प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नई पेंशन योजना लागू होने के पूर्व जारी विज्ञापन पर चयनित सहायक अध्यापकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि नई पेंशन स्कीम लागू होने से पहले के विज्ञापन से चयनित सहायक अध्यापकों को पुरानी पेंशन पाने का आधिकार है. कोर्ट ने सरकार की यह दलील नहीं मानी कि सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद की गई है. इसलिए उनको पुरानी पेंशन की जगह नई पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने नंदलाल यादव समेत कई याचिकाओं पर दिया.
याचिकाओं में इसे चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके साथ चयनित और नियुक्त अन्य सभी अध्यापकों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिल रहा है. लेकिन, याचियों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है. उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. अन्य चयनित सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां नई पेंशन स्कीम लागू होने से पहले हो गई थीं. विभाग की गलती के कारण उनको बाद में जॉइन कराया गया था.
वर्ष 2002 में सहायक अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ. 29 नवंबर 2004 को इंटरव्यू हुआ और 24 दिसंबर 2004 को परिणाम घोषित किया गया. घोषित परिणामों के आधार पर अधिकतर अध्यापकों को नियुक्ति पत्र देकर उन्हें जॉइन करा दिया गया. याचियों को कॉलेज मैनेजमेंट ने जॉइन नहीं कराया. बाद में बोर्ड के हस्तक्षेप पर दूसरे कॉलेजों में जॉइन कराया गया. याचियों की नियुक्ति एवं जॉइनिंग नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद हुई. इस कारण उन्हें नई पेंशन स्कीम से आच्छादित मानते हुए पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था. कोर्ट ने इसे सही नहीं माना.
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