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सहायक प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से सहायक प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती के मामले में जवाब (Allahabad High Court Order) मांगा.

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Published : May 6, 2023, 7:28 AM IST

प्रयागराज: प्रदेश में सभी स्तर की शिक्षक भर्तियों के लिए राज्य सरकार एक आयोग बनाने की तैयारी में है. इसका मसौदा कैबिनेट से पास हो गया है. यही वजह है कि सरकार उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं कर रही है. पद रिक्त होने के कारण सहायक प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती (Recruitment for 907 posts of Assistant Professor) अटकी हुई है. इसे लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट की शरण में है.

आयोग की की ओर से कहा गया कि 2014 के उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग नियमावली के अंतर्गत कम से कम 3 सदस्यों का होना आवश्यक है, इसलिए चयन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पा रही है. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अनूप बरनवाल का कहना था कि ऐसी परिस्थिति में 'आवश्यकता का सिद्धांत' लागू करना न्यायहित में है. ललित मोदी और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस की गई कि राज्य सरकार द्वारा आयोग में नियुक्ति न करने के आधार पर चयन प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए लंबित नहीं किया जा सकता है.

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सभी स्तर के आयोगों का एकीकरण कर एक आयोग बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित किया गया है. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम, 1980 विधायिका द्वारा पारित विद्यमान कानून है और वर्तमान में लागू है.

मात्र कैबिनेट के प्रस्ताव के आधार पर इस कानून को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश (Allahabad High Court Order) दिया है कि या तो वह कोरम पूर्ण करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, अन्यथा हाईकोर्ट अगली तिथि को 'आवश्यकता का सिद्धांत' लागू करते हुए वर्तमान आयोग को चयन प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए आवश्यक निर्देश देगा. मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी.

ये भी पढ़ें- लापरवाही के कारण सहारा अस्पताल पर एक करोड़ का जुर्माना, राज्य उपभोक्ता आयोग का आदेश

प्रयागराज: प्रदेश में सभी स्तर की शिक्षक भर्तियों के लिए राज्य सरकार एक आयोग बनाने की तैयारी में है. इसका मसौदा कैबिनेट से पास हो गया है. यही वजह है कि सरकार उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं कर रही है. पद रिक्त होने के कारण सहायक प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती (Recruitment for 907 posts of Assistant Professor) अटकी हुई है. इसे लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट की शरण में है.

आयोग की की ओर से कहा गया कि 2014 के उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग नियमावली के अंतर्गत कम से कम 3 सदस्यों का होना आवश्यक है, इसलिए चयन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पा रही है. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अनूप बरनवाल का कहना था कि ऐसी परिस्थिति में 'आवश्यकता का सिद्धांत' लागू करना न्यायहित में है. ललित मोदी और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस की गई कि राज्य सरकार द्वारा आयोग में नियुक्ति न करने के आधार पर चयन प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए लंबित नहीं किया जा सकता है.

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सभी स्तर के आयोगों का एकीकरण कर एक आयोग बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित किया गया है. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम, 1980 विधायिका द्वारा पारित विद्यमान कानून है और वर्तमान में लागू है.

मात्र कैबिनेट के प्रस्ताव के आधार पर इस कानून को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश (Allahabad High Court Order) दिया है कि या तो वह कोरम पूर्ण करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, अन्यथा हाईकोर्ट अगली तिथि को 'आवश्यकता का सिद्धांत' लागू करते हुए वर्तमान आयोग को चयन प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए आवश्यक निर्देश देगा. मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी.

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