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यहां डर के साए में जिंदगी जी रहे लोग, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में लोग डर के साए में जिंदगी जीने को मजबूर हैं. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. आखिर क्या है पूरा मामला, देखिए ये खास रिपोर्ट...

people are forced to live in dilapidated buildings in pratapgarh
प्रतापगढ़ में जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं लोग.
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Published : Sep 21, 2020, 1:44 PM IST

प्रतापगढ़: आज पूरा देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है. शासन-प्रशासन लोगों को बचाने में लगा हुआ है. इसी बीच नगर पालिका प्रतापगढ़ ने 84 मकान मालिकों को नोटिस भेजा है कि वे आपने मकान ठीक करा लें या उन्हें जमींदोज कर दें. पालिका ने यह भी कहा है कि अगर मकान ठीक हो सकते हैं तो उन्हें सही करा लिया जाए, नहीं तो नगर पालिका खुद अभियान छेड़कर ऐसे मकानों को गिरा देगी.

स्पेशल रिपोर्ट...

खौफ के साए में जिंदगी
शहर के इन 84 मकानों की हालत बेहद जर्जर है, जिससे यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. हालांकि नगर पालिका इस तरह की नोटिस हर बार देती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती. जर्जर मकानों में रहने वाले लोग हमेशा खौफ और दहशत में रहते हैं. इन मकानों के नीचे सालों से व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं. ऐसे में कोई हादसा हुआ तो स्थिति भयानक होगी. दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों में जर्जर मकानों के गिरने से कई बड़े हादसे हो चुके हैं.

सैकड़ों साल पुराने हैं मकान
प्रतापगढ़ शहर के बीचों बीच चौक, घंटाघर, अस्पताल रोड और विवेकनगर में सैकड़ों साल पुराने मकान मौजूद हैं. सड़क किनारे मौजूद इन मकानों के नीचे तमाम दुकानें बनी हुई हैं. दुकानदार और इन मकानों में रहने वाले लोग आंधी, तूफान और तेज बरसात के समय दहशत में रहते हैं कि कहीं मकान गिर न जाए.

'पैसे नहीं, कैसे बनाएं नई बिल्डिंग'
मकान मालिकों से जब जानकारी ली जाती है तो उनका कहना होता है कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि बिल्डिंग गिराकर नई बिल्डिंग बनाएं. पुराने और अंग्रेजी शासन काल में बने तमाम मकान बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे हैं. आस-पास आने जाने वाले भी डरे होते हैं. चूना-मिट्टी के बने इन मकानों की उम्र समाप्त हो गई है. ऊपर से ये अब खंडहर में भी तब्दील हो गए हैं.

people are forced to live in dilapidated buildings in pratapgarh
जर्जर इमारत.

'लोगों की मदद करे नगर पालिका'
मामले में व्यापारी नेता प्रशांत किशोर शुक्ला ने बताया कि नगर पालिका ने जर्जर मकानों को नोटिस दिया है. इसका हम लोग स्वागत करते हैं पर ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्हें नोटिस तो दिया गया है पर उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह घर गिरवा कर नया बनवा सकें. उन्होंने बताया कि बीच शहर में पहले तो घर गिरवाना एक चुनौती है. वहीं आजकल मकान या मार्केट बनवाने में बहुत पैसे खर्च होते हैं. नगर पालिका ऐसे लोगों की आर्थिक तौर पर या अपने खुद के संसाधन से मदद करे, उनका सहयोग करे तो बात बन सकती है. यह जरूर है कि लोग खतरे में हैंं. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

'आदेश का पालन नहीं करने पर होगी कार्रवाई'
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी मुदित सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर यह नोटिस भेजी गई है. पिछले साल भी इन लोगों को नोटिस भेजा गया था, लेकिन ये लोग आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मामले को लेकर जिलाधिकारी से वार्ता की जाएगी और इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी. चूंकि मामला लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है. इसलिए किसी भी प्रकार की जनहानि हम नहीं चाहते.

ये भी पढ़ें: प्रतापगढ़: नगर पालिका के बाबू ने घूस लेकर भी नहीं किया काम, जमकर हुआ हंगामा

...हो सकता है बड़ा हादसा
काफी भीड़-भाड़ और भारी ट्रैफिक वाले प्रतापगढ़ जिले में करीब 200 दुकानदार दहशत में रहने को मजबूर हैं. रोजी-रोटी के लिए ये लोग इन खण्डहरनुमा दुकानों में अपना प्रतिष्ठान चलाने को मजबूर हैं. कई सालों से मकान मालिकों को नोटिस दिया जा रहा है, लेकिन लगता है कि इन्हें अब भी किसी बड़े हादसे का इंतजार है.

