प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को नोटिस जारी कर उनसे व्यक्तिगत हलफनामे की मांग की. साथ ही पूछा कि दिवंगत अध्यापकों के ग्रेच्युटी भुगतान के मामलों में विभिन्न जिलों के बीएसए अलग-अलग तरीका क्यों अपना रहे हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल (Justice Rohit Ranjan Agarwal) ने विनोद कुमार शर्मा और अन्य की अवमानना याचिका पर दिया. विकल्प न होने पर ग्रेच्युटी नहीं रोकी जा सकती.
इसी आधार पर याचियों को भी हाईकोर्ट से राहत मिली लेकिन उन्हें ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया. इस पर अवमानना याचिका की गई. उषा रानी के मामले में राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अपील दाखिल की लेकिन उस पर अब तक सुनवाई नहीं हुई.
अधिवक्ता कमल केसरवानी (Advocate Kamal Kesarwani) ने कहा कि गोरखपुर, पीलीभीत, बदांयू और अन्य जनपदों में ऐसे मामलों में ग्रेच्युटी भुगतान किया जा रहा है. कुछ जिलों की सर्वोच्च न्यायालय में अपील विचाराधीन होने के आधार पर भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से व्यक्तिगत हलफनामे की मांग की है.
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अधिवक्ता की आईडी पर प्रवेश कर रहे व्यक्ति को पुलिस ने रोका
इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को एक व्यक्ति ने अधिवक्ता के आइडेंटिटी कार्ड पर प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन गेट पर तैनात पुलिस वालों की सजगता के कारण वह अंदर नहीं जा सका. उसका और अधिवक्ता का कार्ड जब्त कर लिया गया. बाद में अधिवक्ता ने अन्य वकीलों के साथ आकर पुलिस वालों पर दबाव बनाकर कार्ड वापस लेने की कोशिश की लेकिन कार्ड नहीं मिला.
प्रतिदिन की तरह शुक्रवार को भी गेट नंबर पांच से अधिवक्ता, महाधिवक्ता दफ्तर के कर्मचारी, अधिकारी व पासधारी वादकारी अंदर प्रवेश कर रहे थे. उसी दौरान वहां तैनात एक उप निरीक्षक ने सादे कपड़ों में अंदर जा रहे एक व्यक्ति को रोककर उससे पूछताछ कि तो उसने स्वयं को अधिवक्ता बताया. उपनिरीक्षक ने परिचय पत्र दिखाने को कहा तो उसने जेब से आइडेंटिटी कार्ड निकाल कर दिखाया और तुरंत अंदर रखने लगा.
शक होने पर दारोगा ने कार्ड फिर से दिखाने को कहा और परिचय पत्र से उस व्यक्ति की शक्ल का मिलाया तो वह कोई और निकला. इस पर पुलिस वालों ने वह परिचय पत्र और उस व्यक्ति की आईडी जमा करा ली. उसके बाद उसने अधिकारियों को सूचना दी. दोपहर में वह अधिवक्ता अन्य वकीलों के साथ गेट पर पहुंचकर अपना आईकार्ड मांगने लगे. रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल से इस मामले में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
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