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मुक्तिधाम की ये अस्थियां कर रहीं अपनों का इंतजार, पितृपक्ष में कैसे मिलेगी पितरो को शांति

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Published : Sep 14, 2022, 2:42 PM IST

मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध एवं पिंडदान से न पितृ प्रसन्न होने के साथ ही उन्हें इस पूजन कार्य से मुक्ति भी मिलती है. पीलीभीत के मुक्ति धाम में तमाम अस्थियां अपनो का इंतजार कर रही हैं.

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पीलीभीतः हिंदू धर्म में पितरों की मुक्ति और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए पितृपक्ष को उत्तम माना गया है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध एवं पिंडदान से न सिर्फ पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि उन्हें इस पूजन कार्य से मुक्ति भी मिलती है. पितृपक्ष के बीच पीलीभीत के मुक्ति धाम में तमाम अस्थियां अपनो के इंतजार में रखी हैं पर लोग अपने पितरो की अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए आगे नही आ रहे हैं.

बता दें कि पीलीभीत शहर के नोगवा पकड़िया गांव के पास बने मुक्तिधाम में 150 से अधिक अस्थियां अपनों के इंतजार में रखी हुई हैं. मुक्ति धाम कमेटी के लोग लगातार इन अस्थियों से संबंध रखने वाले परिवार से फोन के जरिए संपर्क साध रहे हैं. कमेटी के सदस्य पितृपक्ष के दौरान परिजनों से इन अस्थियों को गंगा में ले जाकर प्रवाहित करने की बात भी कह रहे हैं.

जानकारी देते मुक्तिधाम कमेटी की सदस्य

इन तमाम अस्थियों में कुछ अस्थियां ऐसी भी है, जिन्होंने कोरोना काल में अपनी जान गंवाई. अब इसे डर कहे या फिर कोई अन्य कारण कि परिवार के लोग कोरोना के दौर में जान गंवाने वाले अपने लोगों की अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए अब तक आगे नहीं आए. कई साल बीत जाने के बाद भी मुक्ति धाम कमेटी पीलीभीत ने अपने स्तर से परिवार के लोगों की सूची बनाकर उनसे संपर्क साधने का काम शुरू किया है ताकि इस पितृपक्ष में इन अस्थियों को विसर्जित किया जा सके. हालांकि मुक्ति धाम कमेटी का यह भी कहना है कि अगर एक हफ्ते के अंदर लोग अपने पितरों के अस्थि विसर्जन करने के लिए आगे नहीं आते हैं तो मुक्तिधाम कमेटी ही इन अस्थियों को विसर्जन करने का काम करेगी.

एक तरफ जहां रिश्तो की संभावनाओं को ताक पर रखकर तमाम लोग अपने सगे संबंधियों की अस्थियां ले जाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. वहीं, पीलीभीत के एक जागरूक युवा और समाज सेवा करने वाले अभिषेक सिंह गोल्डी अपनी टीम के साथ ऐसी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने का काम कर रहे हैं. 2019 में कोरोना काल से पहले उन्होंने अपनी टीम के साथ 200 से अधिक अस्थियों को रीति-रिवाज के अनुसार गंगा में प्रवाहित करने का काम किया था. अगर एक हफ्ते के भीतर मुक्ति धाम में रखी अस्थियों को उनके परिवार वाले नहीं लेकर जाते तो इस बार भी गोल्डी और मुक्ति धाम के सदस्य पितृपक्ष में इन अस्थियों को गंगा मे प्रवाहित करने का काम करेंगे.

ये भी पढ़ेंः पितृपक्ष 2022 : 5वें दिन गया के ब्रह्म सरोवर में पिंडदान का विधान, पितरों को मिलता है बैकुंठ में स्थान

पीलीभीतः हिंदू धर्म में पितरों की मुक्ति और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए पितृपक्ष को उत्तम माना गया है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध एवं पिंडदान से न सिर्फ पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि उन्हें इस पूजन कार्य से मुक्ति भी मिलती है. पितृपक्ष के बीच पीलीभीत के मुक्ति धाम में तमाम अस्थियां अपनो के इंतजार में रखी हैं पर लोग अपने पितरो की अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए आगे नही आ रहे हैं.

बता दें कि पीलीभीत शहर के नोगवा पकड़िया गांव के पास बने मुक्तिधाम में 150 से अधिक अस्थियां अपनों के इंतजार में रखी हुई हैं. मुक्ति धाम कमेटी के लोग लगातार इन अस्थियों से संबंध रखने वाले परिवार से फोन के जरिए संपर्क साध रहे हैं. कमेटी के सदस्य पितृपक्ष के दौरान परिजनों से इन अस्थियों को गंगा में ले जाकर प्रवाहित करने की बात भी कह रहे हैं.

जानकारी देते मुक्तिधाम कमेटी की सदस्य

इन तमाम अस्थियों में कुछ अस्थियां ऐसी भी है, जिन्होंने कोरोना काल में अपनी जान गंवाई. अब इसे डर कहे या फिर कोई अन्य कारण कि परिवार के लोग कोरोना के दौर में जान गंवाने वाले अपने लोगों की अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए अब तक आगे नहीं आए. कई साल बीत जाने के बाद भी मुक्ति धाम कमेटी पीलीभीत ने अपने स्तर से परिवार के लोगों की सूची बनाकर उनसे संपर्क साधने का काम शुरू किया है ताकि इस पितृपक्ष में इन अस्थियों को विसर्जित किया जा सके. हालांकि मुक्ति धाम कमेटी का यह भी कहना है कि अगर एक हफ्ते के अंदर लोग अपने पितरों के अस्थि विसर्जन करने के लिए आगे नहीं आते हैं तो मुक्तिधाम कमेटी ही इन अस्थियों को विसर्जन करने का काम करेगी.

एक तरफ जहां रिश्तो की संभावनाओं को ताक पर रखकर तमाम लोग अपने सगे संबंधियों की अस्थियां ले जाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. वहीं, पीलीभीत के एक जागरूक युवा और समाज सेवा करने वाले अभिषेक सिंह गोल्डी अपनी टीम के साथ ऐसी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने का काम कर रहे हैं. 2019 में कोरोना काल से पहले उन्होंने अपनी टीम के साथ 200 से अधिक अस्थियों को रीति-रिवाज के अनुसार गंगा में प्रवाहित करने का काम किया था. अगर एक हफ्ते के भीतर मुक्ति धाम में रखी अस्थियों को उनके परिवार वाले नहीं लेकर जाते तो इस बार भी गोल्डी और मुक्ति धाम के सदस्य पितृपक्ष में इन अस्थियों को गंगा मे प्रवाहित करने का काम करेंगे.

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