पीलीभीतः जिले में तेंदुओं की बढ़ती संख्या के कारण सरकार ने पिछले दिनों प्रदेश के पीलीभीत समेत पांच जिलों में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया. पीलीभीत में रेस्क्यू सेंटर के लिए, सामाजिक वानिकी के पूरनपुर रेंज कार्यालय के निकट विकसित किए गए 26 हेक्टेयर में से पांच हेक्टेयर का जंगल आरक्षित किया गया है. रेस्क्यू सेंटर में रखे जाने वाले तेंदुओं के लिए अलग-अलग सेक्टर बनेंगे.
तेंदुओं से समस्या
पीलीभीत में बाघों के साथ ही तेंदुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो तेंदुओं की तादाद बाघों से अधिक हो गई है. ताकतवर बाघ, तेंदुए को जंगल में टिकने नहीं देते. ऐसे में तेंदुआ जंगल के सीमावर्ती इलाकों में बचाव करते हुए अपना शिकार तलाशते हैं. कई बार तेंदुए आबादी क्षेत्र में भी पहुंच जाते हैं. तेंदुए वृक्षों के ऊपर तथा ऊंचे भवनों तक जाने में सफल हो जाते हैं, इसलिए तेंदुओं की समस्या बढ़ रही है.
पालतू पशुओं को बनाते हैं निवाला
आपको बता दें कि तेंदुआ लंबे समय तक अगर आबादी वाले क्षेत्रों में घूमते हैं तब वह पालतू पशुओं को अपना शिकार बनाते हैं. ऐसा पीलीभीत जनपद में कई बार देखा गया है.
अन्य जगहों के तेंदुओं को मिलेगा स्थान
इस सेंटर पर सिर्फ यहीं के नहीं बल्कि अन्य जनपदों के तेंदुओं को भी स्थान मिलेगा. दूसरे जनपदों में अगर कोई तेंदुआ पकड़ा जाएगा तो उसे इसी सेंटर में रखने की व्यवस्था रहेगी. अगर कोई ऐसा तेंदुआ आता है, जिसके शरीर में कोई चोट है तो उसका इलाज सेंटर पर ही किया जाएगा. इस सेंटर के संचालन की जिम्मेदारी पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन पर रहेगी.
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पिछले साल हुई तैनाती
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वन्यजीव चिकित्सक के लिए संविदा आधारित डॉ. दक्ष गंगवार की नियुक्ति पिछले साल ही हो चुकी है.
इस बारे में प्रभागीय वन अधिकारी नवीन खंडेलवाल ने बताया कि जिले में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है. रेस्क्यू सेंटर स्थापना के लिए बजट स्वीकृत हो चुका है. धनराशि जारी होने के बाद रेस्क्यू सेंटर के लिए प्रस्तावित जंगल में काम शुरू करा दिया जाएगा.