पीलीभीत: भाजपा सांसद वरुण गांधी का अपने ही सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार फिर सांसद ने ट्विटर के जरिए अपनी ही सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरने का काम किया है. इस बार उन्होंने रिक्त पड़े पदों के आंकड़ों के साथ अपनी सरकार पर निशाना साधा है. शनिवार को अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए उन्होंने सवाल पूछा कि कहां गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था. वरुण गांधी ने ट्वीट के साथ कुछ आंकड़ों को साझा करते हुए लिखा कि जब बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है, तब यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं. उन्होंने कहा कि जहां भर्तियां न आने से करोड़ों युवा हताश व निराश है तो वहीं, 'सरकारी आंकड़ों' की ही मानें तो देश में 60 लाख 'स्वीकृत पद' खाली हैं. उन्होंने आगे पूछा कि कहां गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था? यह जानना हर नौजवान का हक है.
खैर, यह पहला मौका नहीं है, जब किसी मुद्दे को लेकर वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार की आलोचना की हो, इससे पहले भी कई मौकों पर अपनी सरकार के खिलाफ खड़े दिखाए हैं. करीब एक हफ्ते पहले उन्होंने इसी बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र को घेरते हुए कहा था कि देश प्रशासनिक अक्षमता की कीमत चुका रहा है. प्रदेश के पीलीभीत से सांसद गांधी ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में छात्रों की स्थिति खराब हुई है और उन्हें अपने अधिकारों और पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
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जब बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है तब यह आँकड़े चौंकाने वाले हैं।
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जहां भर्तियाँ न आने से करोड़ों युवा हताश व निराश है, वहीं ‘सरकारी आँकड़ों’ की ही मानें तो देश में 60 लाख ‘स्वीकृत पद’ खाली हैं।
कहाँ गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था?
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— Varun Gandhi (@varungandhi80) May 28, 2022
जहां भर्तियाँ न आने से करोड़ों युवा हताश व निराश है, वहीं ‘सरकारी आँकड़ों’ की ही मानें तो देश में 60 लाख ‘स्वीकृत पद’ खाली हैं।
कहाँ गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था?
यह जानना हर नौजवान का हक है! pic.twitter.com/dxtn64IeRzजब बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है तब यह आँकड़े चौंकाने वाले हैं।
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जहां भर्तियाँ न आने से करोड़ों युवा हताश व निराश है, वहीं ‘सरकारी आँकड़ों’ की ही मानें तो देश में 60 लाख ‘स्वीकृत पद’ खाली हैं।
कहाँ गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था?
यह जानना हर नौजवान का हक है! pic.twitter.com/dxtn64IeRz
उन्होंने कहा था कि पूरे परिवार की महत्वाकांक्षाओं का बोझ अपने कंधों पर लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की कहानी पिछले कुछ सालों में संघर्ष की लंबी कहानी बन गई है. अब छात्र न केवल पढ़ते हैं बल्कि अपने अधिकारों की रक्षा भी करते हैं. अप्रैल माह में भी वरुण ने पीलीभीत में एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान केंद्र और राज्य सरकार को बेरोजगारी के मामले पर घेरा था.
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