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चचेरी बहन पर कातिलाना हमला करने के आरोपी किशोर की जमानत खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चचेरी बहन पर चाकू से कातिलाना हमला करने के आरोपी किशोर को जमानत देने से इनकार कर ‌दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध काफी गंभीर है.

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Published : Jan 28, 2021, 10:42 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चचेरी बहन पर चाकू से कातिलाना हमला करने के आरोपी किशोर को जमानत देने से इनकार कर ‌दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध काफी गंभीर है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत जमानत देने से अपवाद स्वरूप इनकार भी किया जा सकता है. गाजियाबाद के किशोर की आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया.

हाईकोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार से अपराध को अंजाम दिया गया, उससे समाज में भय का माहौल पैदा हो गया है. इससे यह संदेश भी जाता है कि सगे रिश्तेदारों से भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है. कोर्ट ने मुकदमे का विचारण तीन माह में पूरा करने का आदेश दिया है.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची बाल अपचारी है. उसकी आयु 15 वर्ष से कुछ कम ही है. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 12(1) के तहत किशोर को जमानत देने से अपवाद स्वरूप ही इनकार किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि किशोर को सामान्यतः जमानत दी जानी चा‌हिए. कानून ने इसमें तीन अपवाद भी रखे हैं. इसके तहत जमानत देने से इनकार किया जा सकता है.

पढ़ें: पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित को नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ

घटना की परिस्थितियां बताती हैं कि आरोपी अपने चाचा के घर में रात एक बजे घुसा और सो रही चचेरी बहन पर चाकू से ताबड़-तोड़ वार कर दिए. उसके गले और पेट पर चाकू मारे. जाहिर है कि उसका इरादा जान से मार देने का था. उसने चाकू से नौ गंभीर वार किए हैं. इससे यह संदेश जाता है कि परिवार के सदस्यों से भी कोई सुरक्षित नहीं है. कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चचेरी बहन पर चाकू से कातिलाना हमला करने के आरोपी किशोर को जमानत देने से इनकार कर ‌दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध काफी गंभीर है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत जमानत देने से अपवाद स्वरूप इनकार भी किया जा सकता है. गाजियाबाद के किशोर की आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया.

हाईकोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार से अपराध को अंजाम दिया गया, उससे समाज में भय का माहौल पैदा हो गया है. इससे यह संदेश भी जाता है कि सगे रिश्तेदारों से भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है. कोर्ट ने मुकदमे का विचारण तीन माह में पूरा करने का आदेश दिया है.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची बाल अपचारी है. उसकी आयु 15 वर्ष से कुछ कम ही है. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 12(1) के तहत किशोर को जमानत देने से अपवाद स्वरूप ही इनकार किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि किशोर को सामान्यतः जमानत दी जानी चा‌हिए. कानून ने इसमें तीन अपवाद भी रखे हैं. इसके तहत जमानत देने से इनकार किया जा सकता है.

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घटना की परिस्थितियां बताती हैं कि आरोपी अपने चाचा के घर में रात एक बजे घुसा और सो रही चचेरी बहन पर चाकू से ताबड़-तोड़ वार कर दिए. उसके गले और पेट पर चाकू मारे. जाहिर है कि उसका इरादा जान से मार देने का था. उसने चाकू से नौ गंभीर वार किए हैं. इससे यह संदेश जाता है कि परिवार के सदस्यों से भी कोई सुरक्षित नहीं है. कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी.

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