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बार एसोसिएशन के महासचिव ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र, जानिए क्या है मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है. उन्होंने इसके माध्यम से कोरोना काल के बाद समस्याओं के अंबार की तरफ ध्यान आकर्षित किया है.

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Published : Apr 7, 2022, 2:14 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है. उन्होंने इसके माध्यम से कोरोना काल के बाद समस्याओं के अंबार की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि नए दाखिल मुकद्दमों की रिपोर्टिंग में अनावश्यक देरी हो रही है. समय घटाकर रिपोर्टिंग दो-तीन दिन में पूरी की जाय.

उन्होंने कहा कि दाखिल मुकदमे दो से ढाई माह बाद कोर्ट में पेश किए जा रहे हैं. इसमें सुधार लाकर नियमानुसार दाखिले के तीसरे दिन कोर्ट में पेशी सुनिश्चित कराई जाय. यह भी कहा गया है कि अनलिस्टेड केस की 25 की सीमा हटाई जाए और लेफ्ट ओवर या पास ओवर केस एक हफ्ते में दोबारा सूचीबद्ध किया जाय.

हालांकि, पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग और राजस्व परिषद बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव विजय चंद्र श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट प्रशासन से कोरोना काल की समाप्ति पर काजलिस्ट का प्रकाशन शुरू करने की मांग मुख्य न्यायाधीश से की है. इनका कहना है कि केस लिस्ट में छपे होते हैं. अधिवक्ता का नाम भी छपा होता है, लेकिन हाईकोर्ट से कई में केस लगे होने का मैसेज अधिवक्ता को नहीं भेजा जाता. इसके कारण सुनवाई टल जाती है या केस अधिवक्ता की गैर मौजूदगी के कारण खारिज कर दिया जाता है.

यह भी पढ़ें: लखीमपुर हिंसा मामलाः अंकित दास की जमानत पर आज नहीं हो सका फैसला, कल भी होगी सुनवाई

आदर्श अधिवक्ता संघ अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र व प्रयागराज अधिवक्ता संघ अध्यक्ष नरेंद्र कुमार चटर्जी का कहना है कि हाईकोर्ट परिसर में वाई-फाई ठीक से काम नहीं करता. वेबसाइट नहीं खुलती और आए दिन वेबसाइट ठीक होती रहती हैं. उन्होंने कहा कि लोड के कारण कुछ भी सर्च नहीं हो पाता. बार सदस्यों की कठिनाइयों का समाधान किए बगैर न्यायिक कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाना कठिन है. अधिवक्ताओं ने न्यायालय प्रशासन से उनकी कठिनाइयों पर ध्यान देकर न्याय व्यवस्था फिर से पटरी पर लाने की मांग की है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है. उन्होंने इसके माध्यम से कोरोना काल के बाद समस्याओं के अंबार की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि नए दाखिल मुकद्दमों की रिपोर्टिंग में अनावश्यक देरी हो रही है. समय घटाकर रिपोर्टिंग दो-तीन दिन में पूरी की जाय.

उन्होंने कहा कि दाखिल मुकदमे दो से ढाई माह बाद कोर्ट में पेश किए जा रहे हैं. इसमें सुधार लाकर नियमानुसार दाखिले के तीसरे दिन कोर्ट में पेशी सुनिश्चित कराई जाय. यह भी कहा गया है कि अनलिस्टेड केस की 25 की सीमा हटाई जाए और लेफ्ट ओवर या पास ओवर केस एक हफ्ते में दोबारा सूचीबद्ध किया जाय.

हालांकि, पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग और राजस्व परिषद बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव विजय चंद्र श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट प्रशासन से कोरोना काल की समाप्ति पर काजलिस्ट का प्रकाशन शुरू करने की मांग मुख्य न्यायाधीश से की है. इनका कहना है कि केस लिस्ट में छपे होते हैं. अधिवक्ता का नाम भी छपा होता है, लेकिन हाईकोर्ट से कई में केस लगे होने का मैसेज अधिवक्ता को नहीं भेजा जाता. इसके कारण सुनवाई टल जाती है या केस अधिवक्ता की गैर मौजूदगी के कारण खारिज कर दिया जाता है.

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आदर्श अधिवक्ता संघ अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र व प्रयागराज अधिवक्ता संघ अध्यक्ष नरेंद्र कुमार चटर्जी का कहना है कि हाईकोर्ट परिसर में वाई-फाई ठीक से काम नहीं करता. वेबसाइट नहीं खुलती और आए दिन वेबसाइट ठीक होती रहती हैं. उन्होंने कहा कि लोड के कारण कुछ भी सर्च नहीं हो पाता. बार सदस्यों की कठिनाइयों का समाधान किए बगैर न्यायिक कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाना कठिन है. अधिवक्ताओं ने न्यायालय प्रशासन से उनकी कठिनाइयों पर ध्यान देकर न्याय व्यवस्था फिर से पटरी पर लाने की मांग की है.

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