पीलीभीत: जीरो टॉलरेंस (zero tolerance) पर काम कर रही सूबे की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार रोकने के चाहे जितने दावे करें. लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल इसके उलट है. डीएम पुलकित खरे (DM Pulkit Khare strictness remained ineffective) की सख्ती भी धान माफियों के सिंडिकेट पर बेअसर है. जिले में समर्थन मूल्य योजना के तहत धान खरीद में फर्जीवाड़ा (fraud in paddy purchase) इस बार भी नहीं रूक सका और अब तो हालत यह है कि क्रय केंद्रों पर पड़ोसी जनपद लखीमपुर खीरी के निघासन, शाहजहाँपुर के बंडा, पुवायां, निगोही, खुदागंज, बरेली के नवाबगंज और फरीदपुर के किसानों का धान जमकर चढ़ाया जा रहा है. यह खेल सिर्फ क्रय एजेंसी पीसीयू और यूपीएसएस (Purchasing Agency PCU & UPS) ने ही नहीं किया, बल्कि खाद्य एवं रसद व पीसीएफ विभाग में भी हो रहा है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने किसानों को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकारी क्रय केंद्रों पर धान का रेट 1940 रुपये निर्धारित किया था. जिले में समर्थन मूल्य योजना के तहत लगने वाले क्रय केंद्रों पर वास्तविक धान खरीद को लेकर शुरुआती दौर में जिलाधिकारी पुलकित खरे के तेवरों को देखते हुए ठेकेदार और क्रय केंद्रों के इंचार्ज व एजेंसियों के जिला प्रबंधक और प्रशासनिक अधिकारी शुरुआती दौर में सहमें रहे.
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जिसके कारण शुरुआती दौर में क्रय केंद्रों पर खरीद नाम मात्र की हो सकी. वहीं, क्रय केंद्रों पर पहुंचने वाले किसानों को मानक के अनुरूप धान न बता कर लौटाया जाता रहा है. जिसके कारण किसानों को अपना धान इस बार भी 900 से 1000 रुपये कुंतल पर राइस मिल मालिकों व आढतियों के हाथों बेचना पड़ा. उस समय सरकारी धान खरीद में तमाम कड़े प्रावधान थे.
जिन्हें खत्म करने के लिए जिला प्रशासन ने प्रमुख सचिव खाद्य को प्रस्ताव भेजा था, जिसके बाद उन बंदिशों को खत्म कर दिया गया. बस फिर क्या था बंदिशों के हटते ही एक बार फिर धान खरीद में फर्जीवाड़ा शुरू हो गया. जिले में बड़े पैमाने पर राइस मिलर्स और आढतियों की ओर से औने-पौने दामों में खरीदे गए स्टाक को ही अब क्रय केन्द्रों पर समायोजित किया जा रहा है. शासन से लक्ष्य का डंडा और प्रति कुंतल तय होने के कारण अधिकारी पूरी तरह खामोशी अख्तियार किए हुए हैं.
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प्रदेश कोआपरेटिव यूनियन (पीसीयू ) और यूपीएसएस के क्रय केन्द्रों पर फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ है. इन एजेंसियों के कई सेंटरों पर बीते 7 दिसंबर को दर्शाई गई ऑनलाइन सारांश में क्रम संख्या एक पर दाताराम निवासी ग्राम पुरैनिया अटंगा चांदपुर नवाबगंज बरेली से 4,44 मीट्रिक टन धान खरीद दिखाई गई है.
इसी तरह क्रम संख्या दो पर मदनलाल निवासी बिशनपुर गुलरिया साईं नगर बहेड़ी बरेली से 17. 16 मीट्रिक टन धान खरीद दिखाई गई है. इसके बाद अंत में क्रम संख्या 328 रमेश चंद्र बंसल निवासी बंडा जनपद शाहजहांपुर से 15.64 एमटी धान खरीद होना दर्शाया गया है. इसके बाद क्रम संख्या 329 देवेंद्र पाल सिंह चठिया बलरामपुर जनपद शाहजहांपुर, क्रम संख्या 330 दर्शन बंसल खुटार रोड बंडा, क्रम संख्या 331 मंजीत सिंह क्रम संख्या 332 पूनम देवी, क्रम संख्या 335 अभिषेक प्रताप सिंह इन तीनों का पता ही नहीं दिया गया है.
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वहीं, क्रम संख्या 334 अमर सिंह निवासी मकसूदापुर बंडा, क्रम संख्या 335 लालाराम सराय जब्ती गुलरपुर पवाया क्रम संख्या 336 जसविंदर सिंह नवदिया बंकी की खरीद होना दर्शाया गया है. इस तरह क्रम संख्या 356 तक यही खेल किया गया है. इसी तरह यूपीएसएस ने भी निगोही और फरीदपुर के किसानों से खरीद दर्शाई है, जबकि पीसीएफ और खाद्य विभाग भी इसमें पीछे नहीं है.
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खाद्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि शुरुआती दौर में तो क्रय केंद्रों के नाम भी पोर्टल पर साफ नजर आ रहे थे, लेकिन इस फर्जी फर्जीवाड़े का खुलासा न हो इसलिए बाद में क्रय केंद्रों के नाम हटा दिए गए हैं. अब सिर्फ एजेंसी का नाम ही आ रहा है. हालांकि किसी भी जनपद का धान खरीदने की छूट होना बताया जा रहा है.
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लेकिन सवाल यह उठता है कि पीलीभीत के किसानों का धान न खरीद कर बाहर के किसानों का धान पीलीभीत में आखिर क्यों खरीदा जा रहा है. क्या लखीमपुर और शाहजहाँपुर व बरेली में क्रय केंद्र नहीं लगाए गए हैं, जो वहां के किसान सौ किलोमीटर की दूरी तय कर अपना धान पीलीभीत लेकर पहुंच रहे हैं.
इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष का कहना है कि किसानों का धान खरीदा ही नहीं जा रहा है और बिचौलियों के धान को ढाई सौ रुपये कुंतल की रिश्वत लेकर समायोजित किया जा रहा है. उन्होंने धान खरीद में फर्जीवाड़े को लेकर जिला प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
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