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SC/ST एक्ट का अपराध नहीं बनता तो ली जा सकती है अग्रिम जमानत : हाईकोर्ट - अग्रिम जमानत

एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथमदृष्टया केस साबित नहीं करता है तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त करने की अर्जी देने का अधिकार है. धारा 18 व 18 ए इसमें बाधक नहीं होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी और न्यायमूर्ति शमीम अहद की खंडपीठ ने रमाबाई नगर के शिवली थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल मिश्र की याचिका पर दिया है.

allahabad high court new
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jan 14, 2021, 9:16 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथमदृष्टया केस साबित नहीं करता तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त करने की अर्जी देने का अधिकार है. धारा 18 व 18ए इसमें बाधक नहीं होगी.

याची का कहना था कि जाति सूचक गाली देने की घटना सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई. इसलिए एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं हुआ. कोर्ट ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है और कहा है कि अदालत में सारे तथ्य रखे जाएं. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रमाबाई नगर के शिवली थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल मिश्र की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि सह अभियुक्त दीपक व अनिल कुमार शिकायतकर्ता के करीबी संबंधी हैं. उनके बीच विवाद में याची बीच-बचाव करने गया था. झूठा आरोप लगाकर फंसाया गया है. जाति सूचक गाली देने की घटना किसी सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई है, इसलिए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए.

याची का यह भी कहना था कि यदि एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध बनता ही नहीं तो आरोपी को अग्रिम जमानत प्राप्त करने का अधिकार है. धारा 18 इसमें बाधक नहीं होगी, जो अनुसूचित जाति जन जाति के विरुद्ध अपराध मे अग्रिम जमानत पर रोक लगाती है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथमदृष्टया केस साबित नहीं करता तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त करने की अर्जी देने का अधिकार है. धारा 18 व 18ए इसमें बाधक नहीं होगी.

याची का कहना था कि जाति सूचक गाली देने की घटना सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई. इसलिए एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं हुआ. कोर्ट ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है और कहा है कि अदालत में सारे तथ्य रखे जाएं. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रमाबाई नगर के शिवली थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल मिश्र की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि सह अभियुक्त दीपक व अनिल कुमार शिकायतकर्ता के करीबी संबंधी हैं. उनके बीच विवाद में याची बीच-बचाव करने गया था. झूठा आरोप लगाकर फंसाया गया है. जाति सूचक गाली देने की घटना किसी सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई है, इसलिए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए.

याची का यह भी कहना था कि यदि एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध बनता ही नहीं तो आरोपी को अग्रिम जमानत प्राप्त करने का अधिकार है. धारा 18 इसमें बाधक नहीं होगी, जो अनुसूचित जाति जन जाति के विरुद्ध अपराध मे अग्रिम जमानत पर रोक लगाती है.

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