 4 दिसंबर 2020 का आदेश इस मामले में लिए जाने वाले अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने कहा है कि कार्यवाही निष्पक्षता से पूरी की जाए.

यह आदेश न्यायाधीश एसपी केशरवानी और न्यायाधीश आर.एन तिलहरी की खंडपीठ ने अस्पताल मालिक मुकेश टंडन की याचिका पर दिया. मालूम हो कि नेशनल एन्टी फ्राड यूनिट को अस्पताल में योजना के घपले की सूचना मिली. उसने स्टेट हेल्थ एजेन्सी अविघ्न मेडनेट (ओपीसी) प्रा. लि से एनालिसिस रिपोर्ट के आधार पर जांच बैठाई और अस्पताल की योजना से संबद्धता निलंबित कर दी. स्टेट हेल्थ एजेंसी की 15 दिसंबर 2020 की रिपोर्ट पर आरोप की पुष्टि होने पर संबद्धता निरस्त कर दी गई और मुख्य अधिशासी अधिकारी ने पेनाल्टी लगाते हुए नुकसान की वसूली का आदेश दिया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी.

याची का कहना था कि कार्यवाही प्रक्रिया में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया. खुद ही शिकायत ली और खुद ही जांच कर बिना आरोपी का पक्ष सुने एकपक्षीय आदेश दे दिया गया. कोर्ट ने कहा कि किसी के खिलाफ कार्रवाई से पहले उसका पक्ष सुना जाना चाहिए. न्याय किया जाना प्रतीत भी होना चाहिए और आदेश जारी करने से पहले कारण बताओ नोटिस दी जानी चाहिए थी, जो कि नहीं किया गया. इस आधार पर कोर्ट ने संबद्धता निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'आयुष्मान भारत' योजना और 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य' योजना में फ्राड करने के आरोप में दयाल नर्सिंग होम मुंडेरा प्रयागराज की संबद्धता निरस्त करने के 24 दिसंबर 2020 के आदेश को नैसर्गिक न्याय के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने योजना के दिशा-निर्देश के तहत अस्पताल मालिक याची को सुनवाई का मौका देते हुए नये सिरे से 30 दिन में आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अस्पताल की योजना से संबद्धता निलंबित करने का 4 दिसंबर 2020 का आदेश इस मामले में लिए जाने वाले अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने कहा है कि कार्यवाही निष्पक्षता से पूरी की जाए.

यह आदेश न्यायाधीश एसपी केशरवानी और न्यायाधीश आर.एन तिलहरी की खंडपीठ ने अस्पताल मालिक मुकेश टंडन की याचिका पर दिया. मालूम हो कि नेशनल एन्टी फ्राड यूनिट को अस्पताल में योजना के घपले की सूचना मिली. उसने स्टेट हेल्थ एजेन्सी अविघ्न मेडनेट (ओपीसी) प्रा. लि से एनालिसिस रिपोर्ट के आधार पर जांच बैठाई और अस्पताल की योजना से संबद्धता निलंबित कर दी. स्टेट हेल्थ एजेंसी की 15 दिसंबर 2020 की रिपोर्ट पर आरोप की पुष्टि होने पर संबद्धता निरस्त कर दी गई और मुख्य अधिशासी अधिकारी ने पेनाल्टी लगाते हुए नुकसान की वसूली का आदेश दिया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी.

याची का कहना था कि कार्यवाही प्रक्रिया में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया. खुद ही शिकायत ली और खुद ही जांच कर बिना आरोपी का पक्ष सुने एकपक्षीय आदेश दे दिया गया. कोर्ट ने कहा कि किसी के खिलाफ कार्रवाई से पहले उसका पक्ष सुना जाना चाहिए. न्याय किया जाना प्रतीत भी होना चाहिए और आदेश जारी करने से पहले कारण बताओ नोटिस दी जानी चाहिए थी, जो कि नहीं किया गया. इस आधार पर कोर्ट ने संबद्धता निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है.

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