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डीएम NGO को नहीं दे सकते ग्राम सभा की जमीन: इलाहाबाद हाईकोर्ट - prayagraj latest news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम सभा की जमीन एनजीओ को पट्टा करने के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट .
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Published : Sep 19, 2020, 9:20 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1985 में ग्राम सभा की जमीन एनजीओ को पट्टे पर देने के आदेश को निरस्त करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. साथ ही याचिका पर सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद पेश करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने डॉक्टर बीआर अंबेडकर मल्टीपर्पज रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट एसोसिएशन की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि उसे जिलाधिकारी ने 20 जुलाई 1985 को जमीन दी थी. जिलाधिकारी मैनपुरी ने 9 सितम्बर 2020 के आदेश से आवंटन निरस्त कर ग्राम सभा को वापस कर दी. इसी आशय का आदेश राज्य सरकार ने भी दिया है.

अपर महा अधिवक्ता नीरज त्रिपाठी व एसीएससी शशांक शेखर सिंह का कहना था कि उप्र. जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार कानून की धारा 117(6) के अंतर्गत जिलाधिकारी को ग्राम सभा की जमीन किसी एनजीओ को देने का अधिकार नहीं है. 20 जुलाई 1985 का आदेश शुरू से ही विधि विरुद्ध है. ऐसे में उसे निरस्त करने का आदेश सही है. उन्होंने कोर्ट से याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1985 में ग्राम सभा की जमीन एनजीओ को पट्टे पर देने के आदेश को निरस्त करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. साथ ही याचिका पर सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद पेश करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने डॉक्टर बीआर अंबेडकर मल्टीपर्पज रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट एसोसिएशन की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि उसे जिलाधिकारी ने 20 जुलाई 1985 को जमीन दी थी. जिलाधिकारी मैनपुरी ने 9 सितम्बर 2020 के आदेश से आवंटन निरस्त कर ग्राम सभा को वापस कर दी. इसी आशय का आदेश राज्य सरकार ने भी दिया है.

अपर महा अधिवक्ता नीरज त्रिपाठी व एसीएससी शशांक शेखर सिंह का कहना था कि उप्र. जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार कानून की धारा 117(6) के अंतर्गत जिलाधिकारी को ग्राम सभा की जमीन किसी एनजीओ को देने का अधिकार नहीं है. 20 जुलाई 1985 का आदेश शुरू से ही विधि विरुद्ध है. ऐसे में उसे निरस्त करने का आदेश सही है. उन्होंने कोर्ट से याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय मांगा है.

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