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आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों पर आर्थिक संकट, गोरखपुर में 110 करोड़ रुपये बकाया, डॉक्टरों ने इलाज बंद करने की दी चेतावनी - AYUSHMAN BHARAT SCHEME

अस्पताल के डॉक्टर परेशान, नर्सिंग होम संगठन ने बकाया भुगतान जल्द करने की मांग की, पूर्व में भी सड़क पर उतरकर कर चुके हैं प्रदर्शन

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 15, 2025, 6:43 PM IST

गोरखपुर: आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को मुफ्त में इलाज देने वाले गोरखपुर के 187 अस्पताल खुद ही 'बीमार' होने लगे हैं. क्योंकि पिछले 8 माह में जितने भी मरीजों का इलाज किए हैं, उसके बदले में सरकार की ओर से भुगतान नहीं किया गया है. आयुष्मान भारत योजना से सम्बंध अस्पतालों का सरकार पर करीब 110 करोड़ का बकाया हो चुका है.

उत्तर प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन ने धनराशि जल्दी से जल्दी भुगतान नहीं होने पर सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ने की योजना बनाई है. एसोसिएशन के गोरखपुर ईकाई के सचिव डॉक्टर अजय शुक्ला कहते हैं कि भुगतान में विलंब होने पर ब्याज समेत बकाया धनराशि अस्पतालों को दी जानी चाहिए. यह आयुष्मान योजना के नियम में है. 70 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों के उपचार का पैकेज बढ़कर तीन गुना किया जाए. रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भुगतान न रोके जाएं. इससे अस्पतालों को भविष्य में इलाज देने से कदम पीछे खींच लेना पड़ेगा. उन्होंने सीएम योगी से इस मुद्दे को लेकर मुलाकत करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि अस्पताल अगर इस योजना के तहत हुए अनुबंध को तोड़ दें तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. लेकिन यह बात जरूर तय है कि बकाया भुकतान फंस सकता है.

नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भुगतान जल्द करने की मांग उठाई. (Video Credit; ETV Bharat)
नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र राय ने बताया कि सरकार को भुगतान की व्यवस्था अभिलंब करनी चाहिए. जो भी बिल भेजा जा रहा है, उसमें मात्र दस फीसदी का ही भुगतान हो रहा है, जो उचित नहीं है. अस्पताल यह बोझ कैसे उठायें. पहले आयुष्मान योजना के तहत 60 वर्ष के लोगों को इलाज की सुविधा मिलती थी. लेकिन अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इस योजना से जोड़े जाने के बाद रोगियों की संख्या काफी बढ़ गई है. योजना के अंतर्गत 5 लाख तक निशुल्क उपचार अस्पतालों को करना है. भुगतान न होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. स्वास्थ्य विभाग और स्टेट हेल्थ एजेंसी से मांग के बावजूद समस्या का समाधान होता दिख नहीं रहा.बता दें कि जिले में कुल 187 अस्पतालआयुष्मान भारत योजना से से संबंध हैं. लगभग पांच अस्पतालों के 5 से 6 करोड़ रुपए बकाया है. ज्यादातर बड़े अस्पतालों के 50 लाख से अधिक बकाया है. छोटे अस्पतालों के दस लाख से लेकर 5 लाख तक का भुगतान अटका है. नर्सिंग होम एसोसिएशन का कहना है कि जिले में सभी निजी अस्पतालों का मिलाकर 110 करोड़ से अधिक काम बकाया हो गया है. कुछ फर्जी अस्पतालों का उदाहरण देकर जांच के नाम पर भुगतान में विलंब किया जा रहा है. अनेक मामलों में भुगतान बिल में कटौती की गई है. बावजूद इसके भुगतान नहीं किया गया. यदि अस्पताल योजना के अंतर्गत सेवा बंद कर दें तो अस्पताल प्रबंधकों को दोषी माना जाएगा लेकिन उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं.

सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे का कहना है कि भुगतान के लिए एजेंसी के पास पहुंचे बिलों की अपने स्तर से जांच पड़ताल करती है. यह वजह भी भुगतान में देरी का हो सकता है. भुगतान फंस जाएगा, ऐसा कुछ भी नहीं है. आयुष्मान भारत से जुड़े अस्पताल प्रबंधन ऐसी चिंता ना करें.

