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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, बालिग को पसंद के साथी के संग रहने का अधिकार - लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट

लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बालिग को पसंद के साथी के संग रहने का अधिकार है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (allahabad high court order) सोमवार को आया.

लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट
allahabad high court on live in relationship
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Published : Nov 22, 2022, 6:29 AM IST

प्रयागराज: यह इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश सोमवार को आया है. अदालत ने बालिग युगल को अपनी मर्जी से साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है. उनके जीवन में किसी प्राधिकारी या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप (High Court on fundamental rights of adult couple) को कानूनी मान्यता दी गई है.

लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court on live in relationship) का यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने आकाश राजभर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया. इसी के साथ कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे याचियों के खिलाफ बलिया के नरही थाने में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी.

याचिका में प्राथमिकी रद करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि किसी की भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बिना कानूनी प्राधिकार से नहीं छीनी जा सकती. बालिग युगल को अपनी मर्जी से एक साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है. सरकार का दायित्व है कि वह उनके इस अधिकार की सुरक्षा करे. बालिगों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार है. उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ें- मथुरा में ऑनर किलिंग, पिता ने मर्डर करके सूटकेस में फेंकी थी बेटी की लाश

प्रयागराज: यह इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश सोमवार को आया है. अदालत ने बालिग युगल को अपनी मर्जी से साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है. उनके जीवन में किसी प्राधिकारी या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप (High Court on fundamental rights of adult couple) को कानूनी मान्यता दी गई है.

लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court on live in relationship) का यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने आकाश राजभर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया. इसी के साथ कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे याचियों के खिलाफ बलिया के नरही थाने में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी.

याचिका में प्राथमिकी रद करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि किसी की भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बिना कानूनी प्राधिकार से नहीं छीनी जा सकती. बालिग युगल को अपनी मर्जी से एक साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है. सरकार का दायित्व है कि वह उनके इस अधिकार की सुरक्षा करे. बालिगों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार है. उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.

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