प्रयाराजः भवन किराएदारी को लेकर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने भवन के साथ खुली जमीन को भी किराए के दायरे में रखने का निर्णय दिया है. दरअसल, कानपुर नगर सब्जी मंडी स्थित मकान के खुले एरिया में जानवरों की नाद को लेकर किरायेदार मुन्नू यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने फैसला दिया है कि आउट हॉउस, गैराज, गार्डेन भी भवन का ही हिस्सा है. छत विहीन होने के बावजूद वह भवन माना जायेगा.
किराया न देने पर जानवरों की चरही से बेदखली सही
आपको बता दें कि किरायेदार मुन्नू यादव ने खुले मैदान पर छत न होने के आधार पर भवन मानने से इनकार कर दिया था. उसने कहा था कि उसकी किरायेदारी की बेदखली किराया कानून के तहत नहीं की जा सकती. कोर्ट ने जानवरों की चरही को भवन मानते हुए किरायेदारी से बेदखली आदेश को वैध करार दिया है और किरायेदार की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है.
भवन का आशय रिहायशी और व्यावसायिक है
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने कानपुर नगर सब्जी मंडी स्थित मकान संख्या 76/184 के खुले एरिया में जानवरों की नाद के किरायेदार मुन्नू यादव की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा भवन का आशय रिहायशी और व्यावसायिक है. इसमें सटी हुई जमीन भी शामिल है. जरूरी नहीं कि जमीन छत से ढंकी हो.
लघुवाद न्यायाधीश ने मकानमालिक के पक्ष में दिया था फैसला
मालूम हो कि मकान मालिक रामकुमार यादव ने मकान की खुली जगह पर जानवरों को खिलाने के लिए बनी 4 नाद याची को किराए पर दी. किराया बकाये पर मकान मालिक ने 18 जून 2016 को नोटिस दी. किरायेदार ने न किराया दिया और न ही चरही खाली किया तो वाद दायर हुआ. लघुवाद न्यायाधीश कानपुर नगर ने मकानमालिक के पक्ष में फैसला दिया. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी.
किराये पर दिए भवन के बेहतर उपयोग का मकान मालिक को हकः हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मकान मालिक को अपनी जमीन का बेहतर उपयोग करने का अधिकार है. मकान मालिक पुराना एक मंजिला मकान गिराकर नक्शे के अनुसार काम्प्लेक्स का निर्माण कर सकता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मकान मालिक किराये के दूकानदारों को काम्प्लेक्स में यादि दुकान दे रहा है तो पुराना एक मंजिला मकान गिराकर नक्शे के अनुसार काम्प्लेक्स का निर्माण कर सकता है. किरायेदार काम्प्लेक्स के लिए अवरोध नहीं खड़ा कर सकते.
किरायेदार को निर्माण पर आपत्ति का अधिकार नहीं
कोर्ट ने किरायेदार दूकानदार की याचिका को पांच हजार हर्जाने के साथ खारिज कर दी है और अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को सही माना है. कोर्ट ने कहा मकान मालिक को बेहतर सुविधा देकर अधिक किराया लेने का भी अधिकार है. मकान मालिक की जरूरत के आधार पर इसपर आपत्ति नही की जा सकती. किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि मकान मालिक की योजना में बदलाव करने के लिए बाध्य करे.
मुजफ्फरनगर के बाग केशवदास का मामला
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने मुजफ्फरनगर रुड़की रोड पर बाग केशवदास में किराये के दुकानदार सुरेंद्र सिंह की याचिका पर दिया है. अलोक स्वरूप की सड़क पर 7 दूकानें थी. जिसमें से एक याची को किराए पर दी गयी थी. जिसमें बिजली के सामान की दुकान है. मकान मालिक ने अपनी जमीन पर नक्शा पास कराकर काम्प्लेक्स का निर्माण कराया. भूतल पर याची को दुकान भी दी.
किरायेदार की याचिका पांच हजार हर्जाने के साथ खारिज
काम्प्लेक्स के सामने बनी दूकान याची खाली नहीं कर रहा था. तो बेदखली वाद दायर हुआ. कोर्ट ने किरायेदार को पुरानी दूकान खाली करने का आदेश दिया है. सक्षम प्राधिकारी ने दूकान की जर्जर हालत और मालिक की जरूरत के आधार पर यह आदेश दिया. इसके खिलाफ अपील पांच हजार हर्जाने के साथ खारिज हो गयी. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी.