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यूपी की ये अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज 24 की उम्र में जीत चुकी 35 मेडल, पिता-भाई भी हैं शूटर, जानिए कैसे हासिल किया मुकाम - SHOOTER ARIBA KHAN SUCCESS STORY

अरीबा खान का ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का है सपना, गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दिया रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार

नेशनल और इंटरनेशनल गेम में अपना हुनर दिखा चुकी हैं अरीबा.
नेशनल और इंटरनेशनल गेम में अपना हुनर दिखा चुकी हैं अरीबा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2025, 1:21 PM IST

अलीगढ़ : शहर की अरीबा खान अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं. 24 की उम्र में ही वह 35 मेडल जीत चुकी हैं. अब उनका सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का है. गणतंत्र दिवस पर राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार प्रदान किया. स्मृति चिन्ह और शास्त्री पत्र के साथ 3 लाख 11 हजार रुपये का चेक भी सौंपा. ईटीवी भारत ने अरीबा खान से उनकी सफलता का राज जाना. शूटर ने अपनी आगामी रणनीतियों के बारे में जानकारी दी. पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट...

ओलंपिक में गोल्ड जीतना चाहती हैं अरीबा. (Video Credit; ETV Bharat)

अरीबा खान ने बताया कि राजभवन में जाकर उन्हें बहुत अच्छा लगा. ऐसा लगा जैसे अब तक की 10 साल की मेहनत का फल मिल गया. मेरे पहले कोच मेरे पिताजी हैं. अब भी वही हैं. मेरे पिता राष्ट्रीय जबकि मेरा भाई भी अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं. 11 साल की उम्र से अलीगढ़ में ही अपने निशानीबाजी का सफर शुरू किया. मैं पिता और भाई के साथ शूटिंग रेंज में खेलने जाती थी.

निशानेबाजी करना काफी रोमांचक : निशानेबाज ने बताया कि अब तक वह 21 अंतरराष्ट्रीय जबकि 9 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं. वह 12 बोर की गन का इस्तेमाल करती हैं. अरीबा ने बताया कि निशानेबाजी करना काफी रोमांचक होता है. एक बार इसमें आने के बाद इससे दूर जाने का मन ही नहीं करता है.

अरीबा ने बताया कि मेरे परिवार वाले मुझे बहुत सहयोग करते हैं. मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि कोई ऐसा भी खेल है जिसमें सिर्फ लड़के ही खेल सकते हैं. मेरे दादा हमेशा कहा करते थे कि हर लड़के-लड़की को स्विमिंग, ड्राइविंग, हॉर्स राइडिंग और शूटिंग सीखना चाहिए. लड़कियों को डरना नहीं चाहिए. मेरे घर का माहौल बहुत अच्छा है. घर वालों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है.

11 साल की उम्र से निशाना साध रहीं अरीबा.
11 साल की उम्र से निशाना साध रहीं अरीबा. (Photo Credit; ETV Bharat)

बेटियों को बाहर भेजने से डरें नहीं : निशानेबाज ने बताया कि कुछ ऐसे भी घर हैं जहां लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता है. ऐसे परिवारों को डर लगता है, लेकिन इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं है. लड़कियां जितना घर से बाहर निकलेंगी, उतनी ही आगे बढ़ेंगी. मैं रोजाना तीन से चार घंटे प्रैक्टिस करती हूं. हालांकि यह गेम बहुत महंगा है. इसका ज्यादातर सामान बाहर से इंपोर्ट करवाना पड़ता है.

अरीबा ने बताया कि मेरे पास अपनी गन है. निशानेबाजी में यह बहुत जरूरी होता है कि आपके पास अपनी खुद की गन हो. गन का जो हिस्सा आपके कंधे और गाल पर आता है, वह आपके मुताबिक ही बनाया जाता जाता है. मेरा गोल ओलंपिक में हिस्सा लेकर स्वर्ण पदक जीतना है. भारत का नाम रोशन करना है.

ओलंपिक के लिए दूसरे कोच से भी लेनी होगी ट्रेनिंग : निशानेबाज के अनुसार वह पिछले 10 सालों में 21 अंतरराष्ट्रीय, 11 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर कुल लगभग 35 पदक जीत चुकी हैं. अगर सरकार की तरफ से थोड़ी मदद मिले तो ओलंपिक में गोल्ड जीतने में आसानी होगी. ओलंपिक के लिए मुझे दूसरे कोच से भी ट्रेनिंग लेनी है. मेरे पिता ही मेरे रोल मॉडल हैं. उन्होंने अंगुली पकड़कर मुझे चलना सिखाया.

निशानेबाज पिता से मिली ट्रेनिंग.
निशानेबाज पिता से मिली ट्रेनिंग. (Photo Credit; ETV Bharat)

मैं जब भी और जहां भी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए गई, पिता हमेसा साथ रहे. अरीबा ने बताया कि मेरे बड़े भाई उबैर भी अच्छे शूटर हैं. मैं लगातार अभ्यास करती हूं, इसलिए मैं अपने भाई और पिता को पीछे छोड़ चुकी हूं. 2013 से लगातार निशानेबाजी का अभ्यास कर रहीं हूं. कभी बीच में आराम भी नहीं किया.

पिता बोले- बेटी खेल के प्रति काफी जिम्मेदार : अरीबा खान के पिता मोहम्मद खालिद ने बताया कि इस अवार्ड से पूरा परिवार खुश है. सरकार की तरफ से मिलने वाला अरीबा को यह पहला अवार्ड है. यह उत्तर प्रदेश का एक बड़ा अवार्ड है. अरीबा हमारे साथ शूटिंग रेंज जाती थी. इस दौरान उसे निशानेबाजी का शौक लग गया. बेटी अपने खेल के प्रति काफी जिम्मेदार है. उम्मीद है कि वह एक दिन देश के लिए गोल्ड मेडल जरूर हासिल करेगी.

