पीलीभीतः पहले मां और कोरोना काल में पिता की मृत्यु हो जाने से बीसलपुर नगर के तीन बच्चों के सपने टूट कर बिखर गए. जर्जर मकान में जान हथेली पर रखकर रह रहे अनाथ बच्चे अब दाने-दाने के मोहताज हैं. सरकार की अनाथ बच्चों का संरक्षण करने की योजना का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा संस्थाएं और प्रशासन भी इन बच्चों की किसी भी तरह की मदद कर रहा है. जिसकी वजह से बच्चों को दो वक्त की रोटी के लिए भी लाले पड़ गए हैं.
बीसलपुर नगर के मोहल्ला दुर्गा प्रसाद निवासी कमला चरण ठेले पर चाट बिक्री कर परिवार का गुजारा करते थे. परिवार की खुशियों को उस समय ग्रहण लग गया जब 7 वर्ष पूर्व उसकी पत्नी रामा देवी लीवर में सूजन आने के कारण बीमार पड़ गई और आर्थिक तंगी के कारण उपचार के अभाव में कुछ दिनों बाद मौत हो गई. पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद कमला चरण बेटी संगीता, मंजू व पुत्र दिवाकर का पालन पोषण करने का दायित्व उसके कंधों पर आ गया. दिनभर ठेले पर चाट की बिक्री कर बच्चों का भरण पोषण करने लगा. पिता ने सहारा दिया तो संगीता (8) मंजू (13) व पुत्र दिवाकर 10 वर्ष का हो गया.
22 मई को हो गई थी पिता की मौत
जैसे-तैसे परिवार की गाड़ी चल रही थी कि कोरोना की दूसरी लहर में चाट की बिक्री का धंधा ठप हो जाने पर कमला चरण की मुश्किलें बढ़ गई. इसी बीच मई में कमला चरण की भी हालत बिगड़ने लगी और सांस लेने में दिक्कत हुई. इस बार भी आर्थिक तंगी होने के कारण वह किसी चिकित्सक के पास अपना इलाज नहीं करा पाया. जिसकी वजह से 22 मई को कमला चरण की भी सांसे थम गई.
जर्जर मकान में रहने के मजबूर बच्चे
मां के बाद पिता का सिर से साया उठा जने से तीनों बच्चे अनाथ हो गए उनकी सारी खुशियों को ग्रहण लग गया. पिता की मृत्यु के बाद भरण-पोषण का कोई सहारा न रहने पर तीनों बच्चे टूट गए. कुछ दिनों तो पास पड़ोसियों ने मदद की परंतु बाद में उन्होंने भी बच्चों से दूरी बना ली है. मोहल्ले में ही रहने वाले मृतक कमला चरण के भतीजे धर्मपाल ने बच्चों को सहारा दिया लेकिन मजदूरी कर अपने परिवार का वह मुश्किल से स्वयं ही भरण पोषण कर पा रहा है. इसलिए तीनों बच्चे अपने पुराने मकान में रहकर जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का भी नहीं मिला लाभ
बच्चे जिस मकान में रहते हैं उसकी हालत दयनीय है दीवारों व छत में दरार पड़ गई है. बारिश होने पर छत टपकने लगती है, जिससे बच्चे भयभीत हैं. हालांकि मृतक चाट विक्रेता का मकान बनने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयन हो चुका है, लेकिन तीनों बच्चे नाबालिग होने के कारण स्वीकृत धनराशि उनके खातों में अभी तक नहीं पहुंच पाई है. इसीलिए मकान का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. वहीं, सरकार द्वारा अनाथ बच्चों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ भी इन बच्चों को अभी तक नहीं मिल पाया है. जबकि जिलाधिकारी द्वारा नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे अनाथ बच्चों को चिन्हित कर उन्हें सरकार की योजना का लाभ दिलाए जाने के निर्देश पूर्व में ही जारी किए जा चुके हैं.
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अनाथ बच्चों की हर संभव मदद की जाएगीः विधायक
उप जिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि वह राजस्व टीम को मौके पर भेजकर अनाथ बच्चों की जांच कराकर उन्हें सरकारी सहायता मुहैया कराएंगे. भाजपा विधायक रामशरन वर्मा ने कहा कि अनाथ हो चुके बच्चों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. वह स्वयं बच्चों के घर जाकर उनकी हर संभव सहायता करेंगे. वार्ड 7 सदस्य सावित्री गंगवार ने बताया की चाट विक्रेता कमला चरण की मृत्यु के बाद उनके तीनों बच्चे अनाथ हो गए हैं. उनके संरक्षण के लिए मदद दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हूं. उप जिलाधिकारी को अवगत करा दिया है, अन्य उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराऊंगी.
खबर का असरः अनाथ बच्चों को सहायता देने पहुंचे विधायक सहित अधिकारी
ETV BHARAT ने जब 3 अनाथ बच्चों की प्रशासन द्वारा सुध न लेने की खबर को प्रमुखता से छापा तो भाजपा विधायक रामसरन वर्मा उप जिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता, पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत कुमार, प्रभारी निरीक्षक कमल सिंह व आराजी प्रभारी अकरम के साथ गुरुवार को बच्चों के घर पहुंचे. विधायक व एसडीएम ने बच्चों को 10000 की नगद सहायता राशि सौंपी. वहीं, बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत तीनों बच्चों की 4-4 हजार रुपये धनराशि मुहैया कराए जाने की जानकारी उप जिलाधिकारी ने दी. एसडीएम ने बताया कि बच्चों के मकान बनने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हुई है. धनराशि को भी निकलवाने की प्रक्रिया की जाएगी. एसडीएम सहित मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने तीनों बच्चों को कपड़े, फल व अन्य उपहार भी दिए. जिसे पाकर अनाथ बच्चों के चेहरे खुशी से खिल उठे.