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कोर्ट ने अधिकारियों के झूठे बयान देने पर जताई नाराजगी - मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अधिकारियों के विरोधाभासी बयान देने पर नाराजगी जताई है.

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Published : Nov 20, 2022, 9:48 PM IST

प्रयागराज: वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा अदालत में विरोधाभासी बयान देने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विरोधाभासी हलफनामा दिए जाने के मामले में अदालत और गहराई में जाए. इससे पहले इस पर व्यावहारिक तरीके से स्पष्टीकरण दिया जाए.

माध्यमिक शिक्षा विभाग में रिक्तियों को भरने और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (Secondary Education Service Selection Board) के सदस्यों के रिक्त पदों को भरने के मामले में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक और प्रमुख सचिव माध्यमिक द्वारा परस्पर विरोधाभासी हलफनामा दिए जाने को अदालत ने बहुत गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने कहा कि इन दोनों अधिकारियों में से किसी एक का हलफनामा झूठा या गलत है.

गोरखपुर के गांधी इंटर कॉलेज की याचिका (Petition of Gandhi Inter College of Gorakhpur) पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि प्रदेश के उच्च पदस्थ अधिकारी विरोधाभासी झूठा बयान कोर्ट में दे रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर हम उसके विस्तार में नहीं जा रहे हैं. सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि विभिन्न वित्त पोषित प्राइवेट संस्थाओं में 1688 प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं. इनको सीधी भर्ती से भरा जाना है. इसके लिए लगभग 11816 भर्तियों का साक्षात्कार होना है. इसी प्रकार से 624 पद प्रवक्ता के हैं. जिन पर 3 हजार अभ्यर्थियों का साक्षात्कार होना है. निकट भविष्य में उत्पन्न होने वाली रिक्तियां अलग से हैं.

पढ़ें- भगोड़ा घोषित व्यक्ति अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं- हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि यह सामने आ रहा है कि चयन प्रक्रिया कभी भी समय से नहीं हो सकी. चयन बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल 8 अप्रैल 2022 को समाप्त हो चुका है. तत्कालीन मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला (Chief Secretary Secondary Education) ने हलफनामा देकर 6 सप्ताह में बोर्ड का गठन कर देने का अदालत ने आश्वासन दिया था. लेकिन, 12 सप्ताह बीत जाने के बाद भी बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. कोर्ट ने दो अधिकारियों द्वारा दिए गए विरोधाभासी बयान और बड़ी संख्या में रिक्तियों को भरे जाने को लेकर अगली सुनवाई पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

पढ़ें- पूर्व बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की सजा के खिलाफ अपील में संशोधन का निर्देश

प्रयागराज: वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा अदालत में विरोधाभासी बयान देने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विरोधाभासी हलफनामा दिए जाने के मामले में अदालत और गहराई में जाए. इससे पहले इस पर व्यावहारिक तरीके से स्पष्टीकरण दिया जाए.

माध्यमिक शिक्षा विभाग में रिक्तियों को भरने और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (Secondary Education Service Selection Board) के सदस्यों के रिक्त पदों को भरने के मामले में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक और प्रमुख सचिव माध्यमिक द्वारा परस्पर विरोधाभासी हलफनामा दिए जाने को अदालत ने बहुत गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने कहा कि इन दोनों अधिकारियों में से किसी एक का हलफनामा झूठा या गलत है.

गोरखपुर के गांधी इंटर कॉलेज की याचिका (Petition of Gandhi Inter College of Gorakhpur) पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि प्रदेश के उच्च पदस्थ अधिकारी विरोधाभासी झूठा बयान कोर्ट में दे रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर हम उसके विस्तार में नहीं जा रहे हैं. सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि विभिन्न वित्त पोषित प्राइवेट संस्थाओं में 1688 प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं. इनको सीधी भर्ती से भरा जाना है. इसके लिए लगभग 11816 भर्तियों का साक्षात्कार होना है. इसी प्रकार से 624 पद प्रवक्ता के हैं. जिन पर 3 हजार अभ्यर्थियों का साक्षात्कार होना है. निकट भविष्य में उत्पन्न होने वाली रिक्तियां अलग से हैं.

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कोर्ट ने कहा कि यह सामने आ रहा है कि चयन प्रक्रिया कभी भी समय से नहीं हो सकी. चयन बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल 8 अप्रैल 2022 को समाप्त हो चुका है. तत्कालीन मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला (Chief Secretary Secondary Education) ने हलफनामा देकर 6 सप्ताह में बोर्ड का गठन कर देने का अदालत ने आश्वासन दिया था. लेकिन, 12 सप्ताह बीत जाने के बाद भी बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. कोर्ट ने दो अधिकारियों द्वारा दिए गए विरोधाभासी बयान और बड़ी संख्या में रिक्तियों को भरे जाने को लेकर अगली सुनवाई पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

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