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आश्रित कोटे में नियुक्ति शासनादेश तो नगर निगम को अर्जी की वैधता की जांच का अधिकार नहीं-हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब याची की मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का शासनादेश जारी हो चुका है तो नगर निगम को अर्जी की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है. याचिका में शासनादेश के तहत आश्रित कोटे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति देने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी.

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Published : Jan 31, 2022, 10:45 PM IST

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब याची की मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का शासनादेश जारी हो चुका है तो नगर निगम को अर्जी की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने नगर आयुक्त नगर निगम अलीगढ़ को 3सितंबर 21के शासनादेश के तहत 6 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कुलवंत कुमार की याचिका पर दिया है.

इसे भी पढ़ेंः हाईकोर्ट में आनंद गिरि की जमानत पर नहीं हो सकी सुनवाई, जानिए क्यों?

याचिका में शासनादेश के तहत आश्रित कोटे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति देने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी. 15दिसंबर 21 को अपर नगर आयुक्त (Additional Municipal Commissioner) ने याची से कुछ विंदुओं पर जानकारी मांगी, जिसका दस्तावेजी सबूत के साथ 18 दिसंबर 21 को जवाब दाखिल करने के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया तो उसने कोर्ट की शरण ली.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब याची की मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का शासनादेश जारी हो चुका है तो नगर निगम को अर्जी की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने नगर आयुक्त नगर निगम अलीगढ़ को 3सितंबर 21के शासनादेश के तहत 6 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कुलवंत कुमार की याचिका पर दिया है.

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याचिका में शासनादेश के तहत आश्रित कोटे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति देने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी. 15दिसंबर 21 को अपर नगर आयुक्त (Additional Municipal Commissioner) ने याची से कुछ विंदुओं पर जानकारी मांगी, जिसका दस्तावेजी सबूत के साथ 18 दिसंबर 21 को जवाब दाखिल करने के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया तो उसने कोर्ट की शरण ली.

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