प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं देने के खिलाफ गोरखपुर के पत्रकार परवेज परवाज की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने 2007 से इस मामले को लेकर अदालत मे मुकदमेबाजी कर रहे परवेज की नीयत पर सवाल उठाते हुए उस पर एक लाख रुपये हर्जाना भी लगाया है.
परवेज की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति डीके सिंह ने कहा कि एक बार जब सरकार ने अभियोजन स्वीकृति देने से इनकार कर दिया और याची उसके खिलाफ हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा हार चुका है तो फिर इस मामले में सीआरपीसी की धारा 156( 3) के तहत विवेचना जारी नहीं रखी जा सकती है. ट्रायल कोर्ट ने याची की प्रोटेस्ट पिटीशन खारिज करने में कोई गलती नहीं की है. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं दिया है, इसलिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष इस विषय पर निर्णय करने का अवसर खुला हुआ था. मगर, उन्होंने इस पर निर्णय ना करके याची की प्रोटेस्ट पिटीशन खारिज कर दी.
इसके जवाब में अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि अभियोजन स्वीकृति के खिलाफ याची ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद उसकी याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी विशेष अपील खारिज कर दी. इसके बाद अभियोजन स्वीकृति का मुद्दा अंतिम रूप ले चुका है. ऐसे में ट्रायल कोर्ट ने याची की प्रोटेस्ट पिटीशन खारिज करके कोई गलती नहीं की है. मनीष गोयल का कहना था कि कुछ ताकते प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री को अस्थिर करने वह प्रदेश के विकास को रोकने में लगी हुई है. योगी आदित्यनाथ ने 2017 में मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद प्रदेश का चेहरा बदल दिया है और राज्य प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि परवेज के खिलाफ लगभग 14 मुकदमों का अपराधिक इतिहास है.
कोर्ट ने 2007 से इस मामले को अदालत में लड़ रहे याची परवेज परवाज की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि याची बहुत व्यस्त व्यक्ति लगता है, जो स्वयं कई मुकदमों के विचारण का सामना कर रहा है और 2007 से इस मामले को भी लड़ रहा है. निश्चित रूप से याची ने इसमें भारी रकम खर्च की होगी. वकीलों को फीस देने और मुकदमा लड़ने के लिए उसके साधन क्या है यह जांच का विषय है.
कोर्ट ने कहा कि अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल के इस तर्क में बल प्रतीत होता है कि याची कुछ ऐसी ताकतों का मुखौटा है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश को अस्थिर करना चाहती है. इस पहलू की जांच करना राज्य की जिम्मेदारी है. अदालत इस संबंध में कोई निर्देश नहीं देना चाहती है. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए परवेज पर एक लाख रुपये हर्जाना लगाया है, जो उसे आर्मी वेलफेयर फंड बैटल कैजुअल्टी के खाते में जमा करनी होगी.
उल्लेखनीय है कि परवेज परवाज ने सीजीएम गोरखपुर के यहां 156( 3 )के तहत अर्जी दाखिल कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व कई अन्य लोगों के खिलाफ आरपीसी की धारा 302 395 427 153 153 ए 295 बी सहित तमाम धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी. मजिस्ट्रेट द्वारा उसकी अर्जी खारिज कर दिए जाने के बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस को चुनौती दी. हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द करते हुए नए सिरे से आदेश करने के लिए उनको वापस कर दिया. सीजीएम गोरखपुर ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, जिस पर 2 नवंबर 2008 को कैंट थाना गोरखपुर में उपरोक्त धाराओं में योगी आदित्यनाथ व अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ.
प्रारंभिक विवेचना के बाद सरकार ने योगी आदित्यनाथ जो उस वक्त गोरखपुर से सांसद थे. उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने से इनकार कर दिया. याची ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी तो उसमें सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी सुप्रीम कोर्ट ने भी अभियोजन स्वीकृति नहीं देने के मुद्दे पर याचिका खारिज कर दी. इसके बाद सेशन कोर्ट गोरखपुर ने अभियोजन स्वीकृति नहीं देने के खिलाफ याची की प्रोटेस्ट पिटिशन या कहते हुए खारिज कर दी कि याची सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले में हार चुका है. लिहाजा अभियोजन स्वीकृति नहीं दिए जाने के मामले में अदालत का अंतिम निर्णय हो चुका है, जिसके खिलाफ परवेज ने पुनः हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अभियोजन स्वीकृति के मुद्दे को एक बार फिर से चुनौती दी थी.
पढ़ेंः सीएम योगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की याचिका पर 14 सितंबर को होगी सुनवाई