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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों को दी बड़ी राहत

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट पर सामान्य श्रेणी में चयनित आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को राहत दी है. वहीं एम् आर सी अभ्यर्थियों की तैनाती के आदेश रद्द हुई है, जिनकी नए सिरे से तैनाती की जानी है.

हाईकोर्ट करेगा नए सिरे से अध्यापकों की तैनाती.
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Published : Aug 29, 2019, 11:48 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर बेसिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट पर सामान्य श्रेणी में चयनित आरक्षित श्रेणी के (एमआरसी) अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है.

कोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को अगले शिक्षा सत्र 2020 -21 में उनकी वरीयता वाले जिलो में तैनात करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान सत्र में की गई एमआरसी अभ्यर्थियों की तैनाती संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 (1) के विपरीत है. वहीं कोर्ट ने मनमानी तैनाती आदेश को रद्द कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने लगभग पौने 3 सौ याचिकाओं के एक हजार से अधिक याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का लाभ एम् आर सीस (मेरिट में चुने गए आरक्षित श्रेणी) के अभ्यर्थियों को ही मिलेगा. इन्हें आरक्षित श्रेणी में मानते हुए वरीयता वाले जिले में इनकी तैनाती की जाय. कोर्ट ने कहा है कि जो पहले से नियुक्त हो चुके है और एम् आर सी श्रेणी के है, उनके सहित याचीगण 3 माह में अर्जी दे और उसके 3 माह के भीतर सरकार आदेश जारी करे. वहीं अगले सत्र से पहले तैनाती कर दी जाएगी.

सैकड़ो याचिकायें 31 अगस्त 18 और 2 सितम्बर 18 की मेरिट लिस्ट को रद्द करने और विज्ञापित 68500 पदों पर पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने की मांग की गई थी. याचियों ने वरीयता जिलो में मेरिट के आधार पर तैनाती की भी मांग की थी.

9 जनवरी 18 के शासनादेश से सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू की गई. परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद ने सामान्य श्रेणी और ओबीसी का कट ऑफ 45 फीसदी एवं एससीएसटी का 40 फीसदी घोषित किया. हालांकि बाद में योग्यता कट ऑफ घटाया गया. मेरिट में चयनित आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों उनकी वरीयता के जिलो में नियुक्त नही किया गया.

वहीं यह बहस की गई कि बिना आपत्ति के इन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है. वे इसे चुनौती नही दे सकते. इस भर्ती में 41556 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए है.

शासनादेश के तहत हर श्रेणी के अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता के जिले में तैनात किया गया. एमआरसी अभ्यर्थियों के साथ विभेद किया गया. मेरिट में आगे होने के बावजूद इन्हें वरीयता के जिले नही मिले और कम मेरिट वाले आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को वरीयता के जिले आवंटित किए गए.

नियुक्तियां दो चरणों में की गई. पहली में 34660 और दूसरी में 6136 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई. जब एक ही चयन प्राक्रिया के तहत चयनित थे तब सभी ने ज्वाइन कर लिया, किन्तु यह कानून के विपरीत किया गया. केवल एम आर सी अभ्यर्थियों की तैनाती के आदेश रद्द हुई है, जिनकी नए सिरे से तैनाती की जानी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर बेसिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट पर सामान्य श्रेणी में चयनित आरक्षित श्रेणी के (एमआरसी) अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है.

कोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को अगले शिक्षा सत्र 2020 -21 में उनकी वरीयता वाले जिलो में तैनात करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान सत्र में की गई एमआरसी अभ्यर्थियों की तैनाती संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 (1) के विपरीत है. वहीं कोर्ट ने मनमानी तैनाती आदेश को रद्द कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने लगभग पौने 3 सौ याचिकाओं के एक हजार से अधिक याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का लाभ एम् आर सीस (मेरिट में चुने गए आरक्षित श्रेणी) के अभ्यर्थियों को ही मिलेगा. इन्हें आरक्षित श्रेणी में मानते हुए वरीयता वाले जिले में इनकी तैनाती की जाय. कोर्ट ने कहा है कि जो पहले से नियुक्त हो चुके है और एम् आर सी श्रेणी के है, उनके सहित याचीगण 3 माह में अर्जी दे और उसके 3 माह के भीतर सरकार आदेश जारी करे. वहीं अगले सत्र से पहले तैनाती कर दी जाएगी.

