प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि मतदाता पहचान पत्र और लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस किसी किशोर की आयु निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने बुलंदशहर के नौशाद अली की याचिका पर दिया है. जिस पर नाबालिग से दुराचार और यौन उत्पीड़न का आरोप है.
वोटर आईडी कार्ड के आधार पर अधीनस्थ कोर्ट ने यह निर्धारित किया था कि घटना की तिथि पर वो बालिग था क्योंकि उसकी जन्मतिथि 7 अप्रैल 1994 है. याची के वकील ने तर्क दिया कि अली के हाई स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार उसकी जन्म तिथि 4 मार्च 2001 है. आक्षेपित आदेश की समीक्षा करने के बाद कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम ने याची के लर्निंग (ड्राइविंग) लाइसेंस और मतदाता पहचान पत्र पर भरोसा करने में कानूनी त्रुटि की है.
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कोर्ट ने यह भी कहा कि जब हाई स्कूल सर्टिफिकेट में याची की उम्र का उल्लेख किया गया था, जो कि विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो एक्ट के समक्ष उपलब्ध था, तो उसे केवल हाई स्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर याची की उम्र निर्धारित करनी चाहिए थी. कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को एक बार फिर से विचार करने के लिए निचली अदालत को वापस भेज दिया और कहा कि आठ सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार आदेश पारित करे.
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