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AU की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल को गिराए जाने के खिलाफ अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा मेल - राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को अधिवक्ता आकांक्षा यदुवंशी ने एक मेल भेजा है. इस मेल में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल को गिराए जाने पर रोक लगाने की मांग की है.

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Sep 19, 2020, 1:33 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता आकांक्षा यदुवंशी ने मुख्य न्यायाधीश को मेल भेजा है. इस मेल में उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल को ध्वस्त करने व 100 साल पुराने सैकड़ों पेड़ों को काटने पर रोक लगाने की मांग की है. पत्र याचिका में कहा गया है कि सड़क पहले ही 80 फीट चौड़ी है. कभी भी ट्रैफिक जाम नहीं सुनाई दिया. विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल गिराए बगैर भी सड़क चौड़ी की जा सकती है.

पुराने पेड़ कटने से शहर का पर्यावरण प्रभावित होगा. पेड़ों से न केवल वायु प्रदूषण कम होता है. अपितु ये वर्षा जल को भी संरक्षित रखते हैं. नैसर्गिक रूप से तमाम वन्य जीवों-पक्षियों को आश्रय देते हैं. पत्र याचिका में कहा गया है कि विकास व पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है. दूसरे देशों में तकनीकी के जरिये पुराने पेड़ जड़ से खोदकर दूसरी जगह सुरक्षित लगाये जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: प्रयागराज: बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं का फूटा गुस्सा, किया तोड़फोड़

सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को एक पेड़ काटने के बदले दो पेड़ लगाने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश से विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल गिराये जाने और पेड़ों के काटने की योजना पर हस्तक्षेप करने तथा तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता आकांक्षा यदुवंशी ने मुख्य न्यायाधीश को मेल भेजा है. इस मेल में उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल को ध्वस्त करने व 100 साल पुराने सैकड़ों पेड़ों को काटने पर रोक लगाने की मांग की है. पत्र याचिका में कहा गया है कि सड़क पहले ही 80 फीट चौड़ी है. कभी भी ट्रैफिक जाम नहीं सुनाई दिया. विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल गिराए बगैर भी सड़क चौड़ी की जा सकती है.

पुराने पेड़ कटने से शहर का पर्यावरण प्रभावित होगा. पेड़ों से न केवल वायु प्रदूषण कम होता है. अपितु ये वर्षा जल को भी संरक्षित रखते हैं. नैसर्गिक रूप से तमाम वन्य जीवों-पक्षियों को आश्रय देते हैं. पत्र याचिका में कहा गया है कि विकास व पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है. दूसरे देशों में तकनीकी के जरिये पुराने पेड़ जड़ से खोदकर दूसरी जगह सुरक्षित लगाये जा रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को एक पेड़ काटने के बदले दो पेड़ लगाने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश से विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक बाउंड्री वाल गिराये जाने और पेड़ों के काटने की योजना पर हस्तक्षेप करने तथा तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है.

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