प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज की जमानत मंजूर कर ली है. इंस्पेक्टर तिलकधारी मई 2022 से जेल में बंद हैं. उसकी जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने सुनवाई की.
याची इंस्पेक्टर का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था इंस्पेक्टर पर लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं. वास्तविकता यह है कि पीड़िता की मां लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे कराने की आदी है. वह लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर ब्लैकमेल करती है और उनसे पैसे वसूलती है. अधिवक्ता ने पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराए गए 8 मुकदमों के रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष पेश किए. जिसमें अदालत को यह भी बताया कि खुद उसके खिलाफ भी चार मुकदमे दर्ज हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि पीड़िता ने स्वयं अपने माता-पिता के खिलाफ 15 नवंबर 2021 को मारपीट करने और डराने धमकाने की प्राथमिकी दर्ज कराई है. अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष मोबाइल कॉल डिटेल पेश करते हुए बताया कि 27 अप्रैल 2022 जिस दिन की घटना बताई जा रही है, उस दिन पीड़िता थाने गई ही नहीं थी. बल्कि वह तो अन्य अभियुक्तों के साथ कहीं और थी.
मामले के अनुसार पीड़िता की मां ने 22 अप्रैल 2022 को पीलीभीत के पाली थाने में चंदन, राजभान, हरिशंकर, महेंद्र चौरसिया और गुलाब बाई अहिरवार के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि यह लोग उसकी बेटी को भगा करके ले गए और बाद में उसे थाने में में छोड़ करके भाग गए. पुलिस ने पीड़िता को उसकी मौसी गुलाब बाई अहिरवार के हवाले कर दिया.
आरोप है कि 27 अप्रैल 22 को पीड़िता को बयान के लिए थाने में बुलाया गया. बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने पीड़िता को उसकी मौसी के हवाले कर दिया गया. वहीं, मौसी ने पीड़िता को इंस्पेक्टर के हवाले कर दिया. जिसने उससे दुष्कर्म किया और बाद में चाइल्ड लाइन भेज दिया. कोर्ट ने मामले को तथ्यों और परिस्थितियों तथा उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए इंस्पेक्टर की जमानत अर्जी अर्जी मंजूर करते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.