प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता ऑफिस, कोर्ट से कम सम्मानित स्थान नहीं है. अधिवक्ता का पेशा एक आदर्श पेशा है और अधिवक्ता पर अपनी कनिष्ठ सहयोगी के साथ लंबे समय से यौनाचार का आरोप लगा है. पुलिस और मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए पीड़िता के बयानों में समानता है. ऐसे में यौनाचार के आरोपी अधिवक्ता की जमानत स्वीकार नहीं की जा सकती. यह कहते हुए कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी.
यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजकरण पटेल की अर्जी पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि झूठा फंसाने की कोई वजह नहीं दिखाई दे रही है. पीड़िता ने अपने बयान में विस्तार से घटनाक्रम बताया है. गौरतलब है कि प्रशिक्षण ले रही विधि छात्रा के शोषण के आरोप में पीड़िता के पिता ने याची और अन्य अधिवक्ता पर सिविल लाइंस प्रयागराज में 7 अप्रैल 2021 को नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी.
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याची की दलील थी कि लड़की बालिग है और अपनी मर्जी से प्रशिक्षण लेने आई थी. बयान बदल रही है. उसे झूठा फंसाया गया है. सरकारी वकील का कहना है कि अधिवक्ता चेंबर में कनिष्ठ का शोषण हुआ है. वह प्रशिक्षण लेने आई थी. अपराध गंभीर है. इस पर कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है.
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