प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 में दी गई मान्यता के बाद उनके लिए प्रदेश में टॉयलेट बनवाए जाने के संदर्भ में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के साथ मानवाधिकार का प्रशिक्षण ले रहे विभिन्न विश्वविद्यालयों के विधि छात्रों की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
विद्द्यापीठ पुणे, एमिटी नोएडा एवं शंभूनाथ नाथ लॉ कॉलेज इलाहाबाद के विधि छात्र विशाल द्विवेदी, दर्शन गुप्ता, शशांक दीक्षित, ईशी द्विवेदी, कुलदीप कुमार, विद्यम शुक्ल और आशीष रंजन भारती ने जनहित याचिका दाखिल कर थर्ड जेंडर के स्वास्थ्य अधिकारों एवं उनके लिए विशिष्ट शौचालयों के निर्माण के लिए समादेश (आज्ञा आदेश) देने की मांग की है.
जनहित याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में नालसा के केस में उनको थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी थी. कहा था कि इन्हें संविधान में दिए गए सभी अधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार होगा. इसके अतिरिक्त उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने और उसके लिए विशिष्ट शौचालय बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार और स्थानीय निकायों को आदेश दिए थे.
कहा गया कि प्रयागराज में थर्ड जेंडर की आबादी आठ हजार से ज्यादा है लेकिन दस वर्ष बीत जाने के बाद भी इन्हें कुछ भी नहीं दिया गया है. इन्हें हर स्तर पर अपमानजनक स्थितियों व भेदभाव का सामना करना पड़ता है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 10 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ ?. मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी.
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