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घुइसरनाथ धाम में लगा भक्तों का तांता, जानें क्या है मान्यता

प्रतापगढ़ जिले में स्थित करोड़ों शिव (Shiv) भक्तों की आस्था का केंद्र घुश्मेश्वरनाथ धाम यानि घुइसरनाथ धाम (Ghuisarnathdham Temple) में इन दिनों हजारों भक्तों की भीड़ लगी है. धर्म और आस्था का प्रतीक घुइसरनाथ धाम की मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. सावन (Sawan) और शिवरात्रि के समय यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.

घुइसरनाथ धाम में भक्तों की भीड़
घुइसरनाथ धाम में भक्तों की भीड़
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Published : Aug 9, 2021, 2:41 PM IST

प्रतापगढ़: जनपद मुख्यालय से 40 किलो मीटर दूर सागीपुर इलाके में स्थित घुइसरनाथ धाम (Ghuisarnathdham Temple) का पौराणिक महत्व है. शिव पुराण में भी इस क्षेत्र का महत्व वर्णित है. मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन करने से मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भक्त को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. वैसे तो यहां हमेशा ही शिवभक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन (Sawan) के महीने में और शिवरात्रि के दिन यहां का नजारा कुछ और ही रहता है.

घुइसरनाथ धाम (Ghuisarnathdham Temple) का उल्लेख पुराणों में मिलता है. शिव पुराण के अनुसार यहां एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम सुदेहा और उसकी पत्नी का नाम सुधर्मा था. शादी के कई वर्षों तक उनको पुत्र प्राप्ति नहीं हुई. जिसके बाद सुधर्मा ने अपने पति का विवाह अपनी बहन घुस्मा के साथ करा दिया. घुस्मा भगवान शिव की बड़ी भक्त थी. भगवान शिव की कृपा से घुस्मा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हो गई. घुस्मा को पुत्र की प्राप्ति होने के बाद उसकी बड़ी बहन सुधर्मा अपनी छोटी बहन के जलने लगी, कुछ सालों बाद सुधर्मा ने घुस्मा के पुत्र की हत्या कर दी. घुस्मा जिस झील में पार्थिव शिवलिंग की पूजन कर उसे प्रवाहित करती थी, सुधर्मा ने उसी झील मे घुस्मा के पुत्र की हत्या कर शव को फेंक दिया था.

घुइसरनाथ धाम में भक्तों की भीड़

जब शिशु की हत्या हुई घुस्मा उस वक्त शिव की आराधना मे लीन थी. बेटे की हत्या की खबर मिलने के बाद भी वह शिव की आराधना में लीन रही. जिसके चलते भगवान शिव प्रसन्न हुए और साक्षात प्रकट होकर घुस्मा से वरदान मांगने को कहा. घुस्मा ने उसी जगह भगवान शिव को विराजमान होने का वरदान मांगा. तब से ऐसी मान्यता है भगवान शिव यहां साक्षात विराजमान हैं. यही वजह है कि इस धाम का नाम घुस्मेश्वर यानि घुइसरनाथ धाम पड़ा. ऐसी भी मान्यता है की प्रभु राम ने भी वनवास जाते समय घुइसरनाथ पर रात्रि विश्राम किया था. सुबह घुइसरनाथ के दर्शन पूजन के बाद वो आगे वनवास के लिए रवाना हुए थे.

इसे भी पढ़ें-जानिए...शिव के सिर पर कैसे विराजमान हुए चंद्रमा, क्या है डमरू का महत्व

बता दें, सावन (Sawan) माह मे शिवमंदिरों (Shiv Temple) में भगवान शिव के दर्शन पूजन और जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. घुइसरनाथ धाम मे भी भक्तों का तांता लगा रहता है. हजारों की संख्या में रोज श्रद्धालु भोले नाथ की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक कर रहे हैं. यहां दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि घुइसरनाथ बाबा के दर्शन पूजन करने से भक्तों की मन मांगी मुराद पूरी होती है. बाबा के द्वार पर मथा टेकने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं. वहीं दावा किया जाता है की 12 ज्योतिर्लिंग के रूप मे घुइसरनाथ धाम भी है. शिवपुराण मे भी इस घुइसरनाथ धाम का जिक्र मिलता है. यह सई नदी के किनारे ऊपर टीले पर स्थित है, जहां भगवान घुइसरनाथ के जलाभिषेक और पूजन के लिए देश से लेकर विदेश तक के लोग पहुंचते हैं.

प्रतापगढ़: जनपद मुख्यालय से 40 किलो मीटर दूर सागीपुर इलाके में स्थित घुइसरनाथ धाम (Ghuisarnathdham Temple) का पौराणिक महत्व है. शिव पुराण में भी इस क्षेत्र का महत्व वर्णित है. मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन करने से मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भक्त को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. वैसे तो यहां हमेशा ही शिवभक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन (Sawan) के महीने में और शिवरात्रि के दिन यहां का नजारा कुछ और ही रहता है.

घुइसरनाथ धाम (Ghuisarnathdham Temple) का उल्लेख पुराणों में मिलता है. शिव पुराण के अनुसार यहां एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम सुदेहा और उसकी पत्नी का नाम सुधर्मा था. शादी के कई वर्षों तक उनको पुत्र प्राप्ति नहीं हुई. जिसके बाद सुधर्मा ने अपने पति का विवाह अपनी बहन घुस्मा के साथ करा दिया. घुस्मा भगवान शिव की बड़ी भक्त थी. भगवान शिव की कृपा से घुस्मा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हो गई. घुस्मा को पुत्र की प्राप्ति होने के बाद उसकी बड़ी बहन सुधर्मा अपनी छोटी बहन के जलने लगी, कुछ सालों बाद सुधर्मा ने घुस्मा के पुत्र की हत्या कर दी. घुस्मा जिस झील में पार्थिव शिवलिंग की पूजन कर उसे प्रवाहित करती थी, सुधर्मा ने उसी झील मे घुस्मा के पुत्र की हत्या कर शव को फेंक दिया था.

घुइसरनाथ धाम में भक्तों की भीड़

जब शिशु की हत्या हुई घुस्मा उस वक्त शिव की आराधना मे लीन थी. बेटे की हत्या की खबर मिलने के बाद भी वह शिव की आराधना में लीन रही. जिसके चलते भगवान शिव प्रसन्न हुए और साक्षात प्रकट होकर घुस्मा से वरदान मांगने को कहा. घुस्मा ने उसी जगह भगवान शिव को विराजमान होने का वरदान मांगा. तब से ऐसी मान्यता है भगवान शिव यहां साक्षात विराजमान हैं. यही वजह है कि इस धाम का नाम घुस्मेश्वर यानि घुइसरनाथ धाम पड़ा. ऐसी भी मान्यता है की प्रभु राम ने भी वनवास जाते समय घुइसरनाथ पर रात्रि विश्राम किया था. सुबह घुइसरनाथ के दर्शन पूजन के बाद वो आगे वनवास के लिए रवाना हुए थे.

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बता दें, सावन (Sawan) माह मे शिवमंदिरों (Shiv Temple) में भगवान शिव के दर्शन पूजन और जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. घुइसरनाथ धाम मे भी भक्तों का तांता लगा रहता है. हजारों की संख्या में रोज श्रद्धालु भोले नाथ की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक कर रहे हैं. यहां दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि घुइसरनाथ बाबा के दर्शन पूजन करने से भक्तों की मन मांगी मुराद पूरी होती है. बाबा के द्वार पर मथा टेकने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं. वहीं दावा किया जाता है की 12 ज्योतिर्लिंग के रूप मे घुइसरनाथ धाम भी है. शिवपुराण मे भी इस घुइसरनाथ धाम का जिक्र मिलता है. यह सई नदी के किनारे ऊपर टीले पर स्थित है, जहां भगवान घुइसरनाथ के जलाभिषेक और पूजन के लिए देश से लेकर विदेश तक के लोग पहुंचते हैं.

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