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प्रयागराज: हाईकोर्ट ने सहारनपुर डीएम को जारी किया कारण बताओ नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारनपुर डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने यह आदेश गवर्नमेंट पीजी कॉलेज देवबंद के रिटायर्ड प्रिंसिपल के खिलाफ आदेश पारित करने के मामले में दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Feb 8, 2020, 11:26 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज देवबंद के रिटायर्ड प्रिंसिपल के खिलाफ आदेश पारित करने के मामले में सहारनपुर डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने उनसे पूछा है कि तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए किस अधिकार से उन्होंने आदेश पारित किया है. कोर्ट ने डीएम को स्पष्ट करने के लिए कहा है कि यदि उनका आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर और शक्ति का बेजा इस्तेमाल पाया जाता है तो क्यों न उनके ऊपर ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाए, जिसकी वसूली उनके वेतन से की जाएगी.

अशोक कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने दिया है. याचिका पर पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय का कहना था जिलाधिकारी सहारनपुर ने अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल कर रिटायर्ड प्रिंसिपल के के खिलाफ आदेश पारित किया है, जबकि उनके खिलाफ हुई जांच में निर्दोष पाए गए थे और राज्यपाल ने उनको दोषमुक्त किया था.

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जिलाधिकारी ने राज्यपाल व हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर आदेश पारित किया है. पुलिस मामले के अनुसार 20 नवंबर 2006 को पीजी कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया. प्रतिपक्ष जो कि दिब्यांग था उसने भी आवेदन किया. उसकी नियुक्ति नहीं हो सकी तो इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

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याची ने प्रिंसिपल के खिलाफ सरकार में भी शिकायत की, उसकी शिकायत पर जांच कमेटी गठित की गई और जांच के बाद राज्यपाल ने प्रिंसिपल को निर्दोष पाया. इसके बाद हाइकोर्ट से याचिका वापस ले ली गई. 2016 में नया कानून आने के बाद याची ने फिर शिकायत की और डीएम ने उस पर संज्ञान ले कर आदेश पारित कर दिया. इस आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज देवबंद के रिटायर्ड प्रिंसिपल के खिलाफ आदेश पारित करने के मामले में सहारनपुर डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने उनसे पूछा है कि तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए किस अधिकार से उन्होंने आदेश पारित किया है. कोर्ट ने डीएम को स्पष्ट करने के लिए कहा है कि यदि उनका आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर और शक्ति का बेजा इस्तेमाल पाया जाता है तो क्यों न उनके ऊपर ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाए, जिसकी वसूली उनके वेतन से की जाएगी.

अशोक कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने दिया है. याचिका पर पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय का कहना था जिलाधिकारी सहारनपुर ने अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल कर रिटायर्ड प्रिंसिपल के के खिलाफ आदेश पारित किया है, जबकि उनके खिलाफ हुई जांच में निर्दोष पाए गए थे और राज्यपाल ने उनको दोषमुक्त किया था.

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जिलाधिकारी ने राज्यपाल व हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर आदेश पारित किया है. पुलिस मामले के अनुसार 20 नवंबर 2006 को पीजी कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया. प्रतिपक्ष जो कि दिब्यांग था उसने भी आवेदन किया. उसकी नियुक्ति नहीं हो सकी तो इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

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याची ने प्रिंसिपल के खिलाफ सरकार में भी शिकायत की, उसकी शिकायत पर जांच कमेटी गठित की गई और जांच के बाद राज्यपाल ने प्रिंसिपल को निर्दोष पाया. इसके बाद हाइकोर्ट से याचिका वापस ले ली गई. 2016 में नया कानून आने के बाद याची ने फिर शिकायत की और डीएम ने उस पर संज्ञान ले कर आदेश पारित कर दिया. इस आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी.

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हाईकोर्ट


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