पीलीभीत: जिले में लाश का इलाज करने का हाईप्रोफाइल मामला एक नया मोड़ लेता हुआ नजर आ रहा है. जिसमें इस मामले की विवेचना कर रहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामला ही नहीं पता, और जांच रिपोर्ट तैयार कर दी. इतना ही नहीं मुख्य चिकित्साधिकारी मामले पर कठोरता से कार्रवाई करने की बजाय हंसने के साथ ही जांच करते हुए दिखाई दीं.
- पूरनपुर कोतवाली क्षेत्र के सकराना गांव निवासी राजू का बीती सात जून को एक्सीडेंट हो गया था.
- घायल हालत में राजू को परिजनों ने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था.
- यहां अस्पताल प्रशासन ने एक एग्रीमेंट पेपर पर भर्ती करने से पहले दस्तखत करा लिए थे.
- आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर ने हालत गंभीर बताकर 40 हजार रुपये जमा कराए और राजू को वेंटिलेटर पर रखे जाने की बात कही.
- राजू की पत्नी शारदा देवी से फिर से 60 हजार की मांग की गई, जिस पर उन्होंने 60 हजार रुपये भी दे दिए.
मामला कुछ यूं है कि पूरनपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सकराना के रहने वाले राजू का एक्सीडेंट 7 जून को हुआ था. घायल हालत में राजू को लेकर उसके परिवार जन निजी अस्पताल पहुंचे थे, जहां पर अस्पताल प्रशासन ने एक एग्रीमेंट पेपर पर दस्तखत करा लिया था, आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर ने हालत गंभीर बताकर 40 हजार रुपये जमा कराए और उसके बाद राजू को वेंटिलेटर पर रखे जाने की बात कही. उसके बाद राजू की पत्नी शारदा देवी से फिर से 60 हजार रुपये की मांग की गई, जिस पर शारदा देवी द्वारा 60 हजार रुपये भी दे दिए गए.
सुबह करीब 9:00 बजे जब शारदा देवी अपने पति को देखने पहुंची तो पति की आंखों पर पट्टी बंधी और टेप लगा देखकर वह हैरान रह गई और डॉक्टर से छुट्टी देने की बात कहती रही, लेकिन हालत गंभीर बताते हुए 72 घंटे तक छुट्टी देने से इनकार कर दिया. परिजनों के विरोध करने पर अस्पताल प्रशासन ने हायर सेंटर के लिए रेफर का पर्चा बनाकर 8 जून को दोपहर करीब 12:00 बजे राजू के शव को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया. दम तोड़ चुके राजू के शव को पोस्टमार्टम कराने के लिए 3:00 बजे ले जाया गया. जहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजू के मौत 12 से 24 घंटे पहले होने की बात कही गई, जिससे परिजनों को शक हुआ, लेकिन वे कुछ कह न सके.
इसकी सूचना लगते ही भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी, जिला अध्यक्ष महेंद्र पाल आदि ने मृतक के परिजन के संग गुरुवार को इस मामले की शिकायत एडीएमओ, सीएमओ से की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर शुक्रवार को परिजनों ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की, जिस पर जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात कही. जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने मुख्यचिकित्सा अधिकारी को विवेचना कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 3 सदस्यीय पैनल बनाकर जांच कराई और रिपोर्ट तैयार कर ली, जब ईटीवी भारत ने मुख्य चिकित्साधिकारी से पूरा मामला जानने की कोशिश की तो मुख्य चिकित्साधिकारी का एक नया चेहरा सामने आया, जिसमें इस मामले की विवेचना कर रिपोर्ट तैयार कर रहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीमा अग्रवाल को मामला ही नहीं पता, बल्कि अपने पास में बैठे लोगों से मामले की जानकारी लेती दिखीं, इतना ही नहीं मुख्य चिकित्साधिकारी सीमा अग्रवाल इस मामले को हंसी मजाक का खिलौना समझकर हंसकर जांच रिपोर्ट बनाती दिखीं.
जब इस मामले पर मुख्य चिकित्साधिकारी सीमा अग्रवाल से बात की तो उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है. इस दौरान सीमा अग्रवाल मामले से संबंधित जानकारी पास में बैठे लोगों से लेने लगी.