प्रयागराज: इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी की वर्कशॉप में सूरज से जुड़े तमाम रहस्यों से भौतिक विज्ञान के छात्र रूबरू हुए. युनिवर्सिटी के साइंस फैकल्टी में फिजिक्स डिपार्टमेन्ट में आयोजित तीन दिनी सेमिनार में देश के अलग अलग राज्यों से आए 22 छात्रों के साथ इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी के 28 छात्र छात्राएं शामिल हुए हैं. इन छात्र छात्राओं को आदित्य एल 1 के साथ गए स्वीट पेलोड को बनाने वाले आयुका के वैज्ञानिक प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने सूर्य और पैराबैगनी किरणों से जुड़े रहस्यों के बारे में जानकारी दी.
सेमिनार में प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि किस तरह से सूर्य से निकलने वाली पैराबैगनी किरणें इंसान और वायुमंडल पर प्रभाव डालती हैं. किस प्रकार से सूर्य के आसपास चलने वाली सौर हवाएं सन स्पॉट के बारे में छात्र छात्राओं को जानकारी देंगे. प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि इस सेमिनार के जरिये छात्रों को सूर्य के बारे में अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि सूर्ययान आदित्य एल 1 के साथ जो सूट पेलोड अंतरिक्ष में गया है, वो सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के बारे में अध्ययन करेगा. सूट पेलोड जल्द ही पूरी तरह से कार्य करने लगेगा. अभी तक सूट पेलोड के अंदर लगे इंटर्नल स्विच को ऑन करके उसका सफल टेस्ट किया जा चुका है. जल्द ही आउटर स्विच को ऑन करके उसके सफल परिणाम देखने को मिलेंगे.
आउटर स्विच ऑन होने के बाद सूट (सोलर उल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप) से बाहर की तस्वीरें सेटेलाइट के जरिये वैज्ञानिकों के पास पहुंचने लगेंगी. जिससे सूर्य और उसके बारे में अध्ययन करने वालों के लिए काफी कारगर साबित होगा. सेमिनार में छात्रों को प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी के अलावा 6 अन्य एक्सपर्ट्स भी सूर्य से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध करवाई है.
प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि उनकी टीम द्वारा तैयार किये गए सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप सूट को बनाने में दस साल से ज्यादा का समय लगा हुआ है. अब जब उनके द्वारा बनाया गया सूट बेहतर ढंग से कार्य कर रहा है तो उनके मन में आस जगी है कि उनके द्वारा बनाए गए सूट की मदद से वो सूर्य से जुड़ी कई और नई जानकारियां देश दुनिया के सामने ला सकते हैं.
वर्कशॉप में कुल 50 छात्र छात्राएं शामिल हुए हैं. जिनमें से 28 छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान विभाग के स्नातक तृतीय वर्ष और परास्नातक के दोनों साल के हैं. इसके साथ ही ऐसे ही 22 छात्र दूसरे प्रदेशों के विश्वविद्यालय से आए हैं. इस सेमिनार में शामिल होने वाले इन छात्रों का चयन पहले से ही कर लिया गया था. जो अब तीन दिन तक यहां रहकर सूर्य और वातावरण से जुड़ी जानकारियों को हासिल कर सकेंगे.