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Court News: पति से तलाक के बाद भी पत्नी मांग सकती है गुजारा भत्ता - Allahabad High Court news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि फैमिली कोर्ट से तलाक की डिक्री मंजूर हो जाने के बाद भी पत्नी की गुजारा भत्ता के लिए दंप्रसं की धारा 125 के तहत अर्जी पोषणीय है. यह निर्णय जस्टिस एस ए एच रिजवी ने एयर फोर्स में स्क्वाड्रन लीडर पति याची तरुण पंडित की पुनरीक्षण अर्जी को खारिज करते हुए दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Feb 25, 2022, 7:48 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति से तलाक मंजूर हो जाने के बाद भी पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं. इसके लिए दंप्रसं की धारा 125 के तहत अर्जी पोषणीय है. यह आदेश न्यायमूर्ति एस ए एच रिजवी ने एयर फोर्स में स्क्वाड्रन लीडर तरुण पंडित की पुनरीक्षण अर्जी को खारिज करते हुए दिया है. याची ने परिवार अदालत गौतम बुद्ध नगर के 4 मार्च 2021 को पारित आदेश के उस भाग को चुनौती दी थी जिसके द्वारा पत्नी को बतौर स्थाई गुजारा भत्ता 25 हजार मासिक देने का निर्देश दिया था.

याची पति का कहना था कि उसका पत्नी से तलाक हो चुका है. तलाक की डिक्री पारित हो चुकी है. गुजारा भत्ता के आदेश भी हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत दिया गया है. पैसा भी कोर्ट में जमा है. इस कारण विपक्षी पत्नी की धारा 125 दंप्रसं के तहत गुजारा भत्ता के लिए फेमिली कोर्ट में अर्जी खारिज किए जाने योग्य है.

जबकि पत्नी का कहना था कि तलाक की डिक्री अभी अंतिम नहीं है. इस डिक्री के खिलाफ अपील लंबित है. स्थाई गुजारा भत्ता स्वीकार नहीं किया गया है. इसे स्वीकार करने का मतलब डिक्री को स्वीकार करना माना जाएगा. कहा गया था कि स्थाई निर्वाह भत्ता की मांग नहीं किया गया था. फेमिली कोर्ट ने स्वयं ऐसा आदेश दिया है. कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दिया और कहा कि पत्नी की गुजारा भत्ता व जीवन निर्वाह के लिए धारा 125 दंप्रसं के तहत दाखिल अर्जी मान्य है.

इसे भी पढे़ं- प्रयागराज: हाईकोर्ट ने दी जया प्रदा को बड़ी राहत

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति से तलाक मंजूर हो जाने के बाद भी पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं. इसके लिए दंप्रसं की धारा 125 के तहत अर्जी पोषणीय है. यह आदेश न्यायमूर्ति एस ए एच रिजवी ने एयर फोर्स में स्क्वाड्रन लीडर तरुण पंडित की पुनरीक्षण अर्जी को खारिज करते हुए दिया है. याची ने परिवार अदालत गौतम बुद्ध नगर के 4 मार्च 2021 को पारित आदेश के उस भाग को चुनौती दी थी जिसके द्वारा पत्नी को बतौर स्थाई गुजारा भत्ता 25 हजार मासिक देने का निर्देश दिया था.

याची पति का कहना था कि उसका पत्नी से तलाक हो चुका है. तलाक की डिक्री पारित हो चुकी है. गुजारा भत्ता के आदेश भी हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत दिया गया है. पैसा भी कोर्ट में जमा है. इस कारण विपक्षी पत्नी की धारा 125 दंप्रसं के तहत गुजारा भत्ता के लिए फेमिली कोर्ट में अर्जी खारिज किए जाने योग्य है.

जबकि पत्नी का कहना था कि तलाक की डिक्री अभी अंतिम नहीं है. इस डिक्री के खिलाफ अपील लंबित है. स्थाई गुजारा भत्ता स्वीकार नहीं किया गया है. इसे स्वीकार करने का मतलब डिक्री को स्वीकार करना माना जाएगा. कहा गया था कि स्थाई निर्वाह भत्ता की मांग नहीं किया गया था. फेमिली कोर्ट ने स्वयं ऐसा आदेश दिया है. कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दिया और कहा कि पत्नी की गुजारा भत्ता व जीवन निर्वाह के लिए धारा 125 दंप्रसं के तहत दाखिल अर्जी मान्य है.

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