प्रयागराज: पॉलिथीन की बिक्री व प्रयोग पर रोक के बावजूद इसके धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जाने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जांच के लिए कमेटी गठित की है. कोर्ट ने कुछ वकीलों व छात्रों की कमेटी गठित कर इसे अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने गंगा के उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाने संबंधी अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिए ओमेक्स सिटी व रियलकॉन की अर्जी विचार हेतु स्वीकार कर ली है.
बुधवार को गंगा प्रदूषण याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की . कोर्ट के समक्ष यह मुद्दा उठाया गया कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग व बिक्री पर रोक के बावजूद इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. और नगर निगम इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है . जबकि नगर निगम की ओर से अधिवक्ता ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि पॉलिथीन के उपयोग के खिलाफ नगर निगम द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है कार्रवाई भी की जाती है.
मगर कुछ दिन में ही लोग दोबारा इसका इस्तेमाल शुरू कर देते हैं. नगर निगम इस पर लगातार कार्रवाई कर रहा है . कोर्ट ने इस मामले पर जांच के लिए कुछ वकीलों व छात्रों की एक कमेटी गठित करते हुए उसे अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है ताकि पॉलिथीन के उपयोग पर पूरी तरीके से रोक लगाने के संबंध में उचित निर्देश दिया जा सके.
हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में गंगा के उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी. इस इस आदेश की वजह गंगा के किनारे बन रही ओमेक्स सिटी की प्रस्तावित परियोजना खटाई में पड़ गई . ओमेक्स की ओर से हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर हाई कोर्ट से उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई है कहा गया कि पूरे प्रदेश में सरकार की ओर से जो अधिसूचना जारी है.
उसके तक सिर्फ 200 मीटर तक ही निर्माण पर रोक है. 500 मीटर तक रोक लगाने के आदेश से निवेशकों की बड़ी रकम फस गई है तथा पूरी परियोजना खटाई में पड़ गई है यह भी कहा गया कि उच्चतम बाण बिंदु से 500 मीटर की दूरी तक रोक का आदेश व्यवहारिक दृष्टि से उपयुक्त नहीं है . कोर्ट ने यह अर्जी विचार के लिए स्वीकार कर ली है मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को भी होगी. (Allahabad High Court on polythene use)
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