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Allahabad High Court: नाबालिग से छेड़खानी के आरोपी आसिफ अली सिद्दकी की याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से छेड़खानी के आरोपी आसिफ अली सिद्दकी की याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 13, 2022, 9:57 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से छेड़खानी के आरोपी आसिफ अली सिद्दकी की याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है.

इलाहाबाद के थाना कैंट में 21 दिसंबर 2021 को दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी गई थी. याची का तर्क था कि प्राथमिकी दुर्भावनापूर्ण है. शिकायतकर्ता के खिलाफ 22 अपराधिक मुकदमे हैं. उसने याची से पैसा वसूलने के लिए उसे फर्जी मुकदमे में फंसाया है.

याची ने शिकायतकर्ता के खिलाफ मुंबई में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था, इसीलिए उसके खिलाफ प्रयागराज में मुकदमा दर्ज कराया गया है. याची एक राजनीतिक दल से संबंध रखता है.

यह भी पढ़ें: नाबालिग छात्रा संग रेप मामले में बंदी वकील की जमानत अर्जी खारिज

कोर्ट ने आसिफ की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी और सरकार से मामले की जानकारी मांगी थी. सरकारी वकील ने कहा कि पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए धारा 164 के बयानसे याची के खिलाफ प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है. आरोपों की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से छेड़खानी के आरोपी आसिफ अली सिद्दकी की याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है.

इलाहाबाद के थाना कैंट में 21 दिसंबर 2021 को दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी गई थी. याची का तर्क था कि प्राथमिकी दुर्भावनापूर्ण है. शिकायतकर्ता के खिलाफ 22 अपराधिक मुकदमे हैं. उसने याची से पैसा वसूलने के लिए उसे फर्जी मुकदमे में फंसाया है.

याची ने शिकायतकर्ता के खिलाफ मुंबई में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था, इसीलिए उसके खिलाफ प्रयागराज में मुकदमा दर्ज कराया गया है. याची एक राजनीतिक दल से संबंध रखता है.

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कोर्ट ने आसिफ की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी और सरकार से मामले की जानकारी मांगी थी. सरकारी वकील ने कहा कि पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए धारा 164 के बयानसे याची के खिलाफ प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है. आरोपों की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी है.

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