यह भी पढ़ें : छोटी सी उम्र में बड़े हौसले; साइबर सुरक्षा पर लिख डालीं किताबें, दो लाख से ज्यादा लोगों को दे चुके ट्रेनिंग

अलीगढ़ : शहर की अरीबा खान अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं. 24 की उम्र में ही वह 35 मेडल जीत चुकी हैं. अब उनका सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का है. गणतंत्र दिवस पर राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार प्रदान किया. स्मृति चिन्ह और शास्त्री पत्र के साथ 3 लाख 11 हजार रुपये का चेक भी सौंपा. ईटीवी भारत ने अरीबा खान से उनकी सफलता का राज जाना. शूटर ने अपनी आगामी रणनीतियों के बारे में जानकारी दी. पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट...

ओलंपिक में गोल्ड जीतना चाहती हैं अरीबा. (Video Credit; ETV Bharat)

अरीबा खान ने बताया कि राजभवन में जाकर उन्हें बहुत अच्छा लगा. ऐसा लगा जैसे अब तक की 10 साल की मेहनत का फल मिल गया. मेरे पहले कोच मेरे पिताजी हैं. अब भी वही हैं. मेरे पिता राष्ट्रीय जबकि मेरा भाई भी अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं. 11 साल की उम्र से अलीगढ़ में ही अपने निशानीबाजी का सफर शुरू किया. मैं पिता और भाई के साथ शूटिंग रेंज में खेलने जाती थी.

निशानेबाजी करना काफी रोमांचक : निशानेबाज ने बताया कि अब तक वह 21 अंतरराष्ट्रीय जबकि 9 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं. वह 12 बोर की गन का इस्तेमाल करती हैं. अरीबा ने बताया कि निशानेबाजी करना काफी रोमांचक होता है. एक बार इसमें आने के बाद इससे दूर जाने का मन ही नहीं करता है.

अरीबा ने बताया कि मेरे परिवार वाले मुझे बहुत सहयोग करते हैं. मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि कोई ऐसा भी खेल है जिसमें सिर्फ लड़के ही खेल सकते हैं. मेरे दादा हमेशा कहा करते थे कि हर लड़के-लड़की को स्विमिंग, ड्राइविंग, हॉर्स राइडिंग और शूटिंग सीखना चाहिए. लड़कियों को डरना नहीं चाहिए. मेरे घर का माहौल बहुत अच्छा है. घर वालों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है.

11 साल की उम्र से निशाना साध रहीं अरीबा.
11 साल की उम्र से निशाना साध रहीं अरीबा. (Photo Credit; ETV Bharat)

बेटियों को बाहर भेजने से डरें नहीं : निशानेबाज ने बताया कि कुछ ऐसे भी घर हैं जहां लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता है. ऐसे परिवारों को डर लगता है, लेकिन इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं है. लड़कियां जितना घर से बाहर निकलेंगी, उतनी ही आगे बढ़ेंगी. मैं रोजाना तीन से चार घंटे प्रैक्टिस करती हूं. हालांकि यह गेम बहुत महंगा है. इसका ज्यादातर सामान बाहर से इंपोर्ट करवाना पड़ता है.

अरीबा ने बताया कि मेरे पास अपनी गन है. निशानेबाजी में यह बहुत जरूरी होता है कि आपके पास अपनी खुद की गन हो. गन का जो हिस्सा आपके कंधे और गाल पर आता है, वह आपके मुताबिक ही बनाया जाता जाता है. मेरा गोल ओलंपिक में हिस्सा लेकर स्वर्ण पदक जीतना है. भारत का नाम रोशन करना है.

ओलंपिक के लिए दूसरे कोच से भी लेनी होगी ट्रेनिंग : निशानेबाज के अनुसार वह पिछले 10 सालों में 21 अंतरराष्ट्रीय, 11 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर कुल लगभग 35 पदक जीत चुकी हैं. अगर सरकार की तरफ से थोड़ी मदद मिले तो ओलंपिक में गोल्ड जीतने में आसानी होगी. ओलंपिक के लिए मुझे दूसरे कोच से भी ट्रेनिंग लेनी है. मेरे पिता ही मेरे रोल मॉडल हैं. उन्होंने अंगुली पकड़कर मुझे चलना सिखाया.

निशानेबाज पिता से मिली ट्रेनिंग.
निशानेबाज पिता से मिली ट्रेनिंग. (Photo Credit; ETV Bharat)

मैं जब भी और जहां भी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए गई, पिता हमेसा साथ रहे. अरीबा ने बताया कि मेरे बड़े भाई उबैर भी अच्छे शूटर हैं. मैं लगातार अभ्यास करती हूं, इसलिए मैं अपने भाई और पिता को पीछे छोड़ चुकी हूं. 2013 से लगातार निशानेबाजी का अभ्यास कर रहीं हूं. कभी बीच में आराम भी नहीं किया.

पिता बोले- बेटी खेल के प्रति काफी जिम्मेदार : अरीबा खान के पिता मोहम्मद खालिद ने बताया कि इस अवार्ड से पूरा परिवार खुश है. सरकार की तरफ से मिलने वाला अरीबा को यह पहला अवार्ड है. यह उत्तर प्रदेश का एक बड़ा अवार्ड है. अरीबा हमारे साथ शूटिंग रेंज जाती थी. इस दौरान उसे निशानेबाजी का शौक लग गया. बेटी अपने खेल के प्रति काफी जिम्मेदार है. उम्मीद है कि वह एक दिन देश के लिए गोल्ड मेडल जरूर हासिल करेगी.

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