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पीलीभीतः फुलहर झील के पास बनेगा कछुआ संरक्षण और रिसर्च सेंटर - गोमती नदी उद्गम स्थल

यूपी के पीलीभीत जिले में फुलहर झील के पास डेढ़ एकड़ भूमि पर कछुआ संरक्षण एवं रिसर्च सेंटर बनेगा. इसके लिए जिलाधिकारी ने भूमि का चयन भी कर लिया है. साथ ही टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक ने अपनी टीम के साथ फुलहर झील का निरीक्षण करने दोबारा जिले में आएंगे. उसके बाद निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना जताई जा रही है.

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फुलहर झील के पास बनेगा कछुआ संरक्षण और रिसर्च सेंटर.
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Published : Oct 22, 2020, 4:56 PM IST

पीलीभीतः गोमती नदी के उद्गम स्थल कलीनगर की फुलहर झील के किनारे जल्द ही डेढ़ एकड़ भूमि में कछुआ संरक्षण एवं रिसर्च सेंटर बनेगा. जिला अधिकारी ने इसको लेकर तत्परता जाहिर करते हुए कवायद शुरू कर दी है. जिला अधिकारी के अनुसार रिसर्च सेंटर के लिए भूमि को चिन्हित कर लिया गया है. 3 वर्ष पहले टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक ने अपनी टीम के साथ भूमि देखी थी और कछुओं के संरक्षण के लिए बेहतर वातावरण बताया था. जिसको लेकर पीलीभीत जिला अधिकारी पुलकित खरे तन-मन से जुट चुके हैं. बहुत जल्द संरक्षण केंद्र एवं रिसर्च सेंटर बनाया जाने लगेगा.

फुलहर झील के पास बनेगा कछुआ संरक्षण और रिसर्च सेंटर.

गोमती नदी उद्गम स्थल है सौंदर्यपूर्ण
अवध की शान लखनऊ की लाइफ लाइन कही जाने वाली आदि गंगा मां गोमती नदी के उद्गम तीर्थ स्थल पर जिलाधिकारी पुलकित खरे ने निरीक्षण किया था. उद्गम तीर्थ स्थल पर बारीकी से निरीक्षण करते हुए स्थल के पौराणिक धार्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य के परिपूर्ण होने के कारण पर्यटन के रूप में विकसित करने की बात कही थी. निरीक्षण के समय फुलहर झील में बहुतायत संख्या में कछुए देखे गए. जिस पर जिलाधिकारी पुलकित खरे ने आसपास के लोगों से इस संबंध में बातचीत की.

पाई जाती है कछुओं की 26 दुर्लभ प्रजाति
लोगों ने बताया कि इस झील में 26 दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं. इसलिए इनका संरक्षण अत्यंत जरूरी है. साथ ही यह भी बताया कि समय पहले लोगों ने शासन प्रशासन स्तर पर मांग की थी कि इन कुछुओं का संरक्षण किया जाए. इस मांग पर टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक डॉ. शैलेंद्र सिंह अपनी 3 सदस्य टीम के आशीष सिंह, सुरेश पाल सिंह के साथ फुलहर झील का निरीक्षण किया था. साथ ही यहां के वातावरण को कछुओं के लिए बेहतर बताया था. प्रजातियों के बारे में गहन अध्ययन भी किया था.

टर्टल सर्वाइवल अलायंस ने किया निरीक्षण
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब पर्यटक झील के किनारे पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. तब अनायास ही कछुए उनके पास पहुंच जाते हैं. उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं. पीलीभीत जिला अधिकारी पुलकित खरे ने मां गोमती उद्गम स्थल को विदेशों में पहचान देने के लिए यहां पर बनाए जाने वाले कछुआ रिसर्च सेंटर और संरक्षण केंद्र को लेकर शासन स्तर पर लगातार पत्राचार किया. जिस पर शासन से मंजूरी मिल चुकी है. साथ ही एक बार फिर टर्टल सर्वाइवल अलायंस भारत के निदेशक को निरीक्षण के आदेश दिए गए हैं.

देश के साथ विदेशों में भी नाम स्थापित करने की कोशिश
मां गोमती के उद्गम स्थल पर कछुआ रिसर्च सेंटर और संरक्षण केंद्र बनने से देश प्रदेश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक खास पहचान मिलेगी. कछुआ पर रिसर्च कर रहे लोग अब पीलीभीत भी पहुंचेंगे. जिससे पीलीभीत के पर्यटन में चार चांद लग जाए जाएंगे.

अधिकारी पुलकित खरे ने ईटीवी भारत को बताया कि जनपद को विदेशों में खास पहचान देने के लिए कलीनगर तहसील के मां गोमती उद्गम स्थल के फुलहर झील के पास कछुआ संरक्षण केंद्र और रिसर्च सेंटर बनने से जिले को नई पहचान मिलेगी. साथ ही फुलहर झील में कई प्रजातियों के कछुए पाए जाते हैं, जिससे पीलीभीत को पर्यटन में भी बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए डेढ़ एकड़ जमीन को चिन्हित कर लिया गया है और टर्टल सर्वाइवल एलाइंस की टीम एक बार फिर पीलीभीत की फुलहर झील का निरीक्षण करने पहुंचेगी.

