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PCS मेंस परीक्षा में आवेदन की हार्ड कॉपी स्वीकार करने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 सितंबर से होने वाली उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए फार्म की हार्ड कॉपी स्वीकार कर याची अभ्यर्थी को परीक्षा में शामिल करने का लोक सेवा आयोग को आदेश दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Sep 19, 2020, 6:25 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 सितम्बर से होने वाली उप्र. लोक सेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा फार्म की याची अभ्यर्थी की हार्ड कॉपी स्वीकार कर परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया है. अभ्यर्थी कंटेनमेंट जोन में फंसे होने के कारण ऑनलाइन आवेदन की हार्ड कॉपी जमा नहीं कर पाया था. निर्धारित अवधि के बाद जब इसे जमा करने गया तो आयोग ने स्वीकार नहीं किया. इसके बाद अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट की शरण ली, जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने अभ्यर्थी को बड़ी राहत दी है.

कोर्ट ने कहा कि विशेष स्थिति के कारण फार्म जमा करने में देरी हुई, जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था. कोर्ट ने कहा कि आयोग दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन कर मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दे.

कोर्ट ने आयोग से याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 12 अक्तूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता ने प्रयागराज के सार्थक रहेजा की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि वह उस समय दिल्ली में था. कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया गया. इसके बाद वह कंटेनमेंट जोन में फंस गया. सारे शैक्षिक दस्तावेज प्रयागराज में थे. वह डाक से फार्म भेजने की स्थिति में नहीं था. लॉकडाउन खुलने के बाद प्रयागराज आया और 15 दिन सेल्फ क्वारंटाइन में रहा. 16 जून को फार्म जमा करने आयोग पहुंचा, तो आयोग ने फार्म लेने से इनकार कर दिया गया.

आयोग के अधिवक्ता ने कहा
आयोग के अधिवक्ता का कहना है कि याची ने ऑनलाइन फार्म 27 फरवरी को ही डाउनलोड कर लिया था. उसे अंतिम तिथि तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं थी. आयोग ने 15 मई तक फार्म जमा करने की तिथि बढ़ा दी थी, फिर भी समय से फार्म जमा नहीं किया गया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 सितम्बर से होने वाली उप्र. लोक सेवा आयोग की पीसीएस मुख्य परीक्षा फार्म की याची अभ्यर्थी की हार्ड कॉपी स्वीकार कर परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया है. अभ्यर्थी कंटेनमेंट जोन में फंसे होने के कारण ऑनलाइन आवेदन की हार्ड कॉपी जमा नहीं कर पाया था. निर्धारित अवधि के बाद जब इसे जमा करने गया तो आयोग ने स्वीकार नहीं किया. इसके बाद अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट की शरण ली, जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने अभ्यर्थी को बड़ी राहत दी है.

कोर्ट ने कहा कि विशेष स्थिति के कारण फार्म जमा करने में देरी हुई, जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था. कोर्ट ने कहा कि आयोग दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन कर मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दे.

कोर्ट ने आयोग से याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 12 अक्तूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता ने प्रयागराज के सार्थक रहेजा की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि वह उस समय दिल्ली में था. कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया गया. इसके बाद वह कंटेनमेंट जोन में फंस गया. सारे शैक्षिक दस्तावेज प्रयागराज में थे. वह डाक से फार्म भेजने की स्थिति में नहीं था. लॉकडाउन खुलने के बाद प्रयागराज आया और 15 दिन सेल्फ क्वारंटाइन में रहा. 16 जून को फार्म जमा करने आयोग पहुंचा, तो आयोग ने फार्म लेने से इनकार कर दिया गया.

आयोग के अधिवक्ता ने कहा
आयोग के अधिवक्ता का कहना है कि याची ने ऑनलाइन फार्म 27 फरवरी को ही डाउनलोड कर लिया था. उसे अंतिम तिथि तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं थी. आयोग ने 15 मई तक फार्म जमा करने की तिथि बढ़ा दी थी, फिर भी समय से फार्म जमा नहीं किया गया.

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