सैकड़ो याचिकायें 31 अगस्त 18 और 2 सितम्बर 18 की मेरिट लिस्ट को रद्द करने और विज्ञापित 68500 पदों पर पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने की मांग की गई थी. याचियों ने वरीयता जिलो में मेरिट के आधार पर तैनाती की भी मांग की थी.

9 जनवरी 18 के शासनादेश से सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू की गई. परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद ने सामान्य श्रेणी और ओबीसी का कट ऑफ 45 फीसदी एवं एससीएसटी का 40 फीसदी घोषित किया. हालांकि बाद में योग्यता कट ऑफ घटाया गया. मेरिट में चयनित आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों उनकी वरीयता के जिलो में नियुक्त नही किया गया.

वहीं यह बहस की गई कि बिना आपत्ति के इन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है. वे इसे चुनौती नही दे सकते. इस भर्ती में 41556 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए है.

शासनादेश के तहत हर श्रेणी के अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता के जिले में तैनात किया गया. एमआरसी अभ्यर्थियों के साथ विभेद किया गया. मेरिट में आगे होने के बावजूद इन्हें वरीयता के जिले नही मिले और कम मेरिट वाले आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को वरीयता के जिले आवंटित किए गए.

नियुक्तियां दो चरणों में की गई. पहली में 34660 और दूसरी में 6136 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई. जब एक ही चयन प्राक्रिया के तहत चयनित थे तब सभी ने ज्वाइन कर लिया, किन्तु यह कानून के विपरीत किया गया. केवल एम आर सी अभ्यर्थियों की तैनाती के आदेश रद्द हुई है, जिनकी नए सिरे से तैनाती की जानी है.

प्रयागराज 29 अगस्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के  जूनियर बेशिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट पर सामान्य श्रेणी में चयनित आरक्षित श्रेणी के (एम् आर सी)  अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है।
कोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को अगले शिक्षा सत्र 2020 -21 में उनकी वरीयता वाले जिलो में तैनात करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान सत्र में की गयी एम् आर सी  अभ्यर्थियों की  गयी तैनाती संविधान के अनुच्छेद 14 व् 16 (1) के विपरीत है।कोर्ट ने मनमानी तैनाती आदेश को  रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने लगभग पौने 3 सौ याचिकाओं के एक हजार से अधिक याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का लाभ एम् आर सी(मेरिट में चुने गए आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी) अभ्यर्थियों को ही मिलेगा।और इन्हें आरक्षित श्रेणी में मानते हुए  वरीयता वाले जिले में इनकी  तैनाती की जाय।कोर्ट ने कहा है कि जो पहले से नियुक्त हो चुके है और एम् आर सी श्रेणी के है,उनके सहित याचीगण 3 माह में अर्जी दे और उसके 3 माह के भीतर सरकार आदेश जारी करे।अगले सत्र से पहले तैनाती कर दी जाय।
सैकड़ो याचिकायें 31 अगस्त 18 व् 2 सितम्बर 18 की मेरिट लिस्ट को रद्द करने और विज्ञापित 68500 पदों पर पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने की मांग की गयी थी।याचियों ने वरीयता जिलो में मेरिट के आधार पर तैनाती की भी मांग की थी।
9 जनवरी 18 के शासनादेश से सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू की गयी।परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद ने सामान्य श्रेणी व् ओ बी सी का कट ऑफ45 फीसदी एवं एस सी एस टी का 40 फीसदी घोषित किया।बाद में योग्यता कट ऑफ घटाया गया।मेरिट में चयनित आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों उनकी वरीयता के जिलो में नियुक्त नही किया गया।यह बहस की गयी कि बिना आपत्ति के इन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है।वे इसे चुनौती नही दे सकते।इस भर्ती में 41556 अभ्यर्थी  सफल घोषित हुए है।
शासनादेश के तहत हर श्रेणी के अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता के जिले में तैनात किया गया ।और एम् आर सी अभ्यर्थियों के साथ विभेद किया गया।मेरिट में आगे होने के बावजूद इन्हें वरीयता के जिले नही मिले और कम मेरिट वाले आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को वरीयता के जिले आवंटित किए गए।
नियुक्तियां दो चरणों में की गयी।पहली में 34660 व् दूसरी में 6136 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गयी।जब एक ही चयन प्राक्रिया के तहत चयनित थे।सभी ने ज्वाइन कर लिया।किन्तु यह कानून के विपरीत किया गया ।केवल एम् आर सी अभ्यर्थियों की तैनाती के आदेश रद्द हुए है।उन्हें नए सिरे से तैनाती की जानी है।
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