प्रयागराजः गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को एक अधिवक्ता ने रोककर अपनी परेशानी बताई और कार्रवाई का आदेश कराने के बाद ही डीजीपी को आगे बढ़ने दिया. दरअसल, मैनपुरी की छात्रा के आत्महत्या मामले में सुनवाई के बाद डीजीपी मुकुल गोयल जैसे ही कोर्ट रूम से बाहर निकलकर लिफ्ट की ओर बढ़े, पीछे से एक अधिवक्ता ने जोर से आवाज लगाई कि डीजीपी साहब मेरे घर पत्थर चल रहे हैं और यहां के अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं. इसलिए आपको मेरी बात सुननी होगी. यह कहकर अधिवक्ता ने डीजीपी को रोकने का प्रयास किया.
आईजी, डीआईजी से लेकर अन्य अधिकारियों अधिवक्ता को किनारे करने की कोशिश की, लेकिन अधिवक्ता डीजीपी से बात करने पर अड़े रहे. बार-बार यही कहते रहे कि स्थानीय पुलिस हमारी नहीं सुन रही है. कई बार आईजी-डीआईजी को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
आईजी केपी सिंह ने अधिवक्ता को समझाने की कोशिश की पर वह नहीं माने और डीजीपी के काफिले के साथ चलते रहे. इस बीच अधिवक्ता को रोकने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं माने. अंततः डीजीपी ने खड़े होकर अधिवक्ता की बात सुनी और अधिकारियों को अधिवक्ता की बात सुनकर उस पर कार्रवाई का आदेश दिया. तब अधिवक्ता शांत हुए. इसके बाद डीजीपी अपने अधीनस्थों के साथ हाईकोर्ट से बाहर निकल गए.
इससे पहले मैनपुरी रेप केस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जिले के आला अधिकारी भी मौजूद रहे. आईजी केपी सिंह व डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी कोर्ट रूम के अंदर रहे, जबकि एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र और एसपी गंगापार व यमुनापार बाहर इंतजार करते रहे. सभी अधिकारी पल-पल का अपडेट लेते रहे.