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भगोड़े एसपी पाटीदार के साथ क्रिमिनल केस में आरोपी दारोगा की बर्खास्तगी रद

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Published : Sep 14, 2021, 8:21 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने भगोड़ा घोषित एसपी मणिलाल पाटीदार के साथ क्रिमिनल केस में आरोपी पूर्व करबई थानाध्यक्ष की बर्खास्तगी रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने भगोड़ा घोषित एसपी मणिलाल पाटीदार के साथ प्राथमिकी में शामिल पूर्व करबई थानाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार शुक्ला की बर्खास्तगी रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि दरोगा की बर्खास्तगी से पूर्व अधिकारी जांच को न करने के सम्बन्ध में अपना कारण व संतुष्टि को लेकर निष्कर्ष देने में विफल रहे. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बर्खास्तगी के विरुद्ध दारोगा देवेन्द्र कुमार शुक्ला की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है.

महोबा जिले के करबई के पूर्व थानाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने दलील दी कि आईजी चित्रकूट धाम बांदा ने 13 अक्तूबर 2020 को 1991 की नियमावली के नियम 8(2)(बी) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानून की अनदेखी कर बगैर यह बताए कि आरोपों की जांच कराना क्यों सम्भव नहीं है, सीधे बर्खास्त कर दिया था. अधिवक्ता का कहना था कि बर्खास्तगी आदेश गलत था.

इले भी पढ़ें-हिन्दू परंपरा की शादी में सिंदूरदान व सप्तपदी महत्वपूर्णः इलाहाबाद हाईकोर्ट


बता दें कि याची दारोगा पर अवैध धन वसूल करने व धन को तत्कालीन एसपी पाटीदार को देने के लिए दबाव बनाने, व्यापारियों को फर्जी केस में फंसाने आदि का आरोप लगा है. बर्खास्तगी आदेश में कहा गया था कि याची दारोगा का कृत्य पुलिस विभाग में बने रहना लोक हित व प्रशासनिक हित में नहीं है. कहा गया था कि उनके द्वारा अवैध क्रियाकलापों में लिप्त होने तथा अनधिकृत अनुपस्थिति रहने के कारण उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही किया जाना व्यवहारिक नहीं है. याची को 10 सितम्बर 2020 को निलंबित किया गया था और उसके तुरन्त बाद 11 सितम्बर को आईपीसी की धारा 387,307,120-बी व 7/ 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने भगोड़ा घोषित एसपी मणिलाल पाटीदार के साथ प्राथमिकी में शामिल पूर्व करबई थानाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार शुक्ला की बर्खास्तगी रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि दरोगा की बर्खास्तगी से पूर्व अधिकारी जांच को न करने के सम्बन्ध में अपना कारण व संतुष्टि को लेकर निष्कर्ष देने में विफल रहे. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बर्खास्तगी के विरुद्ध दारोगा देवेन्द्र कुमार शुक्ला की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है.

महोबा जिले के करबई के पूर्व थानाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने दलील दी कि आईजी चित्रकूट धाम बांदा ने 13 अक्तूबर 2020 को 1991 की नियमावली के नियम 8(2)(बी) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानून की अनदेखी कर बगैर यह बताए कि आरोपों की जांच कराना क्यों सम्भव नहीं है, सीधे बर्खास्त कर दिया था. अधिवक्ता का कहना था कि बर्खास्तगी आदेश गलत था.

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बता दें कि याची दारोगा पर अवैध धन वसूल करने व धन को तत्कालीन एसपी पाटीदार को देने के लिए दबाव बनाने, व्यापारियों को फर्जी केस में फंसाने आदि का आरोप लगा है. बर्खास्तगी आदेश में कहा गया था कि याची दारोगा का कृत्य पुलिस विभाग में बने रहना लोक हित व प्रशासनिक हित में नहीं है. कहा गया था कि उनके द्वारा अवैध क्रियाकलापों में लिप्त होने तथा अनधिकृत अनुपस्थिति रहने के कारण उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही किया जाना व्यवहारिक नहीं है. याची को 10 सितम्बर 2020 को निलंबित किया गया था और उसके तुरन्त बाद 11 सितम्बर को आईपीसी की धारा 387,307,120-बी व 7/ 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

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