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हाईकोर्ट ने लश्कर ग्रुप के सदस्य की जमानत अर्जी की खारिज, जिहादी वीडियो प्रसारित करने का है आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आतंकवादी लश्कर समूह से जुड़े, भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने वाले आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी.

Lashkar member Enamul Haq
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Published : Aug 16, 2023, 10:32 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपी लश्कर ग्रुप के सदस्य इनामुल हक की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया.न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए इनामुल हक को जमानत पर रिहा करने का आदेश देने से इनकार कर दिया. इनामुल हक को यूपी एटीएस ने मार्च 2022 में गिरफ्तार किया था. इस पर जिहादी साहित्य का वीडियो प्रसारित करने का आरोप है.

एफआईआर के अनुसार याची इनामुल हक व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन था, जिसमें जिहादी साहित्य, जिहादी वीडियो का प्रसार किया जाता था. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि इनामुल ने स्वीकार किया था कि वह जिहादी बनना चाहता है. उसने यह भी स्वीकार किया था कि वह लश्कर से जुड़ा था और पिछले 15-16 वर्षों से एक व्हाट्सएप ग्रुप चला रहा था. उस ग्रुप का संचालन उसके द्वारा किया जाता था. उस ग्रुप में 181 सदस्य थे. जिनमें 170 पाकिस्तान, 3 अफगानिस्तान, एक मलेशिया, एक बांग्लादेश और 6 सदस्य भारत के थे. इनामुल एक ऐसा ही ग्रुप चला रहा था और लोगों को इसमें शामिल होने के लिए प्रलोभन भी दिया जा रहा था.

याची के अधिवक्ता ने कहा कि एफआईआर से याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए का अपराध नहीं बनता है. सरकारी वकील ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि याची नफरत फैला रहा है और भारत विरोधी प्रचार कर रहा है. ऐसे में उस पर अपराध स्पष्ट रूप से बन रहा है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने इनामुल हक की जमानत अर्जी खारिज कर दी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपी लश्कर ग्रुप के सदस्य इनामुल हक की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया.न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए इनामुल हक को जमानत पर रिहा करने का आदेश देने से इनकार कर दिया. इनामुल हक को यूपी एटीएस ने मार्च 2022 में गिरफ्तार किया था. इस पर जिहादी साहित्य का वीडियो प्रसारित करने का आरोप है.

एफआईआर के अनुसार याची इनामुल हक व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन था, जिसमें जिहादी साहित्य, जिहादी वीडियो का प्रसार किया जाता था. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि इनामुल ने स्वीकार किया था कि वह जिहादी बनना चाहता है. उसने यह भी स्वीकार किया था कि वह लश्कर से जुड़ा था और पिछले 15-16 वर्षों से एक व्हाट्सएप ग्रुप चला रहा था. उस ग्रुप का संचालन उसके द्वारा किया जाता था. उस ग्रुप में 181 सदस्य थे. जिनमें 170 पाकिस्तान, 3 अफगानिस्तान, एक मलेशिया, एक बांग्लादेश और 6 सदस्य भारत के थे. इनामुल एक ऐसा ही ग्रुप चला रहा था और लोगों को इसमें शामिल होने के लिए प्रलोभन भी दिया जा रहा था.

याची के अधिवक्ता ने कहा कि एफआईआर से याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए का अपराध नहीं बनता है. सरकारी वकील ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि याची नफरत फैला रहा है और भारत विरोधी प्रचार कर रहा है. ऐसे में उस पर अपराध स्पष्ट रूप से बन रहा है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने इनामुल हक की जमानत अर्जी खारिज कर दी.

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