इसे भी पढ़ें-चेहरे पर काले-भूरे धब्बे क्याें होते हैं? AIIMS गोरखपुर ने ढूंढा कारण और सटीक इलाज, आप भी जानें

गोरखपुर: आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को मुफ्त में इलाज देने वाले गोरखपुर के 187 अस्पताल खुद ही 'बीमार' होने लगे हैं. क्योंकि पिछले 8 माह में जितने भी मरीजों का इलाज किए हैं, उसके बदले में सरकार की ओर से भुगतान नहीं किया गया है. आयुष्मान भारत योजना से सम्बंध अस्पतालों का सरकार पर करीब 110 करोड़ का बकाया हो चुका है.

उत्तर प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन ने धनराशि जल्दी से जल्दी भुगतान नहीं होने पर सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ने की योजना बनाई है. एसोसिएशन के गोरखपुर ईकाई के सचिव डॉक्टर अजय शुक्ला कहते हैं कि भुगतान में विलंब होने पर ब्याज समेत बकाया धनराशि अस्पतालों को दी जानी चाहिए. यह आयुष्मान योजना के नियम में है. 70 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों के उपचार का पैकेज बढ़कर तीन गुना किया जाए. रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भुगतान न रोके जाएं. इससे अस्पतालों को भविष्य में इलाज देने से कदम पीछे खींच लेना पड़ेगा. उन्होंने सीएम योगी से इस मुद्दे को लेकर मुलाकत करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि अस्पताल अगर इस योजना के तहत हुए अनुबंध को तोड़ दें तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. लेकिन यह बात जरूर तय है कि बकाया भुकतान फंस सकता है.

नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भुगतान जल्द करने की मांग उठाई. (Video Credit; ETV Bharat)
नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र राय ने बताया कि सरकार को भुगतान की व्यवस्था अभिलंब करनी चाहिए. जो भी बिल भेजा जा रहा है, उसमें मात्र दस फीसदी का ही भुगतान हो रहा है, जो उचित नहीं है. अस्पताल यह बोझ कैसे उठायें. पहले आयुष्मान योजना के तहत 60 वर्ष के लोगों को इलाज की सुविधा मिलती थी. लेकिन अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इस योजना से जोड़े जाने के बाद रोगियों की संख्या काफी बढ़ गई है. योजना के अंतर्गत 5 लाख तक निशुल्क उपचार अस्पतालों को करना है. भुगतान न होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. स्वास्थ्य विभाग और स्टेट हेल्थ एजेंसी से मांग के बावजूद समस्या का समाधान होता दिख नहीं रहा.बता दें कि जिले में कुल 187 अस्पतालआयुष्मान भारत योजना से से संबंध हैं. लगभग पांच अस्पतालों के 5 से 6 करोड़ रुपए बकाया है. ज्यादातर बड़े अस्पतालों के 50 लाख से अधिक बकाया है. छोटे अस्पतालों के दस लाख से लेकर 5 लाख तक का भुगतान अटका है. नर्सिंग होम एसोसिएशन का कहना है कि जिले में सभी निजी अस्पतालों का मिलाकर 110 करोड़ से अधिक काम बकाया हो गया है. कुछ फर्जी अस्पतालों का उदाहरण देकर जांच के नाम पर भुगतान में विलंब किया जा रहा है. अनेक मामलों में भुगतान बिल में कटौती की गई है. बावजूद इसके भुगतान नहीं किया गया. यदि अस्पताल योजना के अंतर्गत सेवा बंद कर दें तो अस्पताल प्रबंधकों को दोषी माना जाएगा लेकिन उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं.

सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे का कहना है कि भुगतान के लिए एजेंसी के पास पहुंचे बिलों की अपने स्तर से जांच पड़ताल करती है. यह वजह भी भुगतान में देरी का हो सकता है. भुगतान फंस जाएगा, ऐसा कुछ भी नहीं है. आयुष्मान भारत से जुड़े अस्पताल प्रबंधन ऐसी चिंता ना करें.

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