प्रतापगढ़: आज पूरा देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है. शासन-प्रशासन लोगों को बचाने में लगा हुआ है. इसी बीच नगर पालिका प्रतापगढ़ ने 84 मकान मालिकों को नोटिस भेजा है कि वे आपने मकान ठीक करा लें या उन्हें जमींदोज कर दें. पालिका ने यह भी कहा है कि अगर मकान ठीक हो सकते हैं तो उन्हें सही करा लिया जाए, नहीं तो नगर पालिका खुद अभियान छेड़कर ऐसे मकानों को गिरा देगी.

स्पेशल रिपोर्ट...

खौफ के साए में जिंदगी
शहर के इन 84 मकानों की हालत बेहद जर्जर है, जिससे यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. हालांकि नगर पालिका इस तरह की नोटिस हर बार देती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती. जर्जर मकानों में रहने वाले लोग हमेशा खौफ और दहशत में रहते हैं. इन मकानों के नीचे सालों से व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं. ऐसे में कोई हादसा हुआ तो स्थिति भयानक होगी. दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों में जर्जर मकानों के गिरने से कई बड़े हादसे हो चुके हैं.

सैकड़ों साल पुराने हैं मकान
प्रतापगढ़ शहर के बीचों बीच चौक, घंटाघर, अस्पताल रोड और विवेकनगर में सैकड़ों साल पुराने मकान मौजूद हैं. सड़क किनारे मौजूद इन मकानों के नीचे तमाम दुकानें बनी हुई हैं. दुकानदार और इन मकानों में रहने वाले लोग आंधी, तूफान और तेज बरसात के समय दहशत में रहते हैं कि कहीं मकान गिर न जाए.

'पैसे नहीं, कैसे बनाएं नई बिल्डिंग'
मकान मालिकों से जब जानकारी ली जाती है तो उनका कहना होता है कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि बिल्डिंग गिराकर नई बिल्डिंग बनाएं. पुराने और अंग्रेजी शासन काल में बने तमाम मकान बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे हैं. आस-पास आने जाने वाले भी डरे होते हैं. चूना-मिट्टी के बने इन मकानों की उम्र समाप्त हो गई है. ऊपर से ये अब खंडहर में भी तब्दील हो गए हैं.

people are forced to live in dilapidated buildings in pratapgarh
जर्जर इमारत.

'लोगों की मदद करे नगर पालिका'
मामले में व्यापारी नेता प्रशांत किशोर शुक्ला ने बताया कि नगर पालिका ने जर्जर मकानों को नोटिस दिया है. इसका हम लोग स्वागत करते हैं पर ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्हें नोटिस तो दिया गया है पर उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह घर गिरवा कर नया बनवा सकें. उन्होंने बताया कि बीच शहर में पहले तो घर गिरवाना एक चुनौती है. वहीं आजकल मकान या मार्केट बनवाने में बहुत पैसे खर्च होते हैं. नगर पालिका ऐसे लोगों की आर्थिक तौर पर या अपने खुद के संसाधन से मदद करे, उनका सहयोग करे तो बात बन सकती है. यह जरूर है कि लोग खतरे में हैंं. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

'आदेश का पालन नहीं करने पर होगी कार्रवाई'
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी मुदित सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर यह नोटिस भेजी गई है. पिछले साल भी इन लोगों को नोटिस भेजा गया था, लेकिन ये लोग आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मामले को लेकर जिलाधिकारी से वार्ता की जाएगी और इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी. चूंकि मामला लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है. इसलिए किसी भी प्रकार की जनहानि हम नहीं चाहते.

ये भी पढ़ें: प्रतापगढ़: नगर पालिका के बाबू ने घूस लेकर भी नहीं किया काम, जमकर हुआ हंगामा

...हो सकता है बड़ा हादसा
काफी भीड़-भाड़ और भारी ट्रैफिक वाले प्रतापगढ़ जिले में करीब 200 दुकानदार दहशत में रहने को मजबूर हैं. रोजी-रोटी के लिए ये लोग इन खण्डहरनुमा दुकानों में अपना प्रतिष्ठान चलाने को मजबूर हैं. कई सालों से मकान मालिकों को नोटिस दिया जा रहा है, लेकिन लगता है कि इन्हें अब भी किसी बड़े हादसे का इंतजार है.

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