पीलीभीतः गोमती नदी के उद्गम स्थल कलीनगर की फुलहर झील के किनारे जल्द ही डेढ़ एकड़ भूमि में कछुआ संरक्षण एवं रिसर्च सेंटर बनेगा. जिला अधिकारी ने इसको लेकर तत्परता जाहिर करते हुए कवायद शुरू कर दी है. जिला अधिकारी के अनुसार रिसर्च सेंटर के लिए भूमि को चिन्हित कर लिया गया है. 3 वर्ष पहले टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक ने अपनी टीम के साथ भूमि देखी थी और कछुओं के संरक्षण के लिए बेहतर वातावरण बताया था. जिसको लेकर पीलीभीत जिला अधिकारी पुलकित खरे तन-मन से जुट चुके हैं. बहुत जल्द संरक्षण केंद्र एवं रिसर्च सेंटर बनाया जाने लगेगा.

फुलहर झील के पास बनेगा कछुआ संरक्षण और रिसर्च सेंटर.

गोमती नदी उद्गम स्थल है सौंदर्यपूर्ण
अवध की शान लखनऊ की लाइफ लाइन कही जाने वाली आदि गंगा मां गोमती नदी के उद्गम तीर्थ स्थल पर जिलाधिकारी पुलकित खरे ने निरीक्षण किया था. उद्गम तीर्थ स्थल पर बारीकी से निरीक्षण करते हुए स्थल के पौराणिक धार्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य के परिपूर्ण होने के कारण पर्यटन के रूप में विकसित करने की बात कही थी. निरीक्षण के समय फुलहर झील में बहुतायत संख्या में कछुए देखे गए. जिस पर जिलाधिकारी पुलकित खरे ने आसपास के लोगों से इस संबंध में बातचीत की.

पाई जाती है कछुओं की 26 दुर्लभ प्रजाति
लोगों ने बताया कि इस झील में 26 दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं. इसलिए इनका संरक्षण अत्यंत जरूरी है. साथ ही यह भी बताया कि समय पहले लोगों ने शासन प्रशासन स्तर पर मांग की थी कि इन कुछुओं का संरक्षण किया जाए. इस मांग पर टर्टल सर्वाइवल एलाइंस भारत के निदेशक डॉ. शैलेंद्र सिंह अपनी 3 सदस्य टीम के आशीष सिंह, सुरेश पाल सिंह के साथ फुलहर झील का निरीक्षण किया था. साथ ही यहां के वातावरण को कछुओं के लिए बेहतर बताया था. प्रजातियों के बारे में गहन अध्ययन भी किया था.

टर्टल सर्वाइवल अलायंस ने किया निरीक्षण
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब पर्यटक झील के किनारे पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. तब अनायास ही कछुए उनके पास पहुंच जाते हैं. उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं. पीलीभीत जिला अधिकारी पुलकित खरे ने मां गोमती उद्गम स्थल को विदेशों में पहचान देने के लिए यहां पर बनाए जाने वाले कछुआ रिसर्च सेंटर और संरक्षण केंद्र को लेकर शासन स्तर पर लगातार पत्राचार किया. जिस पर शासन से मंजूरी मिल चुकी है. साथ ही एक बार फिर टर्टल सर्वाइवल अलायंस भारत के निदेशक को निरीक्षण के आदेश दिए गए हैं.

देश के साथ विदेशों में भी नाम स्थापित करने की कोशिश
मां गोमती के उद्गम स्थल पर कछुआ रिसर्च सेंटर और संरक्षण केंद्र बनने से देश प्रदेश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक खास पहचान मिलेगी. कछुआ पर रिसर्च कर रहे लोग अब पीलीभीत भी पहुंचेंगे. जिससे पीलीभीत के पर्यटन में चार चांद लग जाए जाएंगे.

अधिकारी पुलकित खरे ने ईटीवी भारत को बताया कि जनपद को विदेशों में खास पहचान देने के लिए कलीनगर तहसील के मां गोमती उद्गम स्थल के फुलहर झील के पास कछुआ संरक्षण केंद्र और रिसर्च सेंटर बनने से जिले को नई पहचान मिलेगी. साथ ही फुलहर झील में कई प्रजातियों के कछुए पाए जाते हैं, जिससे पीलीभीत को पर्यटन में भी बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए डेढ़ एकड़ जमीन को चिन्हित कर लिया गया है और टर्टल सर्वाइवल एलाइंस की टीम एक बार फिर पीलीभीत की फुलहर झील का निरीक्षण करने पहुंचेगी.

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