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विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति देने का जिला विद्यालय निरीक्षक को कोर्ट का निर्देश

याची ने विमला श्रीवास्तव केस का हवाला देकर कहा कि कोर्ट ने विवाहित पुत्र की तरह विवाहित पुत्री को भी आश्रित कोटे में नियुक्ति प्राप्त करने का हकदार माना है. कोर्ट ने कहा है कि सेक्स के आधार पर भेद नहीं किया जा सकता.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Aug 16, 2021, 11:00 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित पुत्री को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने से इंकार करने के जिला विद्यालय निरीक्षक फतेहपुर के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही तीन माह में याची नियुक्ति के लिए अर्ह मानते हुए आदेश जारी करने का निर्देश दिया है.

जिला विद्यालय निरीक्षक ने यह कहते हुए याची को आश्रित कोटे में नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था कि विधवा, तलाकशुदा पुत्री ही नियुक्ति पाने की हकदार हैं. विवाहिता पुत्री को नहीं. याची ने विमला श्रीवास्तव केस का हवाला देकर कहा कि कोर्ट ने विवाहित पुत्र की तरह विवाहित पुत्री को भी आश्रित कोटे में नियुक्ति प्राप्त करने का हकदार माना है. कोर्ट ने कहा है कि सेक्स के आधार पर भेद नहीं किया जा सकता.

इसे भी पढ़ें- Allahabad High Court: असिस्टेंट प्रोफेसर चयन मामले में हाईकोर्ट में जवाब तलब

जिस पर कोर्ट ने नए सिरे से नियुक्ति पर आदेश जारी करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने श्रीमती रेखा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की.

इनका कहना था कि याची की मां राजकीय बालिका इंटर कॉलेज फतेहपुर में परिचारिका थीं. सेवाकाल में उसकी मृत्यु हो गई. याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी. जिसे डीआईओएस ने निरस्त कर दिया था. इस आदेश को चुनौती दी गई थी.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित पुत्री को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने से इंकार करने के जिला विद्यालय निरीक्षक फतेहपुर के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही तीन माह में याची नियुक्ति के लिए अर्ह मानते हुए आदेश जारी करने का निर्देश दिया है.

जिला विद्यालय निरीक्षक ने यह कहते हुए याची को आश्रित कोटे में नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था कि विधवा, तलाकशुदा पुत्री ही नियुक्ति पाने की हकदार हैं. विवाहिता पुत्री को नहीं. याची ने विमला श्रीवास्तव केस का हवाला देकर कहा कि कोर्ट ने विवाहित पुत्र की तरह विवाहित पुत्री को भी आश्रित कोटे में नियुक्ति प्राप्त करने का हकदार माना है. कोर्ट ने कहा है कि सेक्स के आधार पर भेद नहीं किया जा सकता.

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जिस पर कोर्ट ने नए सिरे से नियुक्ति पर आदेश जारी करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने श्रीमती रेखा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की.

इनका कहना था कि याची की मां राजकीय बालिका इंटर कॉलेज फतेहपुर में परिचारिका थीं. सेवाकाल में उसकी मृत्यु हो गई. याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी. जिसे डीआईओएस ने निरस्त कर दिया था. इस आदेश को चुनौती दी गई